पानी हमारे जीवन का प्राण तत्व है और हमारे जीवन का मूल सत्व है पर अफसोस हम प्राणी पानी की क़ीमत को सही से नहीं पहचान रहे है । पानी मानव जीवन का प्राण वायु है। जो निशुल्क है उसकी क़ीमत हम नहीं आंकते।यही मानव की सबसे बड़ी भूल है। मनुष्य के लिये हवा,पानी और रोशनी आदि अति आवश्यक है।यह कुदरत ने हम्हें निशुल्क प्रदान की है।
इन चीजों के बिना हमारा जीवन व्यर्थ है। पर अफशोस इस बात का है कि जो हमारे जीवन के लिये अति आवश्यक है और कुदरत ने निशुल्क प्रदान की है, उनका हम मूल्यांकन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे ही पानी, जो निशुल्क है, हम उसी पानी को बर्बाद कर रहे हैं। वर्षात का पानी पुराने समय हम कुंड में स्टोर करते थे उसे बर्बाद कर रहे हैं।
जब घर से बाहर जाते हैं तो प्यास मिटाने के लिये बोतल को ख़रीद कर प्यास बुझा रहे हैं।हम पानी का इतना दोहन कर रहे हैं कि कुछ वर्षों बाद यही पानी राशन से मिलने की नोबत आ जायेगी। अभी भी समय है कि समय रहते सचेत हो जाओ।जो निशुल्क है उसकी क़ीमत आंको।
नहीं तो जीवन बर्बाद हो जायेगा। इंसान के बनाए कृत्रिम उपहारों पर लाखों ख़र्च करनेवाले हम प्रकृति के इन उपहारों का मिलकर करे सही से सरंक्षण तभी होगा वसुंधरा पर, अनंत काल तक जीवन रक्षण !
गुलशन गुलज़ार है । हे मानव ! वक्त रहते हो जा सावधान, न डाल प्रकृति के संचालन में और अधिक व्यवधान न कर तू इस अद्वितीय प्रकृति का यूँ तिरस्कार आधुनिकता की दौड़ में, प्रकृति का ह्रदय चीर कर प्रगतिशील कहलाने की होड़ में, इसे करूप मत बना।
इसकी कीमत उस व्यक्ति से पुछे जिसे प्यास लग रही हो पानी पीने का उसके पास नहीं हो।प्रकृति की ये देन देख पाना हमारा हक़ नहीं हम पर एक उपकार है ,जिस उपकार के लिए हम ईश्वर और इस प्रकृति के कर्ज़दार हैं।अतः अब समय आ गया है इसे गफलत मत में गँवाओ । जल को जल नहीं, अमृत जानो, बूँद-बूँद कर इसे बचाओ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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