ADVERTISEMENT

करें सहर्ष स्वीकार : बढ़ती उम्र का उपहार

बढ़ती उम्र का उपहार
ADVERTISEMENT

जन्म लिया है समय के साथ – साथ में उम्र भी आयेगी । यह सत्य को प्रसन्नता से स्वीकार कर अपने जीवन को हम आनन्द से जिये ।

उत्साहित मनुष्य के हृदय में हमेशा शक्ति और ऊर्जा का संचार होता है जो उसे लक्ष्य की ओर ले जाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है ।

ADVERTISEMENT

जिनका उत्साह बुलंद होता है वे ही संसार में बढ़ती उम्र के उपहार को सहर्ष स्वीकार कर जीत सकते हैं ।उनके पास सुविधा, संपदा, समर्थन आदि कुछ ना होने पर भी वे जीवन के हर क्षण को उपलब्धि बना लेते हैं।

एक साधारण काम भी जीवन में मुश्किल हो जाता है जब इसे बिना उत्साह के साथ किया जाय तो , इसलिए जो भी काम करें उसे उत्साह पूर्वक व एकाग्र होकर करना चाहिए क्योंकि उत्साह में अपार बल होता है, बिना उसके कोई भी महान उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकता है।

उत्साह जीवन में एक नई उमंग, एक नई उम्मीद लाता है व नए रास्ते ढूंढने में मदद करता है। इसलिए जीवन में उत्साहित होकर लक्ष्य की ओर बढ़ें।

जीवन कई किरदारों में होता है, पुत्र पिता मित्र और न जाने कितने – कितने रिश्तों से जुड़ा होता है, हर रिश्ते को हमे सहज जीना पड़ता है ।

इंसान का जीवन हक़ीक़त में एक रंग मंच जैसा ही होता है।जन्म से लेकर मृत्यु तक निभाने पड़ते हैं तरह-तरह के रोल।यह रंग मंच एक बच्चे से शुरू होता है और दादा-नाना बनने के बाद सदा-सदा के लिये समाप्त हो जाता है।

एक बच्चे से शुरू हुआ जीवन दादा-नाना बनने तक के सफ़र में जीवन के हर रोल को बख़ूबी निभाने वाला इंसान एक श्रेष्ट कलाकार कहलाता है।

स्वयं स्फूर्त चेतना ही, अपने गंतव्य पथ पर अविराम गतिमान बनी रहती है। जल की प्रचंड तेजधार ही, हर बाधा को चीर कर अंतिम सांस तक बहती है।

जब उद्देश्य केवल सात्विक, पारमार्थिक तथा सबजन हिताय का होता है तब ही उस उत्साह की पवित्र श्रम बूंदे , महोत्सव की गौरव गाथा कहती है।

कोई भी यहाँ पर अमर नहीं होता है और नहीं कोई ऐसा अमृत बना है इस धरा पर तो फिर काहे की चिन्ता काहे की फ़िक्र। इसलिये ज़्यादा से ज़्यादा ख़ुश रह तनाव से दूर रहे और बढ़ती उम्र के उपहार को सहर्ष स्वीकार करे व मन को सदाबहार रखे ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :-

व्यवहार की दो बात

व्यवहार की दो बात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *