सूफी संत कबीरदास कह कर गए हैं कि ,”बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागै अतिदूर।” जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि लीची का पौधा भले ही बड़ा ना होता हुए भी , इसमें फल भी नजदीक लगते हैं और यह घना होने के कारण पक्षियों को छाया भी देता है।
लीची फल की खेती करना बिहार के किसानों के लिए काफी अधिक लाभदायक साबित हो रहा है, इस फल की खेती करके बिहार के किसान काफी अधिक मुनाफा कमा ले रहे हैं अनुमान से कहा जा सकता है कि लीची की खेती करके किसान एक से डेढ़ लाख का मुनाफा आसानी से अर्जित कर ले रहे हैं ।
यह इलाका प्रसिद्ध है लीची उत्पादन के लिए
बिहार के मुजफ्फरनगर के किसान कृष्ण गोपाल आज अन्य किसानों के साथ जोड़कर लीची की खेती करके हजारों का मुनाफा कमा रहे हैं , वैसे तो बिहार का मुजफ्फरनगर लीची की खेती के लिए काफी तो है ही प्रसिद्ध है परंतु किसान कृष्ण गोपाल द्वारा नई तकनीकों का इस्तेमाल करके लीची की खेती को किया जाना कई किसानों की स्थिति को बदलने में कारागार है।
1 एकड़ जमीन में शुरू की खेती
बातचीत के दौरान कृष्ण गोपाल बताते हैं कि उन्होंने शुरुआत के दिनों में लीची के उत्पादन के लिए 1 एकड़ जमीन का उपयोग किया था और लीची की खेती करने के लिए उन्होंने लोगों से उधार लेकर इस काम को शुरू किया था करोना काल के दौरान उन्हें मुनाफे में कमी तो आई परंतु उन्होंने अपने काम को नहीं छोड़ा लगातार वह काम करते रहे और लगातार प्रयास से आज वह लीची की खेती से एक से डेढ़ लाख का मुनाफा आसानी से कमा लेते हैं ।
खेती के साथ-साथ करते हैं मार्केटिंग भी
कृष्णा गोपाल ने अन्य तरीकों से खेती करके कई किसानों को लाभ पहुंचाया है, इतना ही नहीं कृष्ण छोटे और सीमांत के किसानों को लीची की खेती करने के लिए अधिक प्रेरित करते हैं, इसके साथ-साथ वह छोटे किसानों को प्रेरित तो करते ही हैं और उन्हें फसलों को बेचने में परेशानी ना हो इसीलिए वह उनकी फसलों को खुद ही खरीद लेते हैं , अर्थात उनकी छोटे किसानों को भी फायदा हो जाता है और कृष्ण गोपाल इन फसलों को बड़ी कंपनियां जो प्रोडक्ट तैयार करती है उन्हें बेचकर अच्छा मुनाफा अर्जित कर लेते हैं।
जैविक खेती के द्वारा मिल रहा है महिलाओं को भी रोजगार
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आमतौर पर लीची की खेती गर्मी और बरसात के मौसम में सबसे अधिक लाभदायक है, लीची की खेती को करने के लिए दोमट मिट्टी और बालू मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है, अर्थात गोपाल लीची की खेती के लिए स्वयं ही जैविक खाद को तैयार करते हैं और इसका उपयोग करते हैं इससे मुनाफा कम लागत में अधिक हो जाता है और इसकी जानकारी कई किसानों को भी देते हैं ।
लीची के पौधे को आठ से 10 फीट की दूरी पर लगाया जाता है, लीची के पौधे के लिए कई ऐसे काम है जिसके लिए घरेलू औरतों की जरूरत पड़ती है इसके साथ ही साथ सिंचाई गुड़ाई बुआई एवं अन्य कार्यों के लिए कई मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है ,जिससे गांव के कई लोगों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।
मुंबई तक इस फसल की मांग है काफी अधिक
जानकारी के लिए आप सभी को बता दे कि भारत में लीची उत्पादन का महत्वपूर्ण केंद्र बिहार को माना जाता है, इसके साथ ही साथ दिया है बिहार राज्य लीची का उत्पादन भारत में पहले स्थान पर आता है , इस राज्य में लीची की बढ़ती फसल को देखते हुए इस राज्य में इस फसल को जीआई टैग भी दिया है ।
इस फसल की मांग अमेरिका जापान तक है इसके साथ ही साथ मुंबई जैसे शहर में भी बिहार की लीची की मांग बहुतायत बढ़ती ही जा रही है । आज बिहार के मुजफ्फरनगर गांव में कृष्ण गोपाल खुद तो लीची की खेती करके मुनाफा कमा ही रहे हैं इसके साथ ही साथ कई छोटे किसानों को लीची की खेती करने के लिए प्रेरणा भी दे रहे हैं ।
इसके साथ ही साथ लीची की खेती होने के कारण बिहार राज्य की कई महिलाओं को रोजगार की प्राप्ति भी हो रही है, अर्थात इसी कारणवश बिहार आज लीची उत्पादन में प्रथम स्थान पर है ।