गुरुदेव श्री तुलसी का पट्टोंत्सव भादवा सुदी -9 का दिन । उन्होंने अपने आचार्य पद का विसर्जन कर सारा दायित्व आचार्य श्री महाप्रज्ञजी को सौंपा और फरमाया की मेरा पट्टोंत्सव अब नही मनाया जाएगा ।
यह बात आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के गले नहीं उतरी । उन्होंने चिन्तन कर एक विकल्प प्रस्तुत किया और कहा की आज के दिन को हम विकास महोत्सव के रूप में मनायेंगे तभी से विकास महोत्सव की शुरूआत हुई ।
भगवान महावीर के समवसरण में शेर ,बकरी, गाय ,मनुष्य , देवी- देवता आदि एक साथ बैठकर देसणा सुनते थे ।
प्रभु के आभामंडल से वेरभाव नष्ट हो जाते है ठीक इसी तरह वर्तमान में महान युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आभामंडल में बैठने से आपसी क्लेश समाप्त होता है सद्भाव बढ़ती है और मैत्री भाव का विकास होता है ।
इससे धार्मिक संस्कारों का निरन्तर जीवन में संचय होता रहता हैं जिसके परिणामस्वरूप मन में प्रचुर उत्साह रहता हैं और जीवन में प्रगति का प्रवाह कभी भी रुक नहीं सकता हैं ।
उत्साह आलस्य और अंधविश्वास को दूर भगाता हैं और आत्मविश्वास की लौ जगाता हैं ।उत्साही के शब्दकोश में असंभव जैसा शब्द नहीं हैं और न ही निराशा जैसी बात कहीं गईं हैं ।
हम यदि नजर दौड़ा कर देखें तो जितने भी हुए हैं नव विकास आज तक मूल तत्व उनके पीछे भरसक उत्साह ही रहा है ।
उत्साह से जब सफलता व्यक्ति को मिलती हैं तो उसको अद्भुत उल्लास से भर देती हैं , मन की शक्ति में एक अद्भुत आत्मविश्वास जग जाता हैं वही आगे की सफलता का स्रोत बन जाता हैं ।
युगपुरुष, विकास के पर्याय आचार्य श्री तुलसी की क्रांतिकारी बहुआयामी विकास यात्रा की स्मृति में मनाये जाने वाले विकास महोत्सव का पावन दिन हमको जीवन में सतत उत्साह के साथ में निरन्तर विकास करने की प्रेरणा देता है ।
तुलसी ,महाप्रज्ञ के स्वप्न विकास महोत्सव में साकार हो रहे हैं । महातपस्वी शान्तिदूत युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी जैसा गण माली पा जन जन मन से विकास महोत्सव में हर्षित है ।
सतत नए – नए कीर्तिमान विकास के ज्योतिचरण विकास महोत्सव में स्थापित कर रहे हैं ।महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा जी आदि सभी विकास महोत्सव में विकास के साझेदार है । तेरापंथ नंदनवन विकास महोत्सव में गण गुलजार है ।
चहुँ दिश जय जय कार है ,हो रहा विकास महोत्सव में महा उपकार है । जय हो जय हो सदा विजय हो ,विकास ही विकास आगे ,विकास महोत्सव में ।
इन्ही मंगल भावों के साथ विकास पुरुष गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी को कोटिशः नमन और विकास महोत्सव के कल्पनकार आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को शत शत वंदन ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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