ADVERTISEMENT

चाय वाले के बेटे की इंजीनियर से आईएएस बनने की प्रेरणादायक कहानी

चाय वाले के बेटे की इंजीनियर से आईएएस बनने की प्रेरणादायक कहानी
ADVERTISEMENT

परिश्रम को एक ऐसी चाबी कहा जाता है जो किस्मत के ताले खोलने की क्षमता रखती है। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए यदि दृढ़ संकल्प होकर लक्ष्य का पीछा किया जाता है तो राह मे आने वाली बाधाएं धीरे-धीरे हट जाती हैं और रास्ते खुद ब खुद बनते चले जाते हैं। आज हम एक ऐसे शख्स की कहानी लेकर आए हैं जो हर युवा के लिए प्रेरणादायक हो सकती है।

आज की कहानी एक ऐसे चाय वाले की बेटी की है जिसने अपनी जिंदगी में तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता की दास्तां लिखी है और बेहद प्रेरणादायक है।

ADVERTISEMENT

हम बात कर रहे हैं 2018 बैच के आईएएस ऑफिसर देशल दान की, जिन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़ाई की और पहले इंजीनियर की परीक्षा में सफलता हासिल की और अब आईएएस ऑफिसर बन गए हैं।

देशल दान राजस्थान के जैसलमेर जिले से संबंध रखते हैं। उनके पिता एक किसान है और साथ में चाय की दुकान भी चलाते हैं। उनकी माता एक अनपढ़ ग्रहणी है।

ADVERTISEMENT

वह सात भाई बहन है। दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने हिंदी माध्यम से की, इसके बाद इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोटा चले गए और आईआईआईटी जबलपुर में उन्हें दाखिला मिल गया।

यह भी पढ़ें : एयर डेक्कन के संस्थापक सेवानिवृत्त कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ की प्रेरणादायक कहानी

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे आसपास के गांवों में राज्य सिविल सेवा और केंद्र सेवा में भर्ती हुए कुछ लोगों के बारे में जाना। यहीं से उन्हें सिविल सेवा के बारे में भी जानकारी मिली। उन्होंने देखा कि सिविल सेवा पास करने वाले लोगों को एक अलग तरह की ही प्रतिष्ठा समाज में मिलती है।

सब लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। वह बताते हैं कि उनका बड़ा भाई 7 साल पहले भारतीय नौसेना में सिलेक्शन पाया था। लेकिन दुर्भाग्य से साल 2010 में आईएनएस सिंधुरक्षक की एक दुर्घटना में ड्यूटी के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

यह उनके जीवन के लिए सबसे दुखद पल था। वह बताते हैं कि उनका भाई उन्हें आईएएस के रुप में देखना चाहता था। भाई की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद को पूरी तरीके से बदल दिया और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लग गए।

देशल दान बताते हैं कि वह इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के दौरान से ही अपनी तैयारी शुरू कर दिये थे। वह एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां पर संघर्ष और कड़ी मेहनत की कीमत उन्होंने बचपन से ही देखी थी।

वह अपने माता-पिता और बड़े भाइयों को पढ़ाई के लिए अपना सब कुछ बलिदान करते हुए देखा था। उनके बलिदान, कड़ी मेहनत और समर्पण से प्रेरित होकर वह और भी ज्यादा मेहनत करने को प्रेरित होते।

यह भी पढ़ें : नेचुरल आइस क्रीम की सुरवात एक अनोखे आईडिया और ₹ १०० से हुई थी आज है ३००० करोड़ का टर्न ओवर

उनके संघर्ष और कठिनाइयों से वह प्रेरित होकर और भी ज्यादा मेहनत करने लगे और उन्हें अपना संघर्ष आसान लगने लगा। वो खुद को असाधारण मानते हैं।

वह बताते हैं कि उनके परिवार के बिना शर्त समर्थन और आशीर्वाद के कारण ही आज वह आईएएस बन पाए हैं। वह आईएस बनकर एक सार्थक जीवन जीना चाहते हैं और अपने हर संभव कोशिश करेंगे कि लोगों की ज्यादा से ज्यादा सेवा कर सके।

देशल दान की सफलता से यह प्रेरणा मिलती है कि एक बार जब लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हम दृढ़ संकल्प कर लेते हैं तब हमें पीछे मुड़कर नही देखना चाहिए, बल्कि हर परिस्थितियों का हर हाल में डट कर मुकाबला करते रहना चाहिए।

जीवन मे कुछ भी करने के लिए अपनो का साथ और उनका आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है। इसलिए जब आप सफल हो जाए तब अपने बीते हुए कल को कभी नही भूलना चाहिए। याद रखें, दृढ़ इच्छाशक्ति से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

ADVERTISEMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *