आइए मिलते हैं नवसारी गुजरात स्थित गणदेवा गांव के रहने वाले संजय नायक और उनकी पत्नी अजीता नायक से , दंपत्ति ने मिलकर अपने आम के बगीचे में आम का एक अद्भुत बिजनेस मॉडल तैयार किया है एवं 15 से अधिक प्रोडक्ट बनाकर करोड़ों का मुनाफा कमा लिया है।
खेती एक ऐसा पेशा है जिसमें अगर हम बाजार को ध्यान में रखकर कार्य करें तो हम अधिक मुनाफा अवश्य कमा सकते हैं।
आज हम आपको कुछ ऐसे ही खेती करने वाले एक ऐसे दंपत्ति की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने आम के फल से प्रोसेसिंग के द्वारा तैयार कर अन्य प्रोडक्ट बनाए हैं और मार्केट में इन्हें लाकर करोड़ों का मुनाफा कमा लिया है।
खबरों से पता चला है कि 1984 में गुजरात के रहने वाले संजय नायक अपने काम को छोड़कर, अपने माता के साथ खेती करने के लिए जुड़े थे उस वक्त उन्होंने खेती को एक प्रकार का बिजनेस ही समझा था।
संजय नायक ने अपनी आम की फसल को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कई नए प्रयासों का सहारा लिया था। आज उनके खेती के बिजनेस के साथ उनकी पत्नी बेटा बहू खेती के बिज़नेस (Fruit Pulp Business) से जुड़ गए और एक साथ कार्य कर रहे हैं।
वर्ष 2007 में संजय नायक ने ऐसी प्रोसेसिंग यूनिट तैयार की जिससे वे आम सहित अन्य 15 फलों का पल्प निकालकर पूरे देश में निर्यात कर रहे थे। इस प्रकार उनका मुनाफा बढ़ता जा रहा था और वह इस बिजनेस से सालाना एक करोड़ से अधिक का मुनाफा कमा ले रहे थे।
नवसारी गुजरात के रहने वाले संजय नायक 36 साल से खेती कर रहे थे और उनकी मेहनत और उन्नति के बल पर उन्हें राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
संजय नायक और उनकी पत्नी अनीता नायक इलाके के प्रगतिशील किसानों में से एक है, यह अपने फ्रूट पल्प बिजनेस मैं काफी अधिक तरक्की रहे हैं।
जब मुसीबत आती तो आईडिया भी अपने आप प्रकट हो जाते हैं
जानकारियों से पता चला है कि वर्ष 1984 से पहले संजय गवर्नमेंट कंडक्टर का काम कर रहे थे, उनकी पारिवारिक फसलें थी जिन पर उनकी मां खेती का काम करती थी और आम की खेती भी करती थी परंतु माता के निधन के बाद संजय ने पारिवारिक खेती से जुड़ने का फैसला लिया।
संजय का कहना है कि मैंने कृषि को एक बिजनेस के रूप में ही देखा जिस तरह एक बिजनेसमैन अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए जी जान से मेहनत करता है उसी प्रकार किसान को भी अपनी फसलों को सही दाम में बेचने के लिए पूरी कोशिश करनी चाहिए।
संजय बताते हैं कि खेती से जुड़ने के बाद सबसे पहले मैंने अल्फांज़ो आम की खेती करना शुरू की थी। और वह अल्फांजो आम की फसल को एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसाइटी मैं बेच देते थे और वहां उन्हें अपनी फसल पर सही मुनाफा भी प्राप्त होता था।
संजय नायक बताते हैं कि जब मैं आम की बिक्री कर रहा था तब 1997 मैं मुझे यह ज्ञात हुआ कि जहां हम ₹100 में आम बेच रहे हैं वहीं सूरत में ₹200 में आम बेचे जा रहे हैं।
इस दौरान रिटेल मार्केट से डायरेक्ट आमों को बेचने का प्रयास किया उन्होंने बताया कि यही वक्त था जब रिटेल मार्केट से डायरेक्ट आम बेचने पर 15 से 20 बॉक्स वापस आने लगे।
संजय नायक बताते हैं कि तब उन्हें ज्ञात हुआ कि व्यापार में परेशानी आती जाती रहती है उसी समय उन्होंने समाधान के लिए सोचा कि क्यों ना वापस आए आम का पल्प तैयार कर लिया जाए।
इसके बाद वे प्रोसेसिंग कर आम का पल्प निकालकर फ्रोजेन पल्प (Fruit Pulp Business) तैयार करने लगे।
यही वक्त था जब उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया और खेती से जुड़ गई इस दौरान उनकी पत्नी ने खुद आगे बढ़कर नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क किया और प्रोसेसिंग ट्रेनिंग से संबंधित एक प्रोग्राम में हिस्सा लिया।
दंपत्ति के जीवन का टर्निंग प्वाइंट
यहीं से संजय और अजीता के जीवन का टर्निंग प्वाइंट शुरू होता है, यह समय था जब उन्होंने प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी प्राप्त कर काम करने का फैसला किया।
इन दिनों को याद करते हुए अजीता बताती हैं कि, जितने बॉक्स वापस आते थे वह उससे प्रोसेसिंग करके आम का पल्प बना लेती थी और शादी एवं अन्य समारोह में इन्हें बिक्री कर देती थी, कुछ समय उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा परंतु 1 साल के बाद उन्होंने 50000 से अधिक पल्प की बोतलों का निर्यात किया।
वर्ष 2007 में दोनों दंपत्ति ने मिलकर एक नई प्रोसेसिंग यूनिट तैयार की जिसका नाम उन्होंने
“Deep Fresh Frozen Products” यूनिट रखा हुआ। इस यूनिट को तैयार करने के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया और लगभग 70 लाख इस यूनिट को तैयार करने में लगाएं।
तैयार की गई यूनिट में वह फ्रोज़ेन फ्रूट पल्प (Fruit Pulp Business) को तैयार करते थे। खेती से जुड़ा हुआ सारा काम पति संजय निवास संभालते थे और फैक्टरी से जुड़ा हुआ सारा काम उनकी पत्नी अजीता और उनका बेटा संभालते थे।
वर्ष 2007 से लेकर 2013 तक इन्होंने अपने बिजनेस की मार्केट में अच्छी पकड़ बना ली एवं आसपास के क्षेत्रों से पूरे देश में फ्रोजन प्रोडक्ट की बिक्री करने लगे।
फ्रोजन प्रॉडक्ट्स को बेचने के लिए नहीं जाना पड़ता है अब बाहर
फिलहाल संजय निवास अपने बागान में अल्फांजो सहित तोतापुरी, केशर, दशहरी, लंगड़ा सहित 37 किस्मों के आम उगते हैं। परंतु प्रोसेसिंग के लिए वह केवल अल्फांज़ो और केशर का अधिक इस्तेमाल करते हैं।
आज संजय निवास के पास करीबन 20 एकड़ खेत है जिसमें वह आम सहित अन्य फल जैसे , चीकू और नारियल भी उगा रहे। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी जामुन सीताफल को अपने खरीदारों से खरीद कर अपनी फैक्ट्री में इसका पल्प निकालकर निर्यात करते हैं।
संजय निवास बताते हैं कि अब हमें अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है बल्कि आम को खरीदने के लिए ग्राहक खुद हमारे खेत तक पहुंच जाते हैं और अन्य ग्राहक फोन कॉल पर आर्डर दे देते हैं।
संजय मुनाफे के बारे में बताते हैं तो कहते हैं कि प्रोसेसिंग के द्वारा मुनाफा अधिक कमा ले रहे हैं साल भर में प्रोसेसिंग के द्वारा इनका मुनाफा 1 करोड़ रुपए तक हो जाता है।
इस प्रकार संजय निवास और उनकी पत्नी अजीता निवास ने मिलकर आम को अपना बिजनेस मॉडल बनाकर प्रोसेसिंग के द्वारा एक छोटा पल्प बिजनेस तैयार किया और आज वे इस बिजनेस के द्वारा इतनी तरक्की कर चुके हैं कि आज वह साल भर में एक करोड़ का मुनाफा कमा ले रहे हैं और कृषि क्षेत्र में प्रगति करने के लिए राज्य एवं प्रदेश के स्तर पर कई पुरस्कार भी पा चुके हैं।