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300 से अधिक जिंदगियां बचाने वाले उड़ीसा के ट्रक ड्राइवर पंकज कुमार तरई की कहानी

Story of Pankaj Kumar Terai a truck driver who saved more than 300 lives
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आज हम बात करने वाले हैं उड़ीसा के रहने वाले पंकज कुमार तरई के जो लगभग 16 साल से सड़क हादसे  शिकार होने वाले लोगों को बचाने की मुहिम में लगे हैं , और इसके साथ ही साथ वह अपनी 30 फ़ीसदी से अधिक कमाई इस मुहिम में लगाने के लिए हर वक्त जुटे रहते हैं। आइए जानते हैं पंकज कुमार तरई की प्रेरक कहानी।

 

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कहानी शुरू होती है उड़ीसा के कटक के रहने वाले एक ऑफिसर कमल साहू से, कमल साहू एक सरकारी कर्मचारी हैं। वर्ष 2021 में ऑफिसर कमल साहू जगतपुर सिंह से पारा द्वीप जा रहे थे, इसी समय वह एक सड़क हादसे की चपेट में आ जाते हैं।

 

ऑफिसर कमल साहू ऑफिस के काम के सिलसिले से पारा द्वीप जा रहे थे, उस वक्त सड़क हादसे में मेरी बाइक पानी की टैंक से जा टकराई और वहां के लोग मेरी मदद करने के बजाय तस्वीरें खींचने में व्यस्त थे, कुछ वक्त के बाद एक शख्स मेरे समीप आकर मेडिकल हेल्पलाइन के लिए फोन लगाता है।

 

मेडिकल हेल्पलाइन की गाड़ी आकर मुझे हॉस्पिटल लेकर जाती है उसी वक्त मुझे डॉक्टर से यह पता चलता है मेरी रीड की हड्डी टूट गई है, और यदि सही समय पर मेरा इलाज नहीं किया गया तो मेरे लिए फिर से उबर कर खड़ा होना काफी मुश्किल होगा। वह आगे कहते हैं कि मैं उस शख्स का हमेशा आभारी रहूंगा जिसने आगे आकर मेरी मदद की।

 

आइए जानते हैं कौन था वह शख्स जिसने बचाई ऑफिसर कमल साहू की जान

 

ऑफिसर कमल साहू की सड़क हादसे में आगे आकर मदद करने वाला व्यक्ति पंकज कुमार तरई था। पंकज पारा द्वीप के रहने वाले हैं और पारादीप में होने वाले सड़क हादसा के बचाव के लिए एक मुहिम को बढ़ावा दे रहे हैं और इन्होंने इस मुहिम के तहत 300 से अधिक लोगों की जान भी बचाई है।

 

इस प्रकार शुरू हुआ था उनका यह सफर

 

दरअसल यह बात है वर्ष 2005 की जब तक पंकज कुमार तरई एक ट्रक ड्राइवर के रूप में कार्य करते थे। एक दिन पंकज अपना काम खत्म करके परा द्वीप कटक के रास्ते से अपने घर वापस लौट रहे थे परंतु हाईवे में जाते समय उन्होंने भूटामुंडई के पास लोगों की अधिक भीड़ देखी।

 

भीड़ में जाकर पंकज ने देखा तो पता चला कि एक ट्रक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी है। मोटरसाइकिल चलाने वाले दोनों लोग सड़क पर ही लहूलुहान हो रहे थे परंतु भीड़ में एकत्रित सभी लोग उन्हें देख रहे थे एवं कोई भी मदद के लिए सामने नहीं आ रहा था।

 

परंतु पंकज ने जैसे ही उन दो लहूलुहान व्यक्तियों को देखा तो पंकज ने इंसानियत दिखाते हुए उन दोनों लोगों की मदद के लिए सामने आए, इस दौरान पंकज कहते हैं कि जब मैं उन दो लहूलुहान व्यक्तियों को लेकर अस्पताल पहुंचे तो ने बताया कि दोनों की जान जा चुकी है और उन्होंने कहा अगर 10-15 मिनट पहले आप इन्हें लेकर आए होते तो शायद उनकी जान बच जाती।

 

इस हादसे का काफी असर पंकज कुमार तरई की जिंदगी पर पड़ा इस हादसे ने पंकज को काफी अधिक झकझोर कर रख दिया और इसके बाद ही उन्होंने सड़क हादसे में लोगों की जान बचाने की एक मुहिम छेड़ दी, कई वर्षों तक अकेले इस मुहिम के साथ जुड़कर कई लोगों की जान बचाते रहे हैं परंतु उन्हें कुछ समय बाद महसूस हुआ कि इस मुहिम में और भी लोगों को जोड़ा जा सकता है।

 

इस दौरान पंकज ने अपनी मुहिम में और लोगों को शामिल करने के लिए “देव दूत सुरक्षा वाहिनी” की शुरुआत की और आज उनकी इस मुहिम में 250 से अधिक लोग जुड़ कर सड़क हादसे मैं होने वाली दुर्घटनाओं में लोगों की जान बचाने के लिए अग्रसर हो रहे हैं।

 

पंकज बताते हैं कि वह “देव दूत सुरक्षा वाहिनी ” के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप चलाते हैं जिसमें वकील, तहसीलदार, क्षेत्र मुखिया जैसे 250 लोग इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं।

 

कहते हैं कि इन सभी लोगों में से अगर किसी को भी सड़क हादसे की कुछ भी जानकारी उपलब्ध होती है तो वह सबसे पहले मुझे बताते हैं और मैं अपना सारा काम छोड़ कर लोगों की मदद के लिए पहुंच जाता हूं और नजदीकी सरकारी या नजदीकी प्राइवेट हस्पताल में उन्हें ले जाता हूं।

 

अपनी कमाई का 30 फ़ीसदी से अधिक घायलों पर करते हैं

 

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पंकज कुमार तराई फिलहाल बालू आलू चिप्स का बिजनेस करते हैं। पंकज कहते हैं कि पारा द्वीप में प्रतिदिन कोई न कोई सड़क हादसा होता ही रहता है, वह कहते हैं कि सड़क हादसे का सबसे महत्वपूर्ण कारण टू लेन सड़कों का होना है क्योंकि जरूरत चार लेन सड़कों की है।

 

पंकज बताते हैं कि सभी लोग अपनी गाड़ियां काफी तेजी से चलाते हैं जहां छोटी सी भूल भी सभी पर काफी भारी पड़ जाती है। 38 वर्षीय पंकज बताते हैं कि पारा द्वीप में महीने की दर से अगर देखा जाए तो 30 से 35 लोग सड़क हादसे का शिकार होते हैं।

 

पंकज कहते हैं कि मैं मदद करने के बाद किसी से भी पैसे नहीं लेता हूं अस्पताल में पहुंचाए जाने के बाद फास्टेड का 1000 से 1500 हजार तक का खर्च होना कोई बड़ी बात नहीं है।

 

पंकज कहते हैं कि इलाज के लिए मरीज के परिवार वालों की आने तक का इंतजार नहीं कर सकता क्योंकि कोई भी परिवार वाले सड़क हादसे की खबर सुनते ही काफी घबरा जाते हैं और अगर वह अस्पताल पहुंच जाते हैं तो उनसे यह कहना कि इसमें इतना खर्च हुआ है यह मेरे ईमान को काफी चोट पहुंच जाएगा।

 

इस दौरान पंकज कहते हैं कि महीने के 30 हजार आसानी से खर्च हो जाते हैं और मुझे कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है परंतु मैं आज तक लोगों की मदद करने के लिए पीछे नहीं हटा और ना ही हटूंगा।

 

पंकज बने हैं आज सब के लिए प्रेरणा

 

पारा द्वीप के रहने वाले अमित पंकज के बहुत ही करीबी दोस्त हैं , इस दौरान अमित का कहना है कि पंकज उनका बचपन का दोस्त है। अमित कहता है कि मैं पंकज की इस मुहिम को उतना गंभीरता से नहीं लेता था परंतु जब मैंने पंकज को अपनी आंखों के सामने सड़क हादसे में लोगों की मदद करते हुए देखा तो मेरी आंखें मानो खुल गई और मैं भी इस मुहिम के साथ जुड़ गया।

 

अमित बताते हैं कि मैं और पंकज एक दिन दोनों साथ में काम पर जा रहे थे और उसी वक्त एक ट्रक और कार आपस में भिड़ गए। और इस हादसे में एक दंपत्ति घायल हो गया और इस दौरान पति की मौत हादसे में ही हो गई परंतु उसकी गर्भवती पत्नी को तुरंत ही हस्पताल में लेकर गए और इस वक्त पंकज ने एक नहीं दो-दो जान को बचाया था।

 

आज पंकज द्वारा किया गया कार्य से अगर सभी लोग प्रभावित हो जाए तो आज सड़क हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो जाएगी, अगर सभी लोग पंकज के इस सोच से

 

जुड़ जाए तो जिस प्रकार आज पंकज कई लोगों की जान बचा रहे हैं उस तरह और भी कई लोग इस तरह के हादसों में होने वाली लोगों की जान बचाय तो सड़क हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या ना के बराबर पहुंच जाएगी।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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