ADVERTISEMENT

आज की दुनिया : Aaj ki Duniya

आज की दुनिया
ADVERTISEMENT

पुराने जमाने में व्यवहार वास्तविक होता था। जैसी बात होती वैसा ही मन भी होता था। परन्तु आजकल पश्चिमी सभ्यता की देखा – देखी में अंधानुकरण करते विशेषकर हम सब उस ओर इतनी अधिक आकर्षित हो चूके है कि कुछ समझने को तैयार ही नहीं है |

उसी के साथ विचारों की हमारी विषाक्तता आती जा रही है । जैसे इस बनावटी दुनियाँ में आजकल हर वस्तु को ऐसे सजाया और उसका ज़ोर – शोर से बहुत प्रचार कराया जाता है कि जिससे आज के लोग उस उत्पाद को ख़रीदे।

ADVERTISEMENT

जो लोग अमुक तेल को कभी भी लगाया ही नहीं फिर भी टीवी में उसका इस तरह से विज्ञापन में दिखाते हैं कि इसका प्रयोग करने से बाल घने और लम्बे होंगे ही होंगे ।यही हाल खाने की वस्तु के लिये है जिसमे शुद्ध उत्पाद में मिलावट आदि के चक्कर में कटघरे में आ जाती है ।

पैसों के पीछे लोग दुनियाँ से खिलवाड़ करने में कोई भी संकोच नहीं करते हैं । यही हाल आजकल हर इंसान पर लागू हो रहा है। नाम और अपनी बड़ाई के लिये सौ रुपये की कम्बल गरीब को दान देकर फ़ोटो ऐसे खिंचवाते हैं जैसे वो कितना बड़ा दानवीर है फिर उसी फ़ोटो को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित कर पूरे देश में अपनी दानवीरता का बखान करते हैं।

आगे फिर जब लोग उनकी दानवीरता की चर्चा करते हैं तो उनके अंदर अँहकर और बढ़ने लगता है।वैसे ही लोग किसी संस्था में हज़ार रुपये का पंखा दान देकर उसकी तीनों – चारों ब्लेड पर दादे से लेकर पोते तक की पीढ़ी का नाम आदि लिखवाते हैं और ऐसे सो करते हैं जैसे उनके जैसा कोई दूसरा भामाशाह है ही नहीं ।

आज का जमाना कितना बदल गया है । आज लोगों की असलियत पहचानना बहुत मुश्किल है । क्योंकि आजकल लोगों की आम आदत हो गई है हक़ीक़त में कम फ़ोटो में ज्यादा मुस्कुराना ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :

अतुल्य भारत : Incredible India

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *