यह बात तो हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश एक कृषि प्रधान देश है , आजादी के इतने समय के बाद भी हमारे देश के युवा कृषि को मुनाफे का सौदा नहीं समझते हैं, इसके दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो ना केवल विपरीत परिस्थितियों में सफलता हासिल कर रहे हैं बल्कि इसके साथ ही साथ कई लोगों को इसके लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।
आप सभी को बता दें कि अगर खेती की तरफ रुझान और मेहनत और लगन के साथ काम किया जाए तो मुनाफा आपको अवश्य हासिल होगा , आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं जो खेती करके मोटी कमाई तो अर्जित कर ही रहा है इसके साथ ही साथ बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी प्राप्त कर आ रहा है , आइए जानते हैं उस शख्स की सफलता की कहानी ।
यह है राकेश चौधरी
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि राकेश चौधरी मूल रूप से राजस्थान के नागौर जिले के राजपुर गांव के निवासी हैं, एक प्रोग्राम के दौरान राकेश चौधरी ने बताया कि सभी मां बाप की तरह उनके माता-पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा सरकारी नौकरी करें ।
हालांकि राकेश शुरू से ही खेती करना चाहते थे इसलिए उन्होंने जयपुर के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद गांव वापस लौट कर खेती करना शुरू कर दी ।
औषधि पौधों की खेती करने से की शुरुआत
राकेश बताते हैं कि जब वह कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके किसी परिचित ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति से मिलाया था जो औषधि पौधे लगाने की एक संस्था चलाते थे और इस दौरान लोगों को औषधि पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते थे , साथ ही साथ किसानों को सरकार द्वारा अनुदान भी दिलाते थे ।
राकेश कहते हैं कि उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2004 में अपना एडमिशन मेडिशनल प्लांट बोर्ड मैं करवाया और इसके तहत राकेश मेडिसिनल प्लांट की खेती करना पूर्ण रूप से सीखा ।
राकेश बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2005 में अपने इलाके के कुछ लोगों को औषधीय पौधों की खेती करने के लिए मनाया लोग तैयार तो हो गए परंतु पहली फसल में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा, इस दौरान राकेश कहते हैं कि मुझे लोगों से काफी कड़वे शब्द सुनने मिले थे परंतु फिर भी मैंने हार नहीं मानी ।
इस प्रकार की Contract Farming की शुरुआत
राकेश चौधरी बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार खेती की तो उन्होंने मौसम का ध्यान नहीं दिया और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा दूसरी बार उन्होंने मौसम का ध्यान रखा और राजस्थान की जलवायु को देखते हुए एलोवेरा की खेती की ।
इस दौरान राकेश ने बताया कि लोगों को औषधि की खेती के साथ जोड़ने के लिए उन्होंने Contract Farming को अपनाया जिस दौरान उन्होंने लोगों को कहा कि जमीन उनकी होगी परंतु फसल का सारा मटेरियल राकेश का होगा साथ ही साथ खेती किसान करेंगे और जो फसल होगी इसकी मार्केटिंग की जिम्मेवारी राकेश की होगी, हालांकि राकेश का कहना है कि किसान राजी तो हो गए परंतु मेरे सामने पूंजी की समस्या आ खड़ी हो गई ।
लेना पड़ गया था लोन
राकेश कहते हैं कि प्लांटिंग मटेरियल को लेने के लिए पैसों की अति आवश्यकता हो रही थी इसके लिए मैंने अपने पत्नी के गहनों को गिरवी रखकर बैंक से लोन लिया , इस दौरान उन्होंने कुछ किसानों के साथ मिलकर एलोवेरा की खेती की, फसल तो अच्छी हुई परंतु फिर बाद में उन्हें मार्केटिंग करने में काफी दिक्कत आ रही थी परंतु कुछ समय बाद एक कंपनी ने उनकी सारी फसल को खरीद लिया और इस प्रकार सफलता के सिलसिले की शुरुआत हो गई ।
अब होता है सालाना 10 करोड का टर्नओवर
राकेश चौधरी बताते हैं कि पहली सफलता को देखकर और किसान हमारे साथ जुड़ गए और दूसरी बार हमारी फसल काफी उच्च कोटि की हुई इस दौरान मुंबई की एक बड़ी कंपनी ने हमारी सारी फसल को खरीद लिया, हमारे गांव में एक प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा दी जिसमें हमारे गांव की 90 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ ।
राकेश कहते हैं कि आज उनके साथ कई इलाकों के किसान साथ जुड़ चुके हैं और उन्होंने एक हर्बल फॉर्म नामक कंपनी की शुरुआत की है , राकेश की इस कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपए है अर्थात राकेश कहते हैं कि अब हम बड़ी कंपनियों के साथ कार्य करते हैं और वर्ष 2022 में 100 करोड़ का टर्नओवर रखने की उम्मीद है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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