जैसे की हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक रूप से खेती करने के लिए प्राकृतिक खाद की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, ऐसी स्थिति में रामगढ़ के रहने वाले प्रशांत ओझा किसानों को अमृत जल के द्वारा प्राकृतिक रूप से खाद बनाने की विधि सिखाते हैं। प्राकृतिक खाद का उपयोग करने से फसलों की स्वादिष्ट और पौष्टिक उपज होती है।
प्राकृतिक खेती करके हमारे देश के किसान कृषि क्षेत्र में अच्छी गुणता वाली उपज को हासिल कर सकते हैं इसके साथ ही साथ अपनी आजैविका को बढ़ा सकते हैं परंतु यह सब करने के लिए देश के किसानों के पास जागरूकता और शिक्षा की कमी है।
परंतु प्राकृतिक खेती करने के लिए सबसे जरूरी प्राकृतिक खाद है और यह प्राकृतिक खाद हर किसान अपने घर एवं खेतों में उपलब्ध संसाधनों से तैयार कर सकता है।
परंतु सबसे पहला तथ्य यह है कि मौजूद संसाधनों का उपयोग करके किस प्रकार से प्राकृतिक खाद को तैयार किया जाए यह सब की सही जानकारी किसानों के पास नहीं उपलब्ध होती है ,परंतु कई लोग ऐसे हैं जो इस विषय में किसानों की मदद कर रहे हैं जिसमें से एक व्यक्ति रामगढ़ के पतरातु में रहने वाले प्रशांत ओझा है।
प्रशांत ओझा प्राकृतिक खाद बनाने के लिए तमाम किसानों को जागरूक कर रहे हैं और उनके लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। प्रशांत ओझा अपने प्राकृतिक खाद बनाने के तरीके से बताते हैं कि वह किस प्रकार घर से निकलने वाले कचरे का सही प्रबंधन करके सही रूप से खाद तैयार किया जा सकता है।
इसके अलावा प्रशांत बताते हैं कि आसपास पेड़ से गिरने वाले पत्तों को इकट्ठा करके भी उसका इस्तेमाल खाद बनाने के रूप में करते हैं, प्रशांत का कहना है कि लोग इन पत्तों को इकट्ठा करके जला देते हैं और वायु प्रदूषण करते हैं। इस प्रकार अगर उनसे प्राकृतिक खाद तैयार कर ली जाए तो वायु प्रदूषण भी कुछ हद तक कम होगा।
सीईओ सिद्धार्थ जयसवाल से हुआ संपर्क :-
प्रशांत ओझा बताते हैं कि उन्हें पर्यावरण मैं काफी रुचि थी और वह पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए कुछ करना चाहते थे। प्रशांत ओझा कहते हैं मेरा संपर्क बिरसा एग्रीक्लचर यूनिवर्सिटी के बीपीडी डिपार्टमेंट के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल से हुआ. वह कहते हैं कि इसके बाद ही मैंने प्राकृतिक खाद बनानी तैयार की थी और इस कार्य में सिद्धार्थ जयसवाल ने मेरी तकनीकी सहायता की थी।
प्रशांत ओझा कहते हैं कि प्राकृतिक खाद तैयार करते समय सिद्धार्थ जयसवाल ने मुझे बताया कि सब्जियों में न्यूट्रीशन को वापस लाने के लिए प्राकृतिक खाद का उपयोग करना बेहद आवश्यक है। प्रशांत कहते हैं कि यही कारण था कि मैंने प्राकृतिक खाद बनाना तैयार किया उस वक्त उनकी टीम में केवल 6 लोग शामिल थे।
किचन वेस्ट पदार्थ और ब्राउन वेस्ट पदार्थों से बनाते हैं प्राकृतिक खाद ( कंपोस्ट)
इसके बाद प्रशांत ओझा कहते हैं कि जब पतरातु में थर्मल पावर प्लांट का निर्माण हुआ, तब वहां मैंने वेस्ट पदार्थों से कंपोस्ट खाद बनाने का प्रपोजल दिया था। प्रशांत ओझा बताते हैं कि इसके बाद ही मैंने अमृत जल से कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया को शुरू किया था।
इसके अलावा प्रशांत ओझा ने किचन वेस्ट कैसे सब्जियों के छिलके ,इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती इत्यादि एवं ब्राउन बेस्ट पदार्थ जैसे आसपास के क्षेत्रों में पेड़ों से गिरने वाली सुखी पत्तियां का इस्तेमाल करके भी कंपोस्ट खाद तैयार किया है। प्रशांत वह बताते हैं कि इस प्रक्रिया से प्राकृतिक खाद को तैयार करने से प्राकृतिक खाद में न्यूट्रीशन की मात्रा भरपूर रहती है।
इस प्रकार तैयार होता है उच्चतम क्वालिटी का प्राकृतिक खाद (कंपोस्ट)
प्रशांत ओझा बताते हैं साधारणतः उच्चतम क्वालिटी का प्राकृतिक खाद तैयार करने के लिए 65 से 70 दिन का समय लग जाता हैं, परंतु अमृत जल के इस्तेमाल से उच्चतम गुणवत्ता वाली प्राकृतिक खाद को तैयार करने में 35 से 40 दिन का समय लगता है, और यह कृषको एवं कृषि मैं काफी फायदेमंद होता है।
प्रशांत ओझा का कहना है कि अमृत जल के इस्तेमाल से प्राकृतिक खाद को बनाने का तरीका काफी आसान है,इसके लिए केवल गाय का गोबर और गोमूत्र की आवश्यकता होती हैं।
अमृत जल से किस प्रकार बनते है प्राकृतिक खाद( कंपोस्ट)
प्रशांत ओझा बताते हैं कि अमृत जल से प्राकृतिक खाद को बनाने की विधि काफी आसान है। वह कहते हैं कि इस विधि से कंपोस्ट तैयार करने के लिए सबसे पहले किचन वेस्ट पदार्थ और ब्राउन वेस्ट पदार्थों को एक साथ मिलाया जाता है उसके बाद इस के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं।
इसके बाद प्रति किलो वेस्ट पदार्थ में एक चम्मच अमृत जल मिलाया जाता है। उसके बाद पुनः सभी पदार्थों को अच्छे से मिलाया जाता है। इसके बाद सभी पदार्थों को क्युरिंग यूनिट मैं रखा जाता है जहां पर प्राकृतिक खाद तैयार होता है।
प्रशांत ओझा बताते हैं कि प्राकृतिक खाद में नमी को बरकरार रखने के इसमें डाइल्यूटेड अमृत जल मिलाया जाता है, इसके बाद सभी पदार्थों को अच्छे से मिलाने के बाद इसे 35 से 40 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि प्राकृतिक खाद में मौजूद बैक्टीरिया तेजी से कार्य करना शुरू कर दें.।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि प्राकृतिक खाद यानी कंपोस्ट दिखने में चाय पत्ती की तरह नजर आता है। इसके अलावा प्रशांत ओझा बताते हैं कि जो किसान कंपोस्ट पदार्थ तैयार करना सीखना चाहते हैं ₹20 प्रति लीटर की दर से अमृत जल ले जाता है और ₹12 की दर से प्रति लीटर प्राकृतिक खाद दिया जाता है।
स्वास्थ्य रहने के लिए फैमिली डॉक्टर नहीं फैमिली फार्मर की है आवश्यकता :-
प्रशांत ओझा बताते हैं कि उनकी संस्था देवराजे ऑर्गेनाइजेशन पर सोशल सर्विसेज से पूरी तरह से सपोटिंग सिस्टम के साथ जुड़ी हुई है। इसके साथ ही साथ अब वे फैमिली डॉक्टर नहीं बल्कि फैमिली फार्मर रखने की सलाह देते हैं।
क्योंकि उनका मानना है कि स्वस्थ एवं अच्छे खान-पान से हमें फैमिली डॉक्टर की आवश्यकता कभी नहीं पड़ेगी और यह तभी हो पाएगा जब किसानों को अच्छा उत्पाद करने के लिए प्रेरणा दी जाए इसके साथ ही साथ वह कहते हैं कि अच्छी उपज के लिए हमें किसानों को हमेशा प्रेरित करना चाहिए।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें की रामगढ़ के प्रशांत ओझा कंपोस्ट खाद बनाकर एवं किसानों को इसके बारे में जागरूकता फैलाने के कार्य के लिए भारत सरकार के द्वारा इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
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