संयम की अप्रमत ज्योति साध्वी श्री डॉ. कुन्दन रेखा जी को उनके संयम जीवन की स्वर्ण जयन्ति वर्ष में प्रवेश पर “प्रदीप” का भावों से शत – शत वन्दन । भारत की इस पवित्र धरा पर जहाँ अनेकानेक महापुरुषों का अवतरण हुआ है तो अनेकानेक सतियां भी इस भूमि पर अवतरित हुई हैं ।
भारतीय संस्कृति में जिस प्रकार महापुरुषों का स्मरण बड़े आदर के साथ किया जाता है ठीक उसी प्रकार सतियां का नाम भी बड़े आदर व सम्मान के साथ लिया जाता हैं । संयम पर्याय के 50 वे वर्ष में प्रवेश करने वाली साध्वी श्री जी प्रतिभा का अपरिमित खजाना है ।
यह प्रतिभा का अपरिमित खजाना मस्तिष्क के तहखाने में सबको कुदरत से मिलता है पर उस खजाने की चाबियां अंतर्दृष्टि सम्पन्न व्यक्तित्व को ही उपलब्ध हो सकती है ।अपनी क्षमताओं को खूंटे और जंजीर से बांधने वाला कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है ।
साध्वी श्री डॉ. कुन्दन रेखा जी जीवन के किसी भी मोड़ पर पहुँची उनकी असाधारणता सदा उनके साथ रही । आप बचपन में सहज , सरल , विनम्र और शांत आदि थी । आवेग और संवेग पर आपका नियंत्रण है ।
आप मितभाषी है और अपने कार्य में ही मस्त और आनंदित रहती है । किसने सोचा था की हिसार हरियाणा सिंगल परिवार में ज्येष्ठ कृष्णा 12 विक्रम सम्वत् 2012 को जन्मी 20,21 वर्ष की आयु में पौष कृष्णा 3 विक्रम सम्वत् 2032 को लाडनूं में आचार्य श्री तुलसी से दीक्षित यह भोली – भाली सूरत वाली तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी श्री डॉ. कुन्दन रेखा जी के रूप में विकास कर आज हमारे सामने होगी ।
चिंतन की प्रौढ़ता , अनुभवप्रवणता एवं आदि से थोड़े ही समय में आपने धर्म संघ के चारो तीर्थ ( साधु , साध्वी , श्रावक , श्राविका ) में अपना अप्रतिम स्थान बना कर आचार्य श्री तुलसी जी के विश्वास को सफल किया ।
तेरापंथ धर्म संघ में प्रवेश कर पाँच महाव्रत स्वीकार करते ही गुरु आज्ञा और साध्वचार में पूर्ण जागरूकता का अखंड संकल्प आपके रोम- रोम में व्याप्त हो गया । आपने साधु जीवन की सम्यक् आराधना का लक्ष्य बनाकर आचार, व्यवहार और शिक्षा के पायदान पर आरोहण का क्रम प्रारंभ किया ।
आपके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक संतुलन आदि का चमत्कार ही मानना चाहिए कि आप हर कदम पर सफल रही ।आपने तत्व ज्ञान व कई सूत्र आदि को कंठस्थ कर उसका अर्थबोध के साथ मनन और अनुशीलन कर साधु जीवन की ठोस भूमिका का स्पर्श किया । आपने प्रणत भाव से गुरु निर्देश को शिरोधार्य कर बड़ी सजगता से दायित्व का निर्वहन किया ।
गुरु के अगाध विश्वास की नींव पर आप सदा टिकी हुई है जिससे आपका समर्पण, कर्तव्यनिष्ठा और कार्य- सम्पादन का कौशल आदि मुखरित हो उठा । अपने आदर्श , अपने गुरुओं की नजरों में शत – प्रतिशत नहीं बल्कि 125 प्रतिशत आप खरी उतरी है ।
ज्ञान- दर्शन और चारित्र की समन्वित प्रगति से आपके आभामंडल में एक चुम्बकीय आकर्षण है । गुरुओं द्वारा समय – समय पर उद्घृघृत शब्दावली आप दोनों की स्थायी प्रसन्नता में चार चांद लगाने वाली है ।
आप साध्वी श्री जी का जीवन पवित्रता का पुंज है । आपके गुण अपने आपमें अप्रतिम और बेजोड़ हैं । प्रखर वक्ता होने के साथ – साथ आपकी क्षेत्रों की सार – सम्भाल आदि सबको बहुत प्रभावित कर रही है ।
वह आकर्षण सबको अपनी लक्षित मंजिल की और जोड़ता है । आपके जीवन को किसी भी छोर से जाना जाए तो लगता है कि आपका जीवन प्रेम , प्रसन्नता , पवित्रता और पुण्य का साक्षात पर्याय हैं ।
अपने उपपात में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु पर आप मुक्तभाव से प्रेम बाँटती है । इसी विस्तृत प्रेमधारा के कारण सबको आपमें ममतामयी माँ का रूप दृष्टिगोचर होता है ।
आपका मुस्कानयुक्त चेहरा , नामोल्लेखपूर्वक जीकारा तथा वात्सलयपूर्वक व्यवहार आदि सबके दिल को छू जाता हैं। आपके चरणों में बैठकर श्रावक – श्राविकाएं अपनी व्यक्तिगत , पारिवारिक और सामाजिक अंतर्वेदना प्रस्तुत कर परम संतोष का अनुभव करते है और बदले में पाते है प्रेम और सिर्फ प्रेम| कुछ समय पूर्व आपके दिल्ली प्रवास के समय मेरे को भी सेवा, सुश्रुषा का लाभ मिला ।
आपकी सेवा सुश्रुषा ने मेरे को भीतर से आह्लाद उत्पन्न कर आप्लावित कर दिया था । साध्वी श्री सौभाग्ययशा जी , साध्वी श्री कल्याणयशा जी भी आपकी संयम यात्रा में सहयोग प्रदान कर रही है ।
आपके 50 वर्षों के संयम जीवन को देख समझ कर मन प्रफुल्लित और रोमांचित हो उठता है । जैसे नयन हंसते झील में मानो कमल है । हंसते नयनों को झील में कमल की उपमा के समान साधु जीवन को आप दोनों ने चमत्कृत कर दिया है ।
आप धर्म संघ के विकास में नए – नए स्वस्तिक परमपूज्य युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सन्निधि में उकेरती रहे , वह जुड़ाव सदा बना रहे , यही उत्तम चाह है , यही मंगलकामना ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
(23- 12- 2024)
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