भारत एक ऐसा देश है जहां गुरुओं को भगवान के बराबर दर्जा दिया जाता है। भारत में गुरु खुद से ज्यादा अपने छात्रों को शिक्षा देने को अहमियत रखते हैं। वे शिक्षा को पैसे से नहीं जोड़ कर देखते। आज हम एक ऐसे ही शिक्षक की कहानी जानेगे।
यह देश विदेश में हजारों छात्रों को गणित की ऑनलाइन क्लासेस दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं भटिंडा के सरकारी शिक्षक संजीव कुमार की। वह शिक्षा के महत्व को समझते हैं और छात्रों के प्रति अपने कर्तव्य को भी समझते हैं।
इसीलिए उन्होंने ऑनलाइन क्लास के लिए अपने जेब से खर्च कर हजारो छात्रों को शिक्षा देने का कदम उठाया है उनसे प्रेरणा लेकर दूसरे शिक्षक भी इस तरह के कामों के लिए प्रेरित होंगे।
भटिंडा के रहने वाले संजीव कुमार शाम 4 बजे ऑनलाइन सेशन की तैयारी करते हैं। उनके पास बच्चों को पढ़ाने का लगभग 18 साल का अनुभव है। वह केंद्रीय विद्यालय में गणित के शिक्षक के रूप में नियुक्त हैं।
लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस महामारी के चलते डिजिटल स्पेस पर सब कुछ ढंग से होने से स्कूल के साथ-साथ बच्चों को वह मुफ्त में ऑनलाइन क्लास भी दे रहे हैं। वह ऑनलाइन सेशन करने के लिए दो लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं।
एक लैपटॉप पर zoom ऐप चलाते हैं और दूसरे पर नोट्स बनाते हैं, जो उन्हें ऑनलाइन बच्चों के साथ शेयर करनी होती है। इसके अलावा उनके पास उनकी टेबल पर पानी होता है, कुछ किताबें होती है, मार्कर, पेन आदि भी होते हैं।
उनके रूम में एक वाइट बोर्ड लगा है जिस पर संजीव कुमार ऑनलाइन सेशन लेते हैं। उनका ऑनलाइन सेशन रोजाना शाम को 4 बजे से 7 बजे तक चलता है।
संजीव कुमार दुनियाभर में आठवीं कक्षा और उसके ऊपर के छात्रों को ऑनलाइन गणित की क्लास लेते हैं। संजीव कहते हैं कि लोगों में यह धारणा होती है कि सरकारी स्कूल के शिक्षक हर महीने केवल अपना वेतन लेता है और कोई काम नहीं करता है।
लेकिन मैं लोगों की सोच को बदलना चाहता हूँ। लोगों की सोच को बदलने के लिए ही संजीव ने इस दिशा में अपने स्तर से यह छोटा सा कदम उठाया है।
पिछले साल मार्च में जब लॉकडाउन लगाया गया था तब संजीव ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे जहां पर बच्चे अपनी पढ़ाई को जारी रख सके। आज निजी संस्थान जिस तरह से बच्चों से अतिरिक्त शुल्क वसूल रहे हैं उससे वह काफी ज्यादा निराश था।
वह बताते हैं कि काफी रिसर्च के बाद उन्हें यह समझ में आया कि बच्चों तक कैसे पहुंचे और उन्हें सिखाने के लिए टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल करें।
29 मार्च 2020 में संजीव ने पहली बार गणित विषय की ऑनलाइन क्लास ली, जिसमें 50 बच्चे शामिल थे। यह बच्चे उनके दोस्त और परिवार के बच्चे थे। इसलिए यह संजीव के लिए एक टेस्ट सेशन की तरह था।
उनका प्रयोग काफी अच्छा रहा और 1 अप्रैल 2020 को दूसरे सेशन में 350 छात्र शामिल हुए। वह बताते हैं कि तब से उनकी जिम्मेदारी बन गई कि बच्चों को अच्छी तरह से गणित सिखाएं।
संजीव बताते हैं कि उन्होंने खुद भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है और वह आगे चलकर एक सरकारी स्कूल के शिक्षक बने। वह पिछले 18 सालों से केंद्रीय विद्यालय में पढ़ा रहे हैं। वर्तमान समय में वह केंद्रीय विद्यालय बठिंडा छावनी स्कूल में आठवीं और उसके ऊपर की क्लास के बच्चों को गणित पढ़ाते हैं।
फ्री क्लासेस के लिए खरीदा प्रीमियम जूम अकाउंट –
संजीव बताते हैं कि मुफ्त में आयोजित ऑनलाइन क्लास के लिए वह हर महीने अपने जेब से ₹20000 लगा रहे हैं। शुरू में उन्होंने zoom का मुफ्त वर्जन का उपयोग करना शुरू किया। लेकिन इससे क्लास के लिए उन्हें केवल 40 मिनट मिलता था।
तब उन्होंने अपने अकाउंट को अपडेट करने के लिए हर महीने $27 खर्च करने का फैसला किया। अपडेट के बाद संजीव हर क्लास में 500 छात्रों को शामिल कर सकते हैं साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उनके पास सबसे बेहतर और तेज इंटरनेट कनेक्शन हो।
लेकिन उन्होंने देखा कि छत्तीसगढ़ और देश के दूसरे हिस्सों के कई छात्र अधिकतर नेट कनेक्टिविटी की समस्या के कारण लॉग आउट हो जाते हैं। इस समस्या का हल निकालते हुए संजीव क्लास के नोट्स बनाते हैं और नोट्स की पीडीएफ फाइल को सेशन में शामिल छात्रों को सेंड करते हैं।
संजीव के क्लास में कोई भी शामिल हो सकता है। इसके लिए छात्र को अपना नाम क्लास स्कूल का नाम संजीव के व्हाट्सएप नंबर 9464387372 (8-12th के छात्र) NTSE 9-10th के छात्र 9464302178 पर भेज कर जॉइन कर सकते है।
सेशन का विवरण सेशन शुरू होने के 10 मिनट पहले छात्रों को व्हाट्सएप के माध्यम से भेज दिया जाता है। संजीव रोजाना अपनी ड्यूटी के बाद शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक सेशन करते हैं। हर दिन में तीन क्लास चलाते हैं। आज संजीव की क्लास में ही यूएई और मलेशिया के छात्र भी शामिल हो रहे हैं।
सादा जीवन उच्च विचार –
संजीव कहते हैं कि उन्हें हर महीने ₹80000 वेतन मिलता है। उनकी पत्नी भी शिक्षिका है और उन्हें भी इतना ही वेतन मिलता है। उनकी जरूरतें बेहद सीमित है। इसलिए हमने प्रत्येक महीने ₹20000 अलग रखने का फैसला किया जिसका उपयोग वह बच्चों को पढ़ाने के लिए करते हैं।
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