ADVERTISEMENT

थामे रखिए सदा अपनों का हाथ : Thame Rakhiye

Thame Rakhiye
ADVERTISEMENT

घटना प्रसंग एक बार इंसान ने कोयल से कहा तू काली न होती तो कितनी अच्छी होती , सागर से कहा तेरा पानी खारा न होता तो कितना अच्छा होता , गुलाब से कहा तुझमें कांटे न होते तो कितना अच्छा होता तब तीनों एक साथ बोले हे इंसान अगर तुझमें दूसरों की कमियाँ देखने की आदत न होती तो तूँ कितना अच्छा होता ।

सचमुच ज़माना ऐसा है पहली बात तो ये की स्वाद बढ़ा तो विज्ञापन गुरु खिल उठा और ऐसा हुआ कमाल की पीतल चमका हाट में कंचन हुआ बेहाल और दूसरी बात ज़माने को भूलने की बातें याद है इसीलिए जिन्दगी में विवाद है ।

ADVERTISEMENT

अब करे क्या? क्योंकि फूलों की मादकता से भी आज मन नही खिलता और सफ़ेद पोश से ढका मानव गिरग़िट सा रंग बदलता है। इन बढ़ती स्वाद -विवाद तृष्णाओं से हम कब उभरेंगे न जाने कब हमारे पूर्वजों के आदर्शों का सूरज फिर से उगाएँगे।

कुछ तो करना है तो अपने छोटे से गगन में अपनी छोटी ख़ुशहाल ज़िंदगी बसाए, समंदर ना सही नादियों की मिठास बन सबसे स्वर-ताल-लय मिलाए। प्रेम-प्यार-विश्वास-स्नेह का हो अपरिमित ध्यान तो इस परिश्रमी संसार में पाये सबसे मान-सम्मान।

इसलिए-कभी कभार हमें सही होने के बावजूद भी चुप रहना पड़ता है इसलिए नहीं कि हम डरते है बल्कि इसलिए कि रिश्ते हमें बहस से ज्यादा प्यारे होते है।

जीवन के इस सफर में खुदा ना खस्ता यदि हो गई अनबन अपनों से किसी कारण से तो सारी खुशियॉं गायब हो जाती है और शायद ये दुनिया ही जैसे खाने दौड़ती है इसलिए सदा थामे रखिए अपनों का हाथ रहिए मिलजुल कर प्रेम मोहब्बत से अपनों के साथ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :-

हर दिन इतिहास बन जाए : Har Din Itihas Ban Jaye

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *