शादियों के मौसम में और अन्य कई त्योहारों में औरतों को साड़ी पहनने की कुछ अलग ही उत्सुकता होती है। औरतें तो महंगी और भारी-भरकम साड़ियां खरीद लेती है परंतु साड़ियों को केवल एक से दो बार पहनती है, उसके बाद वे साड़ियां हमेशा के लिए अलमारी में बंद हो जाती है। और यह चलता रहता है और कई बार तो फिजूल खर्च समझकर वह अपने शौक को पूरा भी नहीं कर पाती।
गुजरात के बड़ौदा शहर के ओल्ड पडरा रोड, मल्हार पॉइंट मैं एक ऐसे साड़ी लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जहां आप 5 दिन के लिए कम पैसों में आसानी से कोई भी साड़ी ले सकते हैं।
इस साड़ी लाइब्रेरी को एक खास मकसद से आठ सहेलियों ने मिलकर 2020 में खोला था। इस साड़ी लाइब्रेरी को 8 सहेलियों के मिलकर खोले जाने के द्वारा इस लाइब्रेरी का नाम ‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library) रखा गया है।
खबरों से पता चला है कि इस लाइब्रेरी की संस्थापक हेमा चौहान है। और उन्हें यह साड़ी की लाइब्रेरी स्थापित करने का आईडिया उनके घर में काम करने वाली नौकरानी से मिला है।
‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी ‘ ( Ashta Saheli Sari Library ) की शुरुआत :-
अष्ट सहेली लाइब्रेरी की संस्थापक हेमा चौहान बताती है कि ” पिछली गर्मियों के मौसम में मेरी नौकरानी कुछ दिनों के लिए एक शादी में शामिल होने वाली थी” परंतु शादी में पहनने के लिए उसके पास कुछ खास साड़ियां नहीं थी और ना ही इतने पैसे थे कि वह अच्छी साड़ी खरीद पाए। तब मैंने उधार के तौर पर उसे अपनी लहंगा चोली पहनने के लिए दे दी।
शादी से लौट कर आने के बाद मेरी नौकरानी ने मुझे मेरी लहंगा चोली वापस कर दी और बहुत ही खुशी से बताया कि शादी में सभी उसके कपड़ों की चर्चा कर रहे थे और मेरी कपड़ों की काफी तारीफ भी कर रहे थे। इसके बाद हेमा कहती है कि मैंने अपनी नौकरानी की खुशी को देखते हुए अपनी लहंगा चोली उससे वापस नहीं ली।
हेमा बताती है कि यही समय था, जब मुझे यह एहसास हुआ कि हमारे आस-पास कितनी औरतें है जिनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है और कुछ औरतें ऐसी हैं जिनके पास ढेरों हैं और वह इसे एक दो बार पहनने के बाद देखती तक नहीं है। हेमा कहती है कि इस समस्या का हल करने के लिए मैंने अपनी 8 सहेलियों से बातचीत की और सभी औरतों के लिए कुछ करने का प्रयास करने के बारे में सोचा।
हेमा बताती है कि तब हमें लाइब्रेरी जैसा ख्याल आया और हमने एक साड़ी की लाइब्रेरी की स्थापना की और इसकी शुरुआत हम 8 सहेलियों ने अपने 5-5 आउटफिट को दान करके किया।
अष्ट सहेली लाइब्रेरी में है 400 से अधिक साड़ियों का कलेक्शन :-
हेमा कहती है कि इस लाइब्रेरी की शुरुआत हमने बतौर बिजनेस जून 2020 में की थी और शुरुआती दिनों में हमारे पास केवल 15 साड़ियां थी। परंतु अब अष्ट सहेली लाइब्रेरी में कांजीवरम, रेशम, बनारसी, कोटा चेक, बंधनी से लेकर शिफॉन और जॉर्जेट 400 से अधिक साड़ियों का कलेक्शन है।
इसके साथ ही साथ हमने अन्य आउटफिट जैसे चन्या चोली अन्य पारंपरिक आउटफिट जैसे पलाज़ो, लहंगा और ब्लाउज भी हमने अपनी साड़ी लाइब्रेरी में शामिल किए हैं। हेमा के साथ साथ ‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library) ग्रुप में नीला शाह, रीता विठलानी, पारुल पारिख, साधना शाह, गोपी पटेल, नीलिमा शाह और ट्विंकल पटेल भी इस साड़ी लाइब्रेरी के साथ जुड़ी हुई है।
हेमा के ग्रुप से बातचीत के दौरान पता चला है कि उनकी सारी लाइब्रेरी से लगभग 100 से अधिक औरतों ने साड़ियां 5 दिन के लिए उधार में ले चुकी है। वह बताती है कि हमारे ग्रुप में हम 8 सहेलियां दो-दो दिन घर के लाइब्रेरी में काम करते हैं और इसके साथ ही साथ हमारी साड़ी लाइब्रेरी के पास में एक दंपत्ति का सैलून है जो कभी-कभी हमारी मदद कर देता है।
‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library) कि टोकन मनी क्या है :-
हेमा बताती है कि हमारी साड़ी लाइब्रेरी का एक ऑनलाइन ग्रुप भी है जिसमें 13000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। हेमा बताती है कि ग्रुप के द्वारा मार्केटिंग करने के बाद ना केवल गुजरात बल्कि मुंबई दिल्ली कई जगह पर उनकी लाइब्रेरी से लोग साड़ी उधार में ले रहे हैं।
हेमा बताती है कि किसी भी कस्टमर को साड़ी लाइब्रेरी से साड़ी लेने से पहले ₹500 की टोकन राशि जमा करानी पड़ती है। हेमा बताती है कि कस्टमर से ₹500 का टोकन लेने के बाद वह टोकन राशि का उपयोग उस साड़ी को ड्राईक्लीनिंग और पोलीस कराने में करती है।
भरोसे पर चलाई जाती है ‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library) :-
जब हेमा से बातचीत के दौरान उससे पूछा गया कि वह उधार में दी गई साड़ियों को किस प्रकार ट्रक करती है तो हेमा ने कहा कि यह कस्टमर के साथ विश्वास पर निर्भर करता है।
हेमा बताती है कि हम कस्टमर को साड़ी देने से पहले उसका नंबर और एड्रेस नहीं लेते इसके बजाय हम उसकी आधार कार्ड की फोटो कॉपी लेते हैं अगर कभी कस्टमर अपनी आधार कार्ड की फोटो लाना भूल जाता है तो हम उसे साड़ी उधार में दे देते हैं। परंतु आज तक भगवान की दया से हमारे साथ किसी भी कस्टमर ने धोखाधड़ी नहीं किया है।
अष्ट साड़ी लाइब्रेरी का ग्रुप बताता है कि रोजाना 20 से अधिक कस्टमर आते हैं और साड़ी को उधार में लेकर जाते हैं। इस दौरान हेमा बताती है कि भले ही हमारी साड़ी लाइब्रेरी की रफ्तार थोड़ी धीमी है परंतु यह कई महिलाओं की मदद कर रहा है और उनके चेहरे पर मुस्कान ला रहा है।
लगने वाली है फ्री सेल :-
जानकारी के लिए बता दें कि ‘अष्ट सहेली लाइब्रेरी (Ashta Saheli Sari Library) मैं कुछ ऐसे आउटफिट हैं जिन्हें अभी तक उधार में नहीं लिया गया है उनके लिए साड़ी लाइब्रेरी का ग्रुप मुफ्त सेल जनवरी महीने में लगाने वाला है। इस दौरान हेमा बताती है कि हमें दान में मिले जूते पर्स और ज्वेलरी भी हम इस सेल में लगाएंगे।
हेमा बताती है कि भले ही मेरा बिजनेस उतना सफल नहीं हो रहा हो पा रहा है परंतु यह धीरे-धीरे कई औरतों के लिए सुविधाजनक हो रहा है और सभी औरतों के चेहरे पर मुस्कान भी ला रहा है। हेमा बताती है कि वे औरतों के लिए कुछ अच्छा करना चाहती थी और इसीलिए उन्होंने इस सारी लाइब्रेरी की शुरुआत कि वे अपनी नौकरानी के चेहरे पर जैसे खुशी पा रही थी वैसी खुशी हर महिलाओं के चेहरे पर देखना चाहती थी। हेमा की नेक सोच कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है।
लेखिका : अमरजीत कौर
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