आज हम बात करने वाले हैं गुजरात धांगध्रा के रहने वाले शम्भू भाई की जिन्हें चिड़ियों से काफी अधिक लगाव है , भाई ने अपने जीवन में एक करुणामय घटना घटित होने के बाद चिड़ियों के लिए मजबूत घर बनाना तैयार कर दिया था आज तक वह 31000 चिड़िया के मजबूत घर बनाकर लोगों को मुफ्त में बांट चुके हैं ।
जैसे की हम सभी जानते हैं हमारे पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण तत्व पक्षि है , परंतु लगातार मनुष्य जगह-जगह पर शहरीकरण कर रहे हैं और मकान का निर्माण कर रहे हैं परंतु इस दौरान पक्षियों पर इसका प्रभाव काफी अधिक पड़ रहा है और पक्षियों की संख्या लगातार घटती जा रही ।
भारत देश में प्राचीन काल से पक्षियों और कबूतरों को दाना देने की प्रथा चली है प्राचीन काल में बड़े बच्चों को सिखाते थे कि किस प्रकार हमें पक्षियों और जंतुओं को खाना देना है भारत देश में पहली रोटी गाय की और सबसे आखरी रोटी कुत्ते को दी जाती है और यह परंपरा भारत देश से ही चली आई है।
आज के व्यवस्थित जीवन में यह परंपरा लुप्त सी हो गई है आज लोग अपने कार्यों में इतने व्यवस्थित हो गए हैं कि वह पक्षियों और जीव जंतुओं के बारे में भूल ही गए हैं और पक्षियों की दशा काफी खराब होती जा रही है, मनुष्य रहने के लिए इतना अधिक से शहरीकरण कर रहा है कि पक्षियों की रहने की जगह समाप्त हो गई है , और पक्षियों की मृत्यु दर काफी अधिक बढ़ गई है ।
यही कारण है कि आजकल कई लोग ऐसे हैं जो पक्षियों को रहने के स्थान देने के लिए अधिक से अधिक प्रयास कर रहे हैं ताकि पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हो पाए , हम आज एक ऐसे ही शख्स के बारे में बात करने जा रहे हैं जो पक्षियों को आश्रय देने के लिए काफी अधिक प्रयास कर रहे हैं ।
बात वर्ष 2013 की है जब गुजरात के धांगध्रा के रहने वाले शम्भू भाई ने एक बार पक्षियों को आश्रय देने के लिए गत्ते का घर बनाकर कहीं पर टांग दिया था लगातार उस घर में कई पक्षी आने शुरू हो गया थे परंतु लगातार पक्षियों के आने से शम्भू भाई द्वारा बनाया गया गत्ते का घर टूट गया इस दौरान उस घर में चिड़िया द्वारा दिए गए अंडे भी टूट गए कई दिनों तक बिचारी चिड़िया अपने घर और अंडों के लिए काफी अधिक परेशान रही थी ।
शम्भू के मन पर इस छोटी सी घटना का काफी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा वह कहते हैं कि जिस प्रकार एक इंसान अपने बच्चे को खोने पर काफी अधिक तड़पता है उसी प्रकार उस पक्षी के बारे में अगर सोचा जाए तो उसके कई सारे बच्चे पल भर में समाप्त हो गए थे ।
वह कहते हैं कि इस घटना का मेरे ऊपर काफी अधिक प्रभाव पड़ा था, और इस कारणवश आज मैं मजबूत चिड़िया के घर बनाता हूं । उन्होंने इस घटना के माध्यम से अपने मन पर होने वाले प्रभाव से यह निश्चित कर लिया कि वह अब चिड़िया के लिए पक्के घर तैयार करेंगे जिसमें किसी प्रकार के बड़े पक्षी ना आ सके ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पक्षियों के प्रति अपनी सहारना को दिखाने वाले गुजरात के रहने वाले शम्भू भाई पैशे से एक कारपेंटर है और इस कारण इनके पास लकड़ी के कई छोटे-छोटे टुकड़े पाए जाते हैं ।
उन्होंने इस लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल करके पक्षियों के लिए कई छोटे घर तैयार किए हैं जिसमें किसी भी प्रकार के बड़े पक्षी ना आ सके , और सभी छोटे पक्षी आराम से अपने घर पर शांति से रह सके ।
शम्भू भाई ने बचपन से ही अपने पिता से कारपेंटर का काम सिखा है और लकड़ी से तैयार करने वाले कई सामानों को वह तैयार करते हैं वह बताते हैं कि मैंने जिस प्रकार एक गत्ते का घर बनाकर एक चिड़िया की जिंदगी बर्बाद कर दी उसका पश्चताप करने के लिए आज मैं मजबूत चिड़िया के घर तैयार करता हूं और इसे कई लोगों को बेचता हूं ।
वह कहते हैं कि मेरा एक छोटा सा वर्कस्टेशन भी है जिसमें मैं छोटे लकड़ी के चिड़िया के घर तैयार करता हूं और लोगों को मुफ्त में देता हूं ।
बातचीत के दौरान शम्भू भाई कहते हैं कि एक दिन मेरी दुकान पर एक ग्राहक आया था इस दौरान उसने मेरे लकड़ी से तैयार किए गए छोटे चिड़िया के घरों को देखा और उसने कहा कि मेरे घर पर लगातार मेरे बिजली बॉक्स के ऊपर एक चिड़िया घर बनाती है और अगर मैं इस घर को वहां रख दूं तो चिड़िया को एक अच्छा घर मिल जाएगा , इस प्रकार ग्राहक की यह बात सुनकर शम्भू भाई ने मुफ्त में उन्हें एक घोंसला दे दिया।
आगे शम्भू भाई बताते हैं कि तकरीबन 1 महीने के बाद उस ग्राहक ने मुझे चिड़िया के उस घर की फोटोस भेजी जहां पर चिड़िया के साथ कई उसके बच्चे निवास करते थे और यह देखकर उनके मन को काफी खुशी हुई इसी कारणवश उन्होंने और भी लोगों को मुफ्त में चिड़िया के घर देना शुरू कर दिए ।
शम्भू भाई बताते हैं कि हर चिड़िया का घर तैयार करने में तकरीबन सौ से डेढ़ सौ का खर्च आता है परंतु मैं चिड़ियों के लिए एक पक्का मकान तैयार करना चाहता था इसलिए मैंने और भी लोगों से मदद मांगने शुरू की थी।
वह कहते हैं कि मैंने लोगों से पैसे मांगने नहीं शुरू किए बल्कि मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और लोगों से उनके घर पर टूटी फूटी लकड़ियां मुफ्त में मुझे देने को कहा, वह कहते हैं कि घरों में फर्नीचर जब बनता है तो कई टूटी फूटी लकड़ियां बच जाती है इस दौरान कई लोग मुझसे जुड़कर मुझे टूटी फूटी लकड़ियां दे जाते थे ।
बस एक गत्ते के घोसले से शुरू हुआ यह फैसला आज 31000 लकड़ी के चिड़िया के पक्के मकान तक पहुंच गया है आज शम्भूभाई चिड़ियों के लिए पक्का मकान तैयार करते हैं और मुफ्त में इसे लोगों तक पहुंचाते हैं , ताकि अधिक से अधिक चिड़ियों को उनका घर मिल सके और भारत देश में पक्षियों की घटती संख्या जल्द ही बढ़ सके ।