कभी शुरू की थी चार भाइयों ने मिलकर पान की छोटी सी दुकान, आज बना लिया है 300 करोड़ का साम्राज्य

बेहतर जीवन शैली की तलाश में चार भाई गुजरात के एक छोटे से गांव से निकलकर अमरेली शहर में जाकर बस गए और वहां जाकर इन्होंने एक छोटी सी पान और कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान खोली परंतु आज यह चार भाई 500 से ज्यादा फूड प्रोडक्ट बेच रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अपना रुख करने वाले हैं, आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।

वर्ष 1989 में गुजरात के अमरेली शहर में सौंदर्यकरण का विवाद शुरू हुआ था और इसके तहत नगर निगम सड़क के किनारे स्थापित छोटी-छोटी दुकानें और स्टॉल को तोड़ दिया गया था,

और इस समय छोटी दुकानों और स्टाल के परिवारों का अपनी जीवन को जीने का बस एक ही मकसद वह दुकानें थी और वह उनसे छिन चुकी थी और उनकी रोजी-रोटी खत्म सी हो गई थी परंतु फिर भी एक आस थी, वह थी हिम्मत करके कुछ बड़ा करने का प्रयास करना।

अमरेली शहर के सौंदर्यीकरण के लिए जो रोड के किनारे स्थित दुकानों को तोड़ा गया उनमें से एक दुकान थी गुजरात के चावड़ा गांव के रहने वाले एक सीधे-साधे भुवा परिवार की थी।

भुवा परिवार अपने गांव में खेती करके परिवार का पालन पोषण करते थे परंतु गांव में शिक्षा अच्छी नहीं उपलब्ध होने के कारण बड़े भाई ने अमरेली शहर जाने का सोचा था कि वहां वे अपने चारों भाई को अच्छी शिक्षा दे सके।

और उनके चारों भाई दिनेश, जगदीश, भूपत और संजीव अच्छी पढ़ाई करके एक अच्छी नौकरी को प्राप्त करें और जिससे घर का खर्च आसानी से चल सके और घरवालों को एक अच्छी जीवनशैली दे सकें।

अच्छे जीवन शैली की तलाश में पूरा  भुवा परिवार अमरेली शहर में आ गया था। परंतु यहां आने के बाद सबसे बड़ी समस्या यह उत्पन्न हो रही थी आखिर काम क्या किया जाएगा।

इस दौरान सबसे बड़े भाई दिनेश ने सिटी बस स्टैंड में पान की दुकान खोलने का सुझाव दिया यह बस स्टैंड एक ऐसी जगह थी जहां समान खरीदने वालों की कमी नहीं थी और कमाई होने की पूरी अच्छी संभावना थी।

बस इसी वक्त उन्होंने सभी के सुझाव से पान और कोल्ड ड्रिंक की छोटी सी दुकान खोल ली। इस दौरान सुबह में दिनेश दुकान को संभालते थे और आधे दिन छोटा भाई दुकान की देखभाल करता था।

धीरे-धीरे उनकी दुकान अच्छी तरक्की करने लगी और सब कुछ अच्छा चल रहा था आमदनी अच्छी होने से चारों भाई अच्छी तरह से अपनी पढ़ाई भी कर पा रहे थे, परंतु जैसे ही अमरेली शहर में नगर निगम ने सौंदर्य करण के लिए सड़कों में स्थित दुकानों को तोड़ना शुरू किया तो उसमें इनकी भी दुकान तोड़ दी गई।

जन्माष्टमी के मेले में बदल गई भुवा परिवार की किस्मत

यही कदम था जब जन्माष्टमी के मेले चारों भाई ने सफलता के पहले कदम में प्रवेश किया था। चारों भाइयों ने दुकान टूटने पर हार नहीं मानी और एक नए सिरे से प्रयास करने की ठानी और इन्होंने बस स्टैंड के पास 5×5 फिट की एक दुकान खरीद ली समान वहीं था बस जगह नई थी।

साल 1993 में जन्माष्टमी उत्सव के दौरान भाइयों ने अपनी दुकान में आइसक्रीम को भी लाने का खयाल लाया। इस दौरान ही उन्होंने अपनी दुकान में आइसक्रीम बिजनेस की एक नीव रखी थी।

भूपत कहते हैं कि यह मेला एक ऐसा मेला है, जिसने पर्यटक और तीर्थयात्री की भीड़ काफी रहती है और इस कारणवश इन का बिजनेस काफी अधिक चलने लगा और अपने बिजनेस के विस्तार के लिए इन्होंने आइसक्रीम को अपनी दुकान में रखने का फैसला कर लिया था।

भूपत बताते हैं कि वे अपनी दुकान में आइसक्रीम विक्रेताओं से आइसक्रीम को खरीद कर मुनाफे पर आइसक्रीम को अपनी दुकान में बेचते थे और मुनाफा काफी अधिक आ रहा था।

यही कारण था कि चारों भाइयों ने मिलकर कुछ समय बाद आइसक्रीम बनाने की सारी जानकारी को प्राप्त कर लिया और 1996 में इन्होंने खुद की बनाई हुई आइसक्रीम को बेचना शुरू किया।

करना पड़ा कई चुनौतियों का सामना

भूपत कहते हैं कि आइसक्रीम का प्रोडक्शन बढ़ते ही जा रहा था और ग्राहकों को भी हमारी आइसक्रीम काफी पसंद आ रही थी इसलिए हमने एक कंपनी के साथ जुड़कर काम करने का फैसला किया।

परंतु कंपनी के जुड़ने के बावजूद हमें खुद की एक कंपनी बनाने का ख्याल मन में आ रहा था और यही समय था जब हमने अपनी एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (GIDC)’ मैं अपनी एक यूनिट ( Sheetal ice cream) तैयार कर ली यहां पर वह 150 किलो दूध में प्रोसेसिंग करके आइसक्रीम तैयार करते थे।

भूपत बताते हैं कि कंपनी की शुरुआत हो गई परंतु कई समस्याएं सामने आने लगी कई बार गांव में 24 घंटे तक बिजली नहीं रहती थी यह सबसे बड़ी समस्या थी ।

इस दौरान वह कहते हैं, कि बिजली की समस्या तब सुलझ गई जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्योति योजना के तहत गुजरात के कोने कोने मैं बिजली पहुंचाने की ठानी थी ।

यही समय था जब बिजली की सारी समस्या सुलझ गई और इस दौरान हमने सरकार के मार्ग पर चलते हुए वहां पर अपने आइसक्रीम को 100% निर्यात करने का प्रयास कहां जहां बिजली रहती थी।

Sheetal Ice cream बनी बड़ी रोजगार कंपनी

इस कंपनी ने कई डेयरी प्रोडक्ट लॉन्च करने शुरू कर दिए थे और वर्ष 2012 में इस कंपनी का नाम बदल कर ‘शीतल कूल प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ रखा गया था।

इस दौरान भूपत बताते हैं कि उनकी कंपनी अब आइसक्रीम के साथ ही साथ दूध से बने अन्य प्रोडक्ट जैसे दही ,छाछ ,लस्सी को भी निर्यात करना शुरू कर दिया था।

Sheetal icecream ki safalta ki kahani

आज यह कंपनी प्रतिदिन 2 लाख दूध का प्रोसेसिंग कर आइसक्रीम और अन्य दूध से मिलने वाले प्रोडक्ट्स को मार्केट में निर्यात करती है।

भूपत कहते हैं कि हमारी कंपनी में 1500 कर्मचारी कार्य करते हैं जिनमें से 800 महिलाएं कर्मचारी है इसके साथ ही साथ वह दावा करते हैं कि हमारी कंपनी सबसे अधिक रोजगारदाता कंपनी है ।

अपनी कंपनी को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए चारों भाइयों ने मिलकर कई मुश्किलों का सामना करके सफलता हासिल की है चारों भाई उत्तम सोच इन्हें एक छोटे से पान दुकान से एक बड़ी कंपनी का मालिक बना दिया है,

जो प्रतिदिन 300 करोड़ से अधिक का बिजनेस करती है और बेरोजगारों को काफी अधिक रोजगार भी प्राप्त कर आती है।

आज चारों भाइयों ने अपनी छोटी सी पान और कोल्ड ड्रिंक दुकान को एक बड़ी आइसक्रीम कंपनी में बदल लिया है और अपनी प्रतिस्पर्धा और मेहनत के कारण सफलता का मुकाम हासिल कर लिया है।

लेखिका : अमरजीत कौर

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