आज हम बात करने वाले हैं 70 वर्षीय किसान किरण नायक के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि किरण नायक मूल रूप से नवसारी गुजरात के सरीखुर्द गांव में रहनेवाले है , किरण नायक 15 साल की उम्र से खेती करते आ रहे हैं ।
इसके बावजूद जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि किरण नायक को दसवीं की परीक्षा में 70% अंक मिले थे परंतु फिर भी उन्होंने आगे की पढ़ाई करने के बजाए अपने पिता के साथ खेती करने का निश्चय किया।
70 वर्षीय किरण नायक काफी छोटी उम्र से खेती से जुड़े हैं और समय के साथ साथ उनकी जिंदगी का सबसे लोकप्रिय विषय खेती बन गई । आज किरण नायक अपनी 10 एकड़ की जमीन में फलों की खेती करते हैं परंतु उनकी असली सफलता का कारण उनका वर्मी कंपोस्ट बिजनेस है ।
बातचीत के दौरान किरण नायक बताते हैं कि , मैं वर्ष 2005 से खेती के साथ ही साथ एक नए काम की तलाश में था क्योंकि खेती से उतनी अधिक कमाई नहीं हो पा रही थी , एवं इस दौरान मैंने एक न्यूज़ पेपर में सबसे पहली बार वर्मी कंपोस्ट के बारे में पढ़ा था और इस दौरान ही मुझे पता चला कि बारडोरी में वर्मी कंपोस्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है ।
हालांकि किरण नायक अभी भी रसायन वाली खेती करते परंतु फिर भी जब वह अपने पिता के साथ उनके खेतों में कार्य किया करते थे तब उनके पिता बिना रसायन वाली खेती किया करते थे।
उन्होंने पिता को देखा है कि पिता खेतों में बिना रसायन का उपयोग करके वर्मी कंपोस्ट तैयार करते थे , और इस कारणवश खेतों में पैदावार भी काफी अधिक होती थी परंतु आज के समय में हर किसान कीटनाशक का उपयोग करके खेती कर रहा है और इसी कारणवश किरण भाई भी अपने खेतों में जहरीली कीटनाशकों का उपयोग कर के खेती कर रहे हैं ।
अन्यथा सालों बाद यही कीटनाशक और केमिकल का उपयोग किरण नायक के खेतों के दुश्मन बन गए , किरण नायक ने न्यूज़पेपर में वर्मी कंपोस्ट के बारे में पढ़ने के बाद इसके प्रति और अधिक जानकारी एकत्रित करने का निश्चय किया इस दौरान उन्होंने गुजरात बारडोली में चलाई जाने वाली एक “सुरुचि” नामक संस्था से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की करीब 1 हफ्ते तक ट्रेनिंग ली ।
इस प्रकार शुरू हुआ जैविक वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि किरण नायक ने वर्मी कंपोस्ट की ट्रेनिंग लेने के बाद धीरे-धीरे इसका प्रयोग अपने खेतों में करना शुरू किया , और इस दौरान उन्होंने 10 किलो केंचुए के साथ एक छोटे से बेड से जैविक खाद बनाने की तैयारी शुरू की थी।
किरण नायक अपने द्वारा तैयार की गई खाद को अपने खेतों में तो उपयोग करते ही साथ ही साथ बची हुई खाद को अपने दोस्तों को दे देते थे , इस दौरान किरण नायक बताते हैं कि पहले 2 साल तक वह जैविक खाद का स्टॉक तैयार करके मुफ्त में लोगों को दे दिया करते थे ।
इस दौरान उन्हें काफ़ी अधिक नुकसान भी उठाना पड़ता था , इस दौरान किरण नायक के परिवार वाले काफी अधिक नाराज होते थे कि पैसे की बर्बादी की जा रही है परंतु फिर भी किरण नायक ने अपने काम पर विश्वास रखा और लगातार काम करते रहे ।
आखिरकार किरण नायक सफलता रंग लाई, किरण नायक ने अपनी खाद जिन जिन लोगों को दी थी सभी लोगों को अपने खेतों में इसके परिणाम नजर आने लगे और महज 2 साल बाद ही सभी लोगों ने खाद के लिए किरण नायक को ऑर्डर देने शुरू कर दिए और इस दौरान किरण नायक ने अपने बिजनेस को धीरे धीरे शुरू कर दिया ।
वर्मी कंपोस्ट तैयार कर जीते हैं कई अवार्ड , बनाई है एक अलग पहचान
करीब 2 साल बाद ही किरण नायक की सालाना 200 से 300 बैग्स खाद की बिक्री होने लगी और धीरे-धीरे किरण नायक ने अपने खेतों में भी केमिकल का उपयोग करना बंद कर दिया था , इसके साथ ही साथ किरण नायक कहते हैं कि इस बिजनेस के साथ जुड़ने के बाद उनकी कमाई में 20% से भी अधिक का मुनाफा हुआ है ।
70 वर्ष किरण नायक ना केवल वर्मी कंपोस्ट बिजनेस करके मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि इसके साथ ही साथ अब तक 5000 से अधिक किसानों को वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं अर्थात मैट्रिक पास किसान अपने इस मॉडल के तहत गुजरात राज्य सरकार के द्वारा अवार्ड से सम्मानित भी किए जा चुके हैं ।