हमारे भारत देश में होली यानी कि रंगों के त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है ना केवल बच्चों के मन में रंगों की छवियां बनी शुरू हो जाती है बल्कि इसके साथ ही साथ बड़े भी कई रंगों की छवियों को अपने मन में बनाना शुरू कर देते हैं, परंतु आजकल होली के समय में यह समस्या सबसे अधिक नजर आती है कि कई मां बाप ना खुद होली खेलते हैं और ना ही अपने बच्चों को होली खेलने देते हैं । इसमें सबसे महत्वपूर्ण कारण उनका यह डर होता है कि रंगों में मिले केमिकल से उनके बच्चों को और उन को खतरा हो सकता है।
आजकल केमिकल वाले रंगों का चलन काफी अधिक हो रहा है परंतु इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि किन रंगों में केमिकल मिक्स है परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने त्योहारों को मनाना बंद कर दे। जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि भारतीय संस्कृति में पुराने जमाने में फूलों की होली खेली जाती थी इन शब्दों से हमारा तात्पर्य है कि रंग-बिरंगे टिशू के फूल इस मौसम में ही खिलते हैं और इन्हीं फूलों से रंग बनाकर होली खेलने का रिवाज था।
होली के पारंपरिक रंगों को तैयार करने के लिए इस मौसम में मिलने वाले टेसू के फूलों को पानी में भिगोया जाता है और अगर इसमें थोड़ा सा चुना मिला दिया जाए तो रंग थोड़ा गाढ़ा हो जाता है, और इसी दौरान अगर इस पानी को थोड़ा अधिक खौला दिया जाए तो यह रंग पूरी तरह से पक्का हो जाता है, इसके बाद इसे छानकर ठंडा करके एक के पानी को ठंडा करके इस से होली खेली जाती है।
हालांकि आजकल होली के समय में बाजारों में कई प्रकार के हर्बल रंग और केमिकल युक्त रंग मिलते हैं जिनके उपयोग से हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचता है परंतु अगर घर पर तैयार किए गए रंगों का इस्तेमाल करके होली खेली जाए तो होली खेलने का मजा और भी अधिक बढ़ जाता है।
आज हम आपको एक ऐसी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं जो होली के उत्सव में इतनी अधिक उत्साहित रहती है कि हर बार होली के रंगों को खुद से तैयार करती है और उन्हीं होली के रंगों से होली खेलती है बातचीत के दौरान खुशविका के माता पिता का कहना है कि जिस प्रकार बाजार में केमिकल वाले रंग मिलते हैं उस प्रकार हमने अपने बच्चों को और खुद को भी होली जैसे उत्सव से दूर रहने के लिए कह दिया था हम ना ही होली खेलते थे और ना ही मनाते थे और ना ही अपने बच्चों को होली खेलने देते थे।
परंतु आज जब बच्चे थोड़े से समझदार हो गए हैं तो आज वह होली खेलने के लिए काफी अधिक ज़िद करते हैं परंतु मेरी छोटी बेटी महज 7 साल की है जिसका नाम खुशविका है। होली का उत्सव मनाने के लिए काफी अधिक उत्साहित है और इसका उसने अपने स्वास्थ्य और होली के उत्सव को पूरी उत्साहित रूप से मनाने के लिए घर पर ही होली के रंगों को तैयार किया है।
छोटी सी प्यारी बच्ची खुशविका बताती है कि उन्होंने बचपन से कभी भी होली का उत्सव नहीं मनाया है क्योंकि उनके माता-पिता बताते थे कि होली में बाजार में जो रंग मिलते हैं वह केमिकल युक्त होते हैं जिनसे उनकी त्वचा खराब हो जाएगी और उन्हें त्वचा की बीमारियां हो जाएगी ।
इस दौरान वह होली का उत्सव नहीं मनाते थे, परंतु बच्ची खुशीविका कहती है कि वर्ष 2022 में वह होली का उत्सव अवश्य मनाएंगे क्योंकि उन्होंने इस बार अपने माता-पिता और खुद के लिए होली के रंग घर पर तैयार की है और सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि बच्चे खुशविका बहुत 7 वर्ष की है।
बच्चे के माता-पिता बताते हैं कि हर साल तो हमने केमिकल वाले रंगों के डर से होली तो नहीं मनाई परंतु आज मेरी छोटी सी बेटी ने घर पर ही रंगों को बनाया है और इस वर्ष हम काफी धूमधाम से होली का उत्सव मनाएंगे वह कहते हैं कि होममेड होली के रंग बनाने के लिए मेरी बेटी ने गूगल का इस्तेमाल लिया और उसकी माता ने उसका पूरा सहयोग किया।
वह आगे बताते हैं कि मेरी बेटी ने रंगों को तैयार करने के लिए अपनी माता की पूरी सहायता ली इस दौरान उन दोनों ने मिलकर टेसू के फूल तोड़ कर उन्हें पानी में भिगोकर उसमें थोड़ा चूना मिलाकर छोड़ दिया उसके बाद उन्होंने इसी को और पक्का करने के लिए इसको खौल लिया इसके बाद इसे ठंडा करके छान लिया इस दौरान बचे ठंडे पानी का इस्तेमाल पानी वाले रंग खेलने के रूप में किया और जो छानकर सुखा पाउडर निकला उसे अच्छी तरह से सुखा कर सूखे रंग मैं उसका उपयोग किया।
इस दौरान माता और बच्ची ने मिलकर कई रंग के फूल बनाए हैं वह कहती है कि लाल रंग को तैयार करने के लिए उसने लाल जावा के फूलों का इस्तेमाल किया था । इस दौरान पीले रंग के लिए उसने गेंदा के फूलों का इस्तेमाल किया और इसके ठीक विपरीत नारंगी रंग के लिए उसने नारंगी गेंदा के फूलों का इस्तेमाल करके सभी प्रकार के रंगों को घर पर तैयार किया और इससे होली का उत्सव धूमधाम से मनाने का निश्चय किया है।
जैसे की हम सभी जानते हैं कि बाजार में केमिकल वाले रंगों के मिलने के कारण कई लोग होली का उत्सव नहीं मनाते हैं क्योंकि कई लोगों का मानना है कि केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल करने से त्वचा को हानि पहुंचती है और त्वचा रोग भी हो सकता है ।
सभी लोगों को अपनी त्वचा की परवाह करना तो चाहिए परंतु त्योहारों मैं पूरा उत्सव मनाना यह काफी आवश्यक है इस दौरान छोटी सी बच्ची ने हमें यह उद्देश्य दिया है कि हम रंगों को घर में तैयार करके अपने होली के उत्सव को धूमधाम से मना सकते हैं ना कि केमिकल वाले रंगों के बारे में सोचकर होली खेलना छोड़ देना चाहिए।
आप सभी को छोटी बच्ची खुशीविका और उसके परिवार के तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाएं और हमारे तरफ से आपको होली की बेहद अधिक शुभकामनाएं एवं होली के रंग घर पर खुद से तैयार करें और होली के उत्सव को धूमधाम से मनाया और पूरे त्योहार का आनंद उठाएं।
लेखिका : अमरजीत कौर
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