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सफल जिंदगी

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एक घटना प्रसंग किसी ने पूछा सफल जिंदगी क्या हैं तो सामने वाले से उतर मिला कि आज के समय में सफल जिंदगी वो हैं जिसके पास अर्थ की बहुलता हैं और बाकि किसी की भी सफल जिंदगी नहीं हैं तो पहले वाले ने कहा कि जिसके इच्छाएँ थम जाएँ तो उसके जीवन को क्या कहेंगे ?

यह सुनकर वह कुछ नहीं बोला और दूसरा व्यक्ति शान्त हो गया । इंसान की इच्छा आकाश के समान अनंत हैं जो चाहता हैं उससे और पाने की मृगतृष्णा में चला जाता हैं।

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इंसान पानी की इच्छा करता हैं और जब मिल जाए तो दूध की इच्छा उसकी पूर्ति हो जाए तो और कोई इच्छा इस प्रकार इच्छा अपना मायाजाल फैलाती रहती हैं और हम उस मायाजाल के भँवर में फँसते चले जाते हैं । हमारी आवश्यकताएँ शरीर की होती हैं और इच्छाएँ मन की होती हैं ।

आवश्यकता पूरी हो गई शरीर प्रसन्न हो जाता हैं पर इच्छाएँ पुरी हुई कि और आ धमकती हैं। हमें भूख लगी रोटी, सब्जी, दाल से पेट भर गया और शरीर प्रसन्न पर इच्छा Five Star का मन करती है । मौसम अनुसार कपड़े मिल जाएँ तो शरीर प्रसन्न पर इच्छा ब्रांडेड का मन करती है।

आवश्यकतानुसार मकान हो गया ठीक है पर मन कि इच्छा यह कहती है कि मकान हो ऐसा कि धनवान दीखूँ । आज प्रायः हम देखते हैं कि बाथरूम में इतनी शीशियाँ हैं क्या यह सभी आवश्यकताएँ हैं? कहने का तात्पर्य यह हैं कि हमारी जरूरतें कम दिखावे व स्पर्धा में खर्च दनादन है ।

ये इच्छाएँ ऐसे तो हमको पागल कर देगी । अगर हमको संतोषजनक जीवन जीना है तो हम आवश्यकताओं तक सीमित रहे इच्छाओं पर No Entry लगाए अन्यथा इच्छाओं को पूरी करते-करते हम हमारा पूरा जीवन उसी में गवाँ देंगें ।

यदि हमारे प्राण रहते इच्छाएँ थम जाएँ तो वह जीवन उच्चतम एवं असाधारण हुआ इस आधार पर हम सफल संतोषजनक जीवन को समझ सकते हैं ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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