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आइए जानते हैं एक ऐसे शख्स की कहानी, जो नेत्रहीन होने के बावजूद बखूबी चलाते हैं मसाले का बिजनेस, औरों को भी दे रहे हैं रोजगार

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आज हम बात करने वाले हैं बनारस के रहने वाले सत्यप्रकाश मालवीय के बारे में, इन्होंने बचपन में ही अपने आंख की रोशनी खो दी थी, परंतु अपनी जज्बे के कारण आज अपने आप सहित 10 महिलाओं और दिव्यांगजनों को रोजगार प्राप्त करने में सक्षम है।

सत्यप्रकाश मालवीय 25 वर्ष के हैं, और बचपन से ही देख नहीं सकते हैं, परंतु वह अपने जीवन में बड़े काम करने और दिव्यांगजनों को रोजगार प्राप्त कराने के सपने देखते थे।

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सत्य प्रकाश बचपन से ही महापुरुषों की जीवनी को पढ़ते और उनसे मिलने वाली प्रेरणा को अपने जीवन में लाने की कोशिश करते थे।

सत्यप्रकाश मालवीय कहते हैं कि ” मैं हमेशा से अपने जैसे दिव्यांगजनों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहता था अर्थात दिव्यांग जो भीख मांगते हैं इस प्रथा को पूरी तरह से रोकना चाहता था।

वर्ष 2020 में सत्यप्रकाश मालवीय ने  तकरीबन 2.5 लाख रुपए लागत लगा कर “काशी मसाले” नाम से एक मसाले बिजनेस की शुरुआत की थी।

इस बिजनेस की शुरुआत करने के लिए सत्यप्रकाश ने अपने स्कॉलरशिप के पैसे और कुछ जन सेवकों से मिली पूंजी का इस्तेमाल किया था।

आज अपने इस “काशी मसाले” बिजनेस से प्रति माह 30 हजार कमा ले रहे हैं और इसके साथ ही साथ इन्होंने 10 महिलाओं को रोजगार भी दिया है अर्थात वह भविष्य में कई दिव्यांगजनों को रोजगार देने का सपना देखते हैं।

सत्यप्रकाश का कहना है कि ” हम जैसे दिव्यांगजनों को सहानुभूति की आवश्यकता नहीं है, अर्थात हमें समान दर्जा दिया जाना चाहिए अगर लोग हमें अवसर दें तो हम भी अपनी प्रतिभा साबित कर सकते हैं।

परंतु हर एक दिव्यांगजनों को रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता है जिससे वह हाथ फैलाने को मजबूर हो जाते हैं , इसलिए मेरा उद्देश्य दिव्यांगजनों को अवसर देना  है ।

पढ़ाई के साथसाथ हर क्षेत्र में अव्वल रहे हैं सत्यप्रकाश

शिक्षा के क्षेत्र में सत्यप्रकाश की कमजोरी कभी भी बाधा के रूप में सामने नहीं आई। सत्य प्रकाश के पिता फूलचंद गुप्ता पेशे से एक शिक्षक थे, इसलिए उनके पिता ने सत्यप्रकाश का दाखिला बनारस के दुर्गाकुंड के अंधस्कूल में करवा दिया था।

सत्यप्रकाश ने अपनी 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 80% उत्तम अंक लाए थे। पढ़ाई के साथ-साथ सत्यप्रकाश और सभी एक्टिविटी जैसे भाषण देना स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा लेना सभी चीजों में निपुण थे।

सत्यप्रकाश में एक लीडर की क्वालिटी हमेशा से थी

सत्यप्रकाश मालवीय ने “आगरा की आवाज” संस्था से कंप्यूटर का कोर्स किया था, और इस दौरान सत्यप्रकाश को रेडियो जॉकी की नौकरी भी मिली थी , परंतु सत्यप्रकाश का सपना हमेशा से बिजनेस करने का था।

सत्यप्रकाश ने इंटर पास करने के बाद एक अचार के बिजनेस की शुरुआत की थी, परंतु उनके बिजनेस पार्टनर ने उन्हें धोखा दे दिया था, और इस दौरान उन्हें इस काम को बंद करना पड़ा था।

कुछ समय बाद सत्यप्रकाश ने मोमबत्ती बनाने का बिजनेस शुरू किया परंतु उसमें भी इन्हें सफलता हासिल नहीं हो पाई। इसके बाद उन्होंने करोना काल से पहले “काशी मसाले” नाम से बिजनेस की शुरुआत की थी।

सत्यप्रकाश बिजनेस के साथ कर रहे हैं पीएचडी की पढ़ाई

सत्यप्रकाश अपने बिजनेस की मार्केटिंग करने के लिए खुद ही अन्य शहरों में प्रदर्शनी के लिए जाते हैं परंतु वह देख नहीं सकते इसलिए उन्हें काफी दिक्कत होती है अर्थात वह अपनी इस कमजोरी के कारण कभी घबराते नहीं है।

सत्यप्रकाश ने बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने के कारण कई लोग ऐसे होते हैं जो मुझे गलत जगह भी पहुंचा देते हैं और कई लोग ऐसे भी मिल जाते हैं जो काफी मदद करते हैं।

वो कहते हैं हाल ही में अपने मसाले बेचने के लिए गुजरात गया था उस समय एक ऑटो ड्राइवर ने मेरी काफी सहायता की थी।

सत्यप्रकाश मालवीय आने वाले दिनों में मसाला चाय, कॉफी और चॉकलेट अपने बिजनेस में लाने वाले हैं, इसके साथ ही साथ अपने बिजनेस को प्रदर्शित करने के लिए एक नया पोट्रेट भी लॉन्च करने वाले है।

आज सत्यप्रकाश मालवीय आंखों से ना देख पाने के बावजूद एक “काशी मसाले” नाम से मसाले का बिजनेस चलाते हैं और अपनी उत्तम सोच के कारण कई दिव्यांगजनों और महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।

लेखिका : अमरजीत कौर

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