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नौकरी छोड़कर गांव के ये दो दोस्त मशरूम के खेती से कमा रहे लाखों

Kuldeep and Pradeep mushroom kisan
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आइए जानते हैं टिहरी गढ़वाल के एक छोटे से गांव भैंसकोटी के रहने वाले कुलदीप बिष्ट और उनके मित्र प्रदीप जुयाल से , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुलदीप बिष्ट और प्रदीप जुयाल अपनी पढ़ाई और काम के लिए शहर चले गए थे परंतु आज दोनों अपने गांव वापस लौट कर गांव में रहकर मशरूम की खेती करके काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर रहे हैं।

टिहरी गढ़वाल के एक छोटे से गांव भैंसकोटी के रहने वाले कुलदीप बिष्ट बचपन से ही अपने दादाजी को खेती करते हुए देखा करते थे ।

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जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुलदीप के पिता एक टीचर है और यही कारण है कि कुलदीप के पिता चाहते थे कि कुलदीप भी अच्छी पढ़ाई करके किसी अच्छी नौकरी को हासिल करें , और इसी सोच को सत्य करने के लिए कुलदीप के पिता ने कुलदीप को एमबीए की पढ़ाई करने के लिए गाजियाबाद भेजा था ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुलदीप अपनी पढ़ाई करने के बाद एक प्रतिष्ठित बैंक में नौकरी कर रहे थे , परंतु नौकरी के दौरान उनका खेती के लिए लगाओ होने के कारण उन्हें हमेशा ऐसा लगता था कि उन्हें खेती की दिशा में कुछ करना चाहिए , इस दौरान उन्होंने अपने इस विचारों को अपने एक दोस्त प्रमोद जुयाल से साझा भी किया था ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि देहरादून के आसपास का इलाका मशरूम की खेती के लिए काफी अधिक जाना जाता है, परंतु वर्ष 2017 में कुलदीप के गांव में काफी कम लोग मशरूम की खेती करते थे ।

इस दौरान कुलदीप ने सोचा‌ क्यों ना गांव में मशरूम की खेती की शुरुआत की जाए इस दौरान कुलदीप ने अपनी जमा पूंजी को लगाकर एक छोटी शुरुआत की।

बातचीत के दौरान कुलदीप बताते हैं कि फिलहाल तो वह अपने दादाजी के बागान का ध्यान रखने के साथ-साथ मशरूम उगाने और नए प्रोडक्ट तैयार करने का कार्य कर रहे हैं ।

नौकरी के साथ-साथ सीखा मशरूम उगाना

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुलदीप के दादाजी पहले एक सिंचाई विभाग में कार्य करते थे , और इसके बाद में उन्होंने अपने घर की जमीन पर 250 से 300 फलों के पेड़ों को लगाया, अर्थात कुलदीप अपने दादाजी के साथ फलों के पेड़ों की देखभाल करते थे ।

कुलदीप अक्सर अपनी नौकरी के दौरान सोचते थे कि किस प्रकार खेती का काम शुरू किया जाए परंतु घर वालों को मनाना एक बड़ी समस्या थी ।

कुलदीप ने खेती की शुरुआत करने के लिए अपनी नौकरी के दौरान वर्ष 2015 में उन्होंने मशरूम की खेती के फायदे के बारे में जाना और नौकरी के साथ ही साथ मशरूम की ट्रेनिंग लेने का निश्चय किया इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड उद्यान और स्थान मशरूम की खेती करने वाले किसानों से ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी।

कुलदीप बताते हैं कि उन्होंने मशरूम की खेती शुरू करने के लिए अपने दोस्त प्रदीप के साथ पूरा तरीका से साझा किया इस दौरान उनके दोस्त ने उनकी पूरी मदद की और अपनी 40‌ हजार सेविंग काम को शुरू करने में लगाई ।

इस दौरान कुलदीप कहते हैं कि हमने किराए पर एक कमरा लिया और दिन में हम अपनी नौकरी करते और रात में इस कमरे में मशरूम की खेती किया करते थे ।

कुलदीप बताते हैं कि पहले प्रयास में उन्हें काफी अच्छा नतीजा देखने को मिला इस दौरान उन्होंने 1 साल तक अपनी नौकरी के साथ ही साथ मशरूम की खेती का उत्पादन किया ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कुलदीप और उनके दोस्त प्रदीप नौकरी के साथ ही साथ थोड़े समय को निकालकर मशरूम को बेचने के लिए बाजार भी जाया करते थे अब कुलदीप धीरे धीरे बटन, ऑयस्टर , मिल्की मशरूम के अलावा गेनोडर्मा, शीटाके की भी खेती करनी शुरू कर दी है ।

आखिरकार कुलदीप बिष्ट ने अपने दोस्त के साथ मिलकर नौकरी के साथ की गई खेती की सफलता को देखते हुए अपनी नौकरी को छोड़ कर जेएमडी फार्म नाम से एक कंपनी की शुरुआत की है ।

हालांकि कुलदीप के नौकरी छोड़ने की बात से उनके घरवाले सहमत नहीं थे और उनके फैसले को उनके कई दोस्तों ने भी गलत ठहराया परंतु कुलदीप के दादा उनके इस कार्य से काफी खुश थे कि उनका पोता भी खेती से जुड़ रहा है ।

मशरूम के प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत 

जैसे-जैसे कुलदीप का खेती में प्रोडक्शन बढ़ता गया वैसे-वैसे उन्होंने देहरादून के टिहरी में भी प्रोडक्शन शुरू किया , कुलदीप का कहना है कि फ्रेश मशरूम के अलावा जो मशरूम बच  जाते हैं उनसे वह अन्य प्रोडक्ट तैयार करते हैं ।

फिलहाल कुलदीप मशरूम से अचार मुरब्बा ,बिस्कुट, ड्राई पाउडर ,नूडल्स एवं चवनप्राश भी तैयार करते हैं , और मार्केट में इसे निर्यात कर काफी अधिक मुनाफा भी अर्जित करते हैं ।

आज कुलदीप बिष्ट और उनके दोस्त प्रदीप जुयाल अपनी नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती की ओर रुख करके अन्यथा मशरूम की खेती से अन्य प्रोडक्ट को तैयार करके और उनका निर्यात करके काफी अधिक मुनाफा अर्जित कर ही रहे हैं साथ ही साथ उन लोगों को एक सीख दे रहे हैं जो समझते हैं कि केवल सरकारी नौकरी ही सब कुछ होती है परंतु अगर देखा जाए तो खेती भी एक मुनाफे का सौदा है ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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