जिंदगी के गुर : जो हम जाते हैं बिसर

जिंदगी के गुर

हमारी जिंदगी के कुछ गुर ऐसे होते हैं जो पढ़ने सुनने में तो मानो साधारण से लगते हैं। पर वास्तव में वे अविस्मरणीय होते हैं। क्योंकि वे बेशकीमती होते हैं। तन के वंदन से मन का वंदन अधिक प्रभावशाली हो जाता है।

मन के झुके बिना तन का झुकना कहां सार्थक हो पाता है । भाव से ही होता है सही स्वभाव का निर्माण, भाव की तीव्रता ही बनाती है लक्ष्य प्राप्ति को आसान ।

कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है,उसकी सुगन्ध बाहर बिखरती है, हिरण उसकी सुगन्ध किधर से आ रही है, नहीं जान पाता, वन वन में भटकता है उसे पाने के लिए, यही हाल हमारा है, भगवान सदाचार, भाईचारा, नैतिकता आदि गुणों के रूप में पाए जाते हैं।

हम बेभान बाहर की भौतिकता के आडम्बरों में फंसकर उन्हें अलग अलग सम्प्रदाय वाले अलग अलग स्थानों में खोजते हैं। सच्चाई एक ही है, सम्प्रदाय भिन्न भिन्न है, भगवान को पाने का सच्चा रास्ता एक ही है, आत्मा का दर्शन कर लेना, उसे खोज लेना, वो अंतर्मन में ढूंढे बिना नहीं मिलेगा, वही भगवानहै।

कभी-कभी हमारे सामने कठिन काम भी आते हैं।हम यह सोच कर आगे के लिये टाल देते है कि यह काम कठिन है । सब उपाय कर लिए पर सफलता का रास्ता नहीं दिखता हैं ।

क़ार्य सभी कठिन होते हैं,पर उस क़ार्य में आप जी जान लगा देंगे तो वो कठिन क़ार्य भी आसान हो जायेगा और साथ में आपको आत्म संतोष भी मिलेगा। ऐसे में हार मानकर नहीं बैठ जाना चाहिए।

कोशिश आखरी साँस तक करनी चाहिए। यदि न भी मिले मंजिल कम से कम अनुभव तो मिलेगा ही । इस तरह दोनों चीजें बेशकीमती हैं भले ही कितनी ही मुश्किल हो ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :-

दे मॉं सरस्वती : विद्या के संग विनय

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *