हम लोग रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर ही प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं।लेकिन यह प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती है।
बिना सोचे समझे प्लास्टिक के अत्यधिक इस्तेमाल से Environmental Balance बिगड़ रहा है। दैनिक जीवन मे प्लास्टिक से पूरी तरह से मुक्त नही हो सकते हैं लेकिन छोटी-छोटी कोशिशों से इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
विशाखापत्तनम की एक महिला इंजीनियर प्लास्टिक की जगह Eco Friendly Options ( इको फ्रेंडली विकल्प ) का इस्तेमाल कर के गन्ने की पराली से Eco Friendly Crockery ( इको फ्रेंडली बर्तन ) बनाने का Startup शुरू किया है।
विशाखापत्तनम की रहने वाली SV Vijayalakshmi , ” House of folium “ ( हाउस ऑफ फोलियम ) के जरिए पर्यावरण के अनुकूल क्रॉकरी और कटलरी ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं।
उनका उद्देश्य Food Industry में प्लास्टिक का एक बेहतर इको फ्रेंडली विकल्प उपलब्ध करवाना है। इसके लिए उन्होंने अपने स्तर से कोशिशें शुरू कर दी हैं।
पर्यावरण को होते नुकसान से आया विचार ( The Idea Came From Environmental Harming ) :-
एक दशक से भी ज्यादा समय तक SV Vijayalakshmi बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम कर चुकी है। उन्होंने अपना स्टार्टअप 2 साल पहले ही शुरू किया है।
लेकिन वह इस पर काम काफी पहले से ही कर रही थी। SV Vijayalakshmi कहती हैं कि जब वह कॉर्पोरेट वर्ड के साथ काम कर रही थी। तब वह देखती कि प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है।
भारत जैसे देश में तो प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही विकसित देशों में भी यही हाल है। लेकिन विकसित देशों में प्लास्टिक वेस्ट का मैनेजमेंट हमारे देश से कई गुना बेहतर है।
प्लास्टिक सामाजिक पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए वह इसके विकल्प को सोचना शुरू की और उन्होंने ठान लिया कि कुछ भी हो वह पर्यावरण के लिए काम करेंगी, चाहे वह इसकी शुरुआत बेहद छोटे ही स्तर से क्यों न करें।
उन्होंने कोई एनजीओ या कंपनी खोलने के बजाय अपनी कोशिशें लगातार जारी रखी और उनके पास जो भी संसाधन उपलब्ध थे उन्हीं से उन्होंने काम चलाना शुरु कर दिया।
गन्ने की पराली बना विकल्प ( Sugarcane Straw Becomes An Option) :-
इस विषय पर रिसर्च उन्होंने 2014- 15 में ही करना शुरू कर दिया था। अलग-अलग क्षेत्रों में देखने के बाद उन्हें यह समझ आ गया कि Single Use Crockery पर काफी कुछ किया जा सकता है।
इनके लिए वह Eco Friendly विकल्प चुनना चाहती थी। लेकिन प्लास्टिक ईको फ्रेंडली विकल्प की तुलना में काफी सस्ते थे।
लेकिन वह कहती हैं कि अगर कोशिश की जाए तो आज हमारे पास ऐसे कई सारे विकल्प उपलब्ध हैं जिनसे हम प्लास्टिक के Single Use Crockery के क्षेत्र से पूरी तरह से हटा सकते हैं। ऐसे बहुत सारे विकल्पों में बांस, एरिका पाल्म, गन्ने का पाल्ब इसमे मददगार हो सकते है।
उन्होंने अपने रिसर्च में पाया कि खेतों से निकलने वाले अपशिष्ट जिन्हें पराली कहा जाता है, उनसे Eco Friendly Crockery बनाया जा सकता है।
उन्हें गन्ने के वेस्ट का विकल्प काफी अच्छा लगा क्योंकि उनके यहां गन्ने का उत्पादन काफी ज्यादा होता है। उत्तर भारत के अलावा आंध्रप्रदेश के इलाकों में भी गन्ना उगाया जाता है। इसलिए इसमें रा मटेरियल की कोई कमी नहीं है।
नौकरी छोड़ शुरू किया स्टार्टअप ( Quit Job Started Startup ):-
साल 2018 के अंत में SV Vijayalakshmi ने नौकरी छोड़ कर अपना स्टार्टअप The House of folium शुरू किया। उनके पास ज्यादा संसाधन नही था कि खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सेटअप कर सके तब उन्होंने लोकल मैन्युफैक्चरर से बात कि जो अलग-अलग चीजो से आर्डर पर क्रॉकरी बनाते थे।
उनके साथ टाईअप किया और आज वह सैकड़ों ग्राहकों को Eco Friendly Crockery उपलब्ध करवाती हैं। वह कहती हैं। उनकी पहुँच अभी कम है।
लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि कुछ हद तक बदलाव लाने में सफल रही है। उन्होंने अपने सर्कल के लोगों से अपने कार्य के बारे में बताया। शुरू में एक दो लोग ही आर्डर किए।
लेकिन आज का मांग बढ़ रही है। डेढ़ सौ से दो सौ लोगों के आयोजनों में Eco Friendly Crockery उपलब्ध करवाई जा रही है।
वह बताती है कि अभी वह कस्टमाइज क्रोकरी बनाती है। ग्राहक अपनी जरूरत के अनुसार आर्डर करते हैं कि उन्हें किस आकार में चाहिए या किस तरह के पैकिंग बॉक्स चाहिए।
वह उसी हिसाब से लोकल मैन्युफैक्चर को ऑर्डर करती है और क्रोकरी बन कर आ जाती है तब उसे डिलीवर कर देती हैं। फिलहाल वह प्लेट, कटोरी, कटलरी, पैकिंग बॉक्स आदि उपलब्ध करवाती है।
प्रक्रिया ( Process ) :-
SV Vijayalakshmi बताती हैं कि इस प्रक्रिया मे वह लोकल मैन्युफैक्चरर्स को आर्डर देती हैं। लोकल मैन्युफैक्चर किसानों से गन्ने का वेस्ट खरीदते हैं और कुछ समय तक उन्हें पानी में भीगा कर रखते हैं।
उसके बाद मशीनरी से क्रॉकरी बनाई जाती है। यह बायो डिसेबल होते हैं और जहां भी कचरे में फेका जाता है। यह 90 दिन के अंदर पूरी तरीके से गल जाता हैं।
वहीं अगर कोई जानवर इसे खा लेता है, तब यह जानवर को किसी भी प्रकार से नुकसान नही करता। वैसे भी खेत् से निकलने वाली पराली को जानवरों के लिए चारा बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
माइक्रोवेव अनुकूल ( Microwave Friendly ) :-
SV Vijayalakshmi बताती हैं कि उनकी Eco Friendly Crockery पर्यावरण के तो अनुकूल होती है साथ ही माइक्रोवेव के लिए अनुकूल होती है। इसे माइक्रोवेव में रख सकते हैं और जरूरत होने पर इसे फ्रीज में भी रखा जा सकता है।
इससे कोई भी हानि नही होती है। इससे इको फ्रेंडली बना जा सकता है और इस इंडस्ट्री से किसानों को अतिरिक्त आय भी हो सकती और पराली का समाधान भी हो सकता है।
निजी कंपनियां अगर गन्ने के बेस्ट से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स बनाना शुरू कर दे तो बनने को पराली किसानों को जलाने की जरूरत ही नही पड़ेगी।
आगे का प्लान ( Future Plan ) :-
SV Vijayalakshmi बताती है कि वह लगातार कोशिश कर रही है कि जिससे इस तरह के वेस्ट को कंपनियों को बेच कर किसानों को अतिरिक्त उपलब्ध करवा सकें।
विजयलक्ष्मी बताती है कि लॉक डाउन के चलते उनका यह स्टार्टअप प्रभावित हुआ। लेकिन अब लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, तो धीरे-धीरे उनके प्रोडक्ट की मांग भी बढ़ रही है।
जल्दी ही SV Vijayalakshmi अपनी खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहती हैं क्योंकि उनका मानना है अगर वह खुद की यूनिट लगा लेगी तो उनके प्रोडक्ट के दाम वह कम रख पाएंगी और कम कीमत होने से लोग आसानी से खरीद लेंगे।
वह दूसरे होटल और रेस्टोरेंट को भी चेक आउट कर रही हैं। ताकि प्लास्टिक को फूड इंडस्ट्री से हटाकर Eco Friendly Crockery का इस्तेमाल किया जा सकता है।
SV Vijayalakshmi का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा, उन्हें सरकार या किसी दूसरी जगह से फंड मिलता है तब वह जल्द ही अपनी खुद की यूनिट सेटअप करना चाहती है।
फिलहाल वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की सोच बदलना चाहती हैं जिससे लोग अपनी लाइफ स्टाइल ईको फ्रेंडली बनाने के लिए प्रेरित हो।
यह भी पढ़ें :-
22 वर्षीय युवा ने अपनी बाइक बेच कर शुरू की LED Bulb Unit , आज होती है लाखो की कमाई
Hello mam this is a very good idea your use of plastic can be reduced by this if you can get your permission then i want to start this startup