ADVERTISEMENT

आइये जाने कैसे फेसबुक का उपयोग करके पिंकिश फाउंडेशन ने लगभग 2 मिलियन महिलाओं की मदद की

Pinkishe foundation ki kahani
ADVERTISEMENT

अरुण गुप्ता ने वर्ष 2017 में दिल्ली में एक गैर सरकारी संगठन की स्थापना की थी जिसका नाम उन्होंने पिंकिश फाउंडेशन ( Pinkishe Foundation )  , यह फाउंडेशन मासिक धर्म के लिए लड़कियों को स्वच्छता और जागरूक बनाने का प्रयास कर रहा है।

यह कहानी उस वक्त से शुरू होती है जब ख्याति 16 वर्ष की थी और अपनी साहियका की बेटी की मदद के लिए पहुंची थी, उस वक्त उसने यह महसूस किया कि लड़की ने कभी भी सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं किया था और मासिक धर्म में आस पास फेंके हुए कपड़े के टुकड़े का इस्तेमाल करती है।

ADVERTISEMENT

मासिक धर्म की सार्थकता परेशानी को देखते हुए उसने उनकी इस समस्या को हल करने के लिए अपने पिता की अरुण गुप्ता की ओर इस का रुख किया।

ख्याति बताती है कि मैं यह समझ सकती हूं की महावारी के दौरान उस लड़की को किस परेशानी से गुजरना पड़ा होगा। और उसकी इस समस्या को हल करने के लिए 16 वर्ष की ख्याति ने अपनी सारी पॉकेट मनी उस लड़की के लिए सेनेटरी पैड खरीदने के लिए खर्च कर दी।

16 वर्ष की ख्याति ने एक सैलेरी पैड को एक लड़की को देकर उससे दूसरी लड़की की मदद करने के लिए कहा और एक अभियान शुरू कर दिया, इस दौरान अरुण कहते हैं कि हम समझते हैं कि समस्या कितनी गहरी थी और यही कारण था कि हमने और अधिक गहराई से काम करना शुरू किया।

अरुण बताते हैं कि ना केवल मुझे मेरी बेटी को भी भारत में होने वाले मासिक धर्म स्वच्छता और समानता और निराशाजनक स्थिति भारत में देखने के लिए मिली थी इस तरह उन्होंने महसूस किया कि निराशाजनक स्थिति को मिटाने के लिए सतह को खरोदने के लिए काफी गहराई की आवश्यकता होगी।

इस स्थिति ने अरुण को 2017 में पिंकीश फाउंडेशन की शुरुआत करने के लिए मजबूर कर दिया, अरुण ने इस फाउंडेशन की शुरुआत एक गैर सरकारी संगठन के रूप में की थी जो मासिक धर्म मैं फैली और अस्वच्छता को स्वच्छता में बदलने के लिए कार्य कर रहा है।

जहां अरुण ने इस फाउंडेशन को संभालने की कमान संभाली वही उसकी बेटी ने युवाओं को आगे आकर इसके लिए प्रेरित किया था कि वे अन्य महिलाओं एवं लड़कियों की इस अस्वच्छता स्थिति को सही कर पाए।

मासिक धर्म में होने वाली स्वच्छता की जागरूकता की कमी महिलाओं की स्वास्थ्य पर सबसे अधिक इसका असर पड़ना सबसे बड़ी महामारी है। समुदाय के दृष्टिकोण से चलने वाला फाउंडेशन केवल दो लोगों के साथ शुरू हुआ था परंतु आज यह फाउंडेशन के साथ कई महिलाएं जुड़ चुकी है और पूरे भारत देश में इस की 50 शाखाएं हैं।

इस दौरान अरुण कहते हैं कि मासिक धर्म में महिलाओं के बीच में स्वच्छता फैलाने का यह आंदोलन केवल फेसबुक पर बनाए गए एक ग्रुप के द्वारा ही सफल हो पाया है। अरुण कहते हैं कि फेसबुक एक ऐसा माध्यम है जो अन्य क्षेत्रों को एक साथ जोड़ता है।

हमने तो भारत में हमारी के दौरान स्वच्छता जागरूक करना था , अगर फेसबुक से जुड़े लोगों लोग हमारी सहायता नहीं करते तो आज महिलाओं की मासिक स्थिति में कभी भी सुधार नहीं आ पाता परंतु आज मासिक धर्म की सुरक्षा की जागरूकता काफी अधिक फैल गई है केवल हम ही नहीं हमारे साथ 50 से अधिक शाखाएं जुड़ गई है जो इस कार्य में हमारी सहायता करती है और पूरे भारत देश में महिलाओं के बीच में मासिक धर्म की स्वच्छता को जागरूक कर रही हैं।

अरुण कहते हैं कि फेसबुक में पिंकिश फाउंडेशन को ना केवल भारत में बल्कि ग्लोबल बनाने में काफी मदद की है फेसबुक द्वारा 2021 में एक प्रोग्राम में 21 समुदाय में से एक पिंकिश फाउंडेशन है जो महिलाओं को महामारी के दौरान स्वच्छता के लिए जागरूक कर रहा है।

अरुण बताते हैं कि आज हम WASH युनाइटेड, बर्कले, कनाडा और कई अन्य स्थानों के लोगों के साथ काम और यह केवल फेसबुक जैसे प्लेटफार्म के कारण ही संभव हो पाया है।

अरुण कहते हैं भले ही जमीन स्तर पर हमने फाउंडेशन की शुरुआत नहीं की हमने फाउंडेशन की शुरुआत फेसबुक पर की परंतु आज फेसबुक के द्वारा ही इस फाउंडेशन की गूंज दूर-दूर तक पहुंच चुकी है।

अरुण बताते हैं कि मैं महिलाओं को जागरूक करने के लिए आसाम के एक गांव में गया था , और इस दौरान वहां नाकाबंदी होने के कारण मैं उन महिलाओं को जागरूकता के लिए नहीं समझा पाया और ना ही उन्हें सेनेटरी पैड प्रदान कर सका।

परंतु वहां की महिलाएं सहायता के लिए नजदीक के पुलिस स्टेशन में पहुंची और उस वक्त उन्होंने मुझे फेसबुक पर पाया और मदद के लिए मुझे टैग किया और हम अगले ही दिन आसाम में सभी महिलाओं की मदद के लिए पैड्स को पहुंचाने में कामयाब रहे।

अरुण कहते हैं कि हम अपने फाउंडेशन के द्वारा स्कूल में जाकर वर्कशॉप करते हैं और बच्चों को इसके बारे में जागरूक करते हैं और उन्हें सेनेटरी किट भी प्रदान करते हैं। अरुण कहते हैं कि हम स्कूल

में जाते हैं और बच्चों को शिक्षित करते हैं इसके साथ ही साथ वहां उपस्थित सभी शिक्षक गण इसमें हमारी पूर्ण रूप से मदद करते हैं ताकि बच्चे महामारी में होनेवाली स्वच्छता के लिए हमेशा जागरूक रहें।

अरुण बताते हैं कि अभी तक उन्होंने अपने फाउंडेशन 2 मिलियन से अधिक महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन प्रदान कर चुके हैं। उनका कहना है कि हालकी महिलाओं के इस नतृत्व वाले संगठन में कुछ पुरुषों में से एक अकेला पुरुष हूं। उनका कहना है कि इस जागरूकता की स्थिति में लड़का और पुरुषों को शामिल करना काफी जरूरी है।

इसके साथ ही साथ इस फाउंडेशन में महिलाओं को अपने साथ जागरूकता फैलाने के लिए जोड़ना और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस जागरूकता को फैलाने में महिलाएं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। यही कारण है कि अरुण ने महिलाओं और लड़कों को

अपने साथ जोड़ कर पिंकिश फाउंडेशन पूरे भारत देश के साथ-साथ अलग-अलग देशों में तो इसका प्रचार कर ही रहे हैं इसके साथ ही साथ महिलाओं की मासिक धर्म में जिस स्वच्छता की जरूरत है उसके लिए सभी महिलाओं को जागरूक करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

आज अरुण द्वारा स्थापित किया गया यह फाउंडेशन कई महिलाओं की स्थिति को सुधार रहा है और उसे सेनेटरी पैड के प्रति सुरक्षित और स्वच्छता रहने के लिए जागरूक भी कर रहा है। आप किसी भी प्रकार से अरुण की मदद करने के लिए सामर्थ है तो आप उसके फेसबुक पिकीश फाउंडेशन से जुड़ सकते हैं और सभी जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं।

लेखिका : अमरजीत कौर

यह भी पढ़ें :

डॉक्टरों द्वारा की गई पहल का नतीजा ! आदिवासी हेयर ऑयल से लेकर बना रहे हैं अचार, हो गई है आदिवासियों की आय कई गुना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *