आज हम बात करने वाले हैं नोएडा के रहने वाले अभिनव शर्मा के बारे में , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अभिनव शर्मा लगभग 1 वर्ष तक कोमा में रहे हैं परंतु फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर 12वीं की परीक्षा में 92.4% नंबर लाकर एक मिसाल कायम की है ।
कहा जाता है कि मन में दृढ़ संकल्प हो तो आप कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी इच्छाशक्ति के बल पर हर समस्या का समाधान करके सफलता हासिल कर सकते हैं , अर्थात इस बात की जीता जागता सबूत है नोएडा के रहने वाले अभिनव शर्मा ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अभिनव शर्मा पूरे 1 वर्ष तक कोमा में रहे हैं अर्थात रिकवर होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई की शुरुआत की , अर्थात अपनी मेहनत और लगन के बल पर अभिनव शर्मा ने 12वीं की परीक्षा में ना केवल सफलता हासिल किए बल्कि उच्च नंबर 92.4% भी हासिल किए हैं ।
कोमा की परिस्थितियों से बाहर आने के बाद अभिनव के लिए पढ़ाई को समझना और याद करना बिल्कुल भी आसान नहीं था , परंतु फिर भी अभिनव ने हार नहीं मानी और और अपनी मेहनत के बल पर सफलता हासिल कर ली।
अभिनव शर्मा नोएडा के समरविले स्कूल में पढ़ते हैं , अर्थात अभिनव की माता पेशे से एक डॉक्टर है। एक डॉक्टर के तौर पर मां अनुपमा मिश्रा बताती है कि वर्ष 2018 में 1 दिन अचानक उनके बेटे अभिनव को कार्डिएक अरेस्ट हुआ है जिसकी वजह से अभिनव की ब्रेन इंजरी हो गई थी जिसके कारण वह कोमा में चले गए थे , और उस वक्त अभिनव 12वीं की कक्षा में पढ़ रहे थे।
पूरे 1 वर्ष तक कोमा में रहे अभिनव
अभिनव शर्मा पूरे 1 वर्ष तक कोमा में रहे और कोमा से वापस आने के बाद वह धीरे-धीरे रिकवर हो रहे थे परंतु वह वर्ष 2019 की सभी बातें भूल चुके थे । इस दौरान अभिनव बताते हैं कि उन्होंने कोमा में जाने से पहले अपनी 11वीं की परीक्षा को पास करके 12वीं कक्षा में दाखिला लिया था परंतु उसके बाद ही वह कोमा में चले गए थे इस दौरान कोमा से रिकवर होने के बाद उन्होंने एक बार फिर से 11वीं कक्षा में अपना एडमिशन लिया ।
शुरुआती समय था अत्यंत कठिन
अभिनव शर्मा को शुरुआती पढ़ाई को याद रखने में समझने में काफी अधिक कठिनाई हो रही थी , किसी भी सब्जेक्ट को समझने में उन्हें काफी अधिक परेशानी होती थी अर्थात अब तो उनके पास उनके पुराने दोस्त भी नहीं थे जो उनकी मदद कर सके परंतु अभिनव ने हार नहीं माना और ग्यारहवीं परीक्षा पास कर ली अर्थात इसके बाद उन्होंने 12वीं का बोर्ड दी और अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ 92.4% अंक हासिल किए ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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