आज भी दुनिया में ऐसे लाखों बच्चे हैं जो फीस न दे पाने की वजह से स्कूल नही दे जा पाते हैं। लेकिन दुनिया में ऐसे भी कुछ लोग हैं जो ऐसे लोगों के लिए कुछ करने को अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते है।
दरासल दुनिया में दो तरह के लोग रहते हैं – कुछ लोग होते हैं जिनके पास सब कुछ होता है और कुछ लोग होते हैं जिन्हें हर चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
ऐसे में एक शख्स है Devyani Trivedi जोकि 5 साल पहले बेंगलुरु में शिफ्ट हुई थी। उन्होंने देखा कि शहरों की इमारतों के पीछे गांव और बस्तियां है जहां के लोग दिन-रात छोटी-छोटी जरूरतों के लिए संघर्ष करते रहते हैं।
Devyani Trivedi व्हाइटफील्ड में रहती हैं और उसके पीछे एक छोटा सा गांव विजयनगर है और यहां के लोग शहर और अन्य जगहों पर काम करते हैं।
Devyani Trivedi को सोशल वर्क में हमेशा से रुचि रही है और वह हमेशा किसी न किसी सोशल प्रोडक्ट से जुड़कर काम करती रहती हैं।
देवयानी अपनी साथ कुछ अन्य लोगों को जोड़कर Whitefield Rising (WR) नाम का एक सोशल ग्रुप बनाई है जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग इससे जुड़े हुए हैं।
यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके जरिये समृद्ध लोग गरीब तबके के लिए मदद करते हैं। जब Devyani Trivedi को कुछ करने की इच्छा हुई तब उन्होंने इस ग्रुप को ज्वाइन किया और इस ग्रुप से बात की और क्लॉथ डोनेशन ड्राइव का आयोजन किया।
Devyani Trivedi ने इस ग्रुप में ऐसे लोगों को जोड़ा जिन्होंने कपड़े डोनेट किये। देवयानी कहती हैं कि जब उन्होंने कपड़े इकट्ठा कर लिया था वह नही चाहती थी कि लोग इन्हे लेने के लिए कतार में खड़े हो।
इसलिए उन्होंने सोचा कि लोगों को पूरे सम्मान के साथ यह चीजें मिले और उन्हें चुनने का हक मिले। इसलिए उन्होंने Re – Store खोला।
Devyani Trivedi ने किराए पर जगह लेकर रीस्टोर खोला। इसमें डोनेशन के सभी सामान अलग-अलग कैटेगरी में रखे गए हैं और उनके लिए अलग-अलग मूल्य तय किया गया है।
इसमें कोई भी ₹5 से लेकर ₹500 तक की चीजें खरीद सकता है। यहां पर बच्चे, बड़े, महिला, पुरुष सबके लिए कपड़े से लेकर स्टेशनरी, बच्चों के गेम्स, किताबें, बर्तन, फर्नीचर सब कुछ मिलता है।
Devyani Trivedi कहती हैं कि उनके इस स्टोर से कोई भी आ कर सामान खरीद सकता है। महिलाएं 30-40 रुपए में अपने लिए कुर्ती ले सकती हैं।
वहीं बस्ती के लोग ₹100 में फर्नीचर ले सकते हैं। कई बार लोगों को अपने घरों के लिये बेडशीट, पर्दे यहां पर काफी कम दाम में मिल जाते हैं।
Devyani Trivedi का यह रीस्टोर बच्चों के बीच काफी फेमस है क्योंकि यहां पर कई तरह की गेम, पजल और किताबें होती हैं और यह सब बेहद सस्ती होती हैं।
कई बार बच्चे रीस्टोर में मदद करते हैं और अपने खिलौने के बदले दूसरे अन्य पसंदीदा खिलौने ले जाते हैं। देवयानी कहती हैं कि उनका रीस्टोर सिर्फ जरूरतमंद और गरीब तबके के लोगों के लिए ही नही है।
Devyani Trivedi कहते हैं रीसायकल या रीयूज़ की बात जब हम करते हैं तब इसे गरीबी से जोड़ देते हैं लेकिन ऐसा वास्तव में नहीं है।
बल्कि उनका उद्देश्य इस रीस्टोर के जरिए यह संदेश देने का है कि हम सब अपने घर को सिर्फ भरते जा रहे हैं। माल से हम ढेर सारा सामान लेते हैं और फिर कुछ दिनों बाद इसे रिजेक्ट कर देते हैं।
यह गलत तरीका है और इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए हमें रीसायकल, रीयूज और Re-Store के कांसेप्ट को अच्छी तरह से समझना होगा।
Devyani Trivedi ने कहा कि उन्होंने देखा है कि कई बार लोग डोनेशन में अपने घर की इलेक्ट्रॉनिक चीजें दे देते हैं जो सिर्फ पुरानी हुई रहती हैं खराब नही और फिर से इस्तेमाल करने लायक होती है।
देवयानी कहती हैं कि उनका रीस्टोर रियूजेबल है न कि यह डंपिंग स्टोर है। लोग कहते हैं गरीब लोग हैं तो कैसे भी फटे पुराने कपड़े डोनेट कर सकते हैं। लेकिन यह सोच गलत है।
दरअसल रीस्टोर में सिर्फ वही चीजें ली जाती हैं जो सही हो और इस्तेमाल करने लायक हो। बहुत बार Devyani Trivedi ने डोनेशन के सामान को वापस भी भेजा है क्योंकि वे एकदम फटे या टूटे फुटे क्रोकरी वह नही लेती है।
Re-Store मे वही चीजें ली जाती है जो एकदम सही होती है और इस्तेमाल करने लायक होती हैं। Devyani Trivedi अपने इस री स्टोर से होने वाली कमाई से स्टोर का किराया और स्टोर पर काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी देती हैं और बच्चों की फीस भरने का काम करती है।
Devyani Trivedi पिछले 4 सालों में कई गांवों और बस्तियों से परिचय बना चुकी हैं और उनसे मिलकर उनकी समस्याएं और परेशानियां पूछती है और जरूरत के अनुसार मदद करती हैं।
जो महिलाएं सिलाई कढ़ाई का काम कर लेती हैं उन्हें यह अपने स्टोर के कुछ घरेलू काम देती हैं और बदले में उन्हें पैसे देती हैं।
Devyani Trivedi की कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर इंसान चाहे तो अपने आसपास के लोगों के जीवन स्तर को सुधार सकता है, खास करके वे लोग जो सक्षम हैं।
बस जरूरत होती है थोड़ा सा वक्त निकाल के अपने साथ अपने आसपास के लोगों की जरूरतों और उनकी परेशानियों को देखें ।
उन्हें दूर करने के उपाय के बारे में सोचें तो कुछ न कुछ रास्ते निकल ही आते हैं और इस तरीके से लोगों का आत्मसम्मान भी बना रहता है और उन्हें यह भी नही लगता है कि उन्होंने खैरात में चीजे पाई है।