Gupta and Daughters ने एक उदाहरण के रूप में पंजाब के एक व्यापारी को अपनी दुकान का नाम दिया

बिजनेसमैन ने अपनी दुकान का नाम गुप्ता एंड डॉटर्स रख कायम की मिसाल

अक्सर हम बाजारों में जब हम किसी दुकान का नाम देखने देखते हैं तो Shop sign board पर हमें gupta and sons, gupta and brothers इस तरह से लिखे नाम दिख जाते हैं। इस तरह दुकान का नाम लिखने की परंपरा काफी सालों से चली आ रही है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अब बदलाव लाना चाहते हैं और परंपरा से हटकर कुछ करना चाहते हैं।

पंजाब के लुधियाना के रहने वाले एक शख्स ने अपनी दुकान का नाम कुछ इस तरह रखा जो लोगों के लिए एक मिसाल है। पंजाब के लुधियाना के रहने वाले मनोज कुमार ने अपनी दुकान का नाम ‘Gupta and Daughters.’ रखा है। उनका कहना है कि वह लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के तौर पर अपनी दुकान का नाम गुप्ता एंड डॉटर्स रखने का फैसला किया।

जबकि सालों से परंपरा यह रही है कि लोग सब कुछ अपने बेटे के नाम रखते हैं। लेकिन लुधियाना के इस शख्स ने पुराने मापदंडों से हटकर एक नया तरीका अपनाया। उन्होंने अपनी फार्मेसी का नाम अपनी बेटी के नाम के साथ जोड़ने की कोशिश की और इसलिए उन्होंने अपने स्टोर का नाम गुप्ता एंड डॉटर्स रखा।

 पंजाब के लुधियाना के रहने वाले 54 वर्षीय Manoj Gupta एक बिल्डिंग कांट्रैक्टर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत किए थे और वहां गुप्ता एंड संस नाम की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक भी हैं। लेकिन 2017 में उन्होंने एक फार्मेसी का उद्योग शुरू किया और अपनी फार्मेसी का नाम वह कुछ दिलचस्प तरीके से रखने की तलाश कर रहे थे।

इसी बीच उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ सुनने को मिला। जिससे वे प्रेरित हुए और अपनी फार्मेसी का नाम रखा Gupta and Daughters.

मनोज गुप्ता का कहना है कि शुरू में उनके इस विचार से उनके परिवार के ही कई सदस्य असहमत थे लेकिन उनके इस विचार में साथ दिया उनकी पत्नी और उनके बच्चों ने।

gupta and daughters medical store

मनोज गुप्ता लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के तौर पर अपने स्टोर का नाम रखना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने अपने स्टोर का नाम गुप्ता एंड डॉटर्स रखा।

अपने आइडिया के कुछ समय बाद उन्होंने लुधियाना के ही एक मेडिकल पेशेवर अमन कश्यप  के साथ ट्विटर पर अपने मेडिकल स्टोर का साइन बोर्ड साझा किया और उनके इस ट्वीट को कुछ ही समय में 6000 से भी ज्यादा लाइक मिल गई और हजार से भी ज्यादा बाद उनके ट्वीट को रिट्वीट किया गया।

इसके साथ ही अन्य दुकानदारों ने भी अपने दुकान के साइन बोर्ड की फोटो शेयर करने लगे जिन्होंने अपनी दुकानों के नाम अपने बेटों के बजाय अपनी बेटियों के नाम पर रखा था।

मनोज गुप्ता के दो बच्चे हैं बेटी आकांक्षा और बेटा रोशन और उनके बच्चों को अपने पिता पर गर्व है कि उन्होंने प्परंपरा से हटकर समाज के लिए एक मिसाल कायम की। बता दें कि मनोज के बेटे रोशन एमबीए ग्रैजुएट है तो वहीं उनकी बिटिया लॉ की स्टूडेंट है।

मनोज गुप्ता ने अपने बेटे और बेटी को हमेशा से बराबरी की बात सिखाई है और एक दूसरे के साथ सम्मान के साथ पेश आने की आदत सिखाई है। मनोज ने अपने बेटे और बेटी के साथ कभी भी लैंगिक आधार पर भेदभाव नहीं किया।

अभी कुछ दिन पहले ही गुप्ता एंड डॉक्टर्स ने लुधियाना में ही एक NGO के साथ मिलकर सिख कल्याण परिषद के साथ काम करना भी शुरू किया है जोकि गरीबों को कम कीमत में दवाएं उपलब्ध कराने का काम करता है।

 

 

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