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ऑटो डी राजा

कहानी एक ऐसे चोर की जो अब 11,000 बेसहारा लोगों के लिए मसीहा बन गया है

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हर इंसान की जिंदगी में तरह तरह की चुनौतियां आती रहती हैं। लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि एक अकेले व्यक्ति से दूसरे कई लोगों की जिंदगी का रुख बदल जाता है।

आज की कहानी एक ऐसे में बिगड़े हुए व्यक्त की है जो कभी डकैती करने का आरोपी था लेकिन आज वह सड़क पर रहने वाले हजारों निराश्रितो के लिए रक्षक बन गया है।

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जी हां हम बात कर रहे हैं ऑटो डी राजा की, जिनकी जिंदगी में एक घटना के बाद एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया और उसके बाद आज वह सभी के लिए एक रोल मॉडल बन गए हैं।

जो लोग सोचते हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा है, ऐसे में उनको ऑटो डी राजा की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। यह कहानी ठीक उसी तरीके की है जैसे एक पापी से संत बनने वाले महर्षि बाल्मीकि की कहानी है।

ऑटो डी राजा का जन्म एक टेलीफोन लाइनमैन के घर में हुआ था। लेकिन वो हमेशा से अपने मां-बाप के प्यार और दुलार से वंचित रहे। इसकी वजह से जल्द ही उन्हें बुरी आदतों की लत लग गई और उन्होंने स्कूल से भी नाता तोड़ लिया।

बुरी संगत में फंसकर वह कम उम्र में ही शराब पीने लगे और जुआ खेलने लगे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए चोरी भी करने लग गए थे।

इस बारे में राजा कहते हैं कुछ ही समय के अंदर में एक डॉन बन गया था। यहां तक कि मैंने अपनी मां के मंगलसूत्र को भी चुरा लिया था और अंत में अपने परिवार की सारी दौलत को लुटा दिया। जिस बाद माता-पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया और वह सड़क पर रहने के लिए मजबूर हो।

घर से निकाल दिए जाने के बाद वह एक बस स्टैंड के एक कचरे के डिब्बे को अपना बेडरूम बना लिए और सड़क पर एक तरह से कुत्तों की तरह रहने लगे। उनका न तो कोई पता होता था न ही जीवन में आगे क्या करना है इस बारे में कोई योजना थी।

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16 साल की उम्र में वह चेन्नई चले गए और वहां एक डकैती का हिस्सा बन गए। इस दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और बाल सुधार गृह में भेज दिया।

लेकिन जेल में उन्हें यह महसूस हुआ कि जिंदगी में उन्हें बहुत कुछ करना है जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद हो सके। इसके बाद वह प्रार्थना और ध्यान करने लगे और आजीविका चलाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाने लगे।

राजा बताते हैं कि वह अपनी ही तरह कई लोगों को सड़कों पर जिंदगी बिताते देखे हैं जिनमें से ज्यादातर लोग एचआईवी, कैंसर, टीबी, डिप्रेशन जैसी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।

राजा की जिंदगी में एक ऐसी घटना हुई जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। उन्होंने एक दिन एक नंगे व्यक्ति को रोड पर पड़ा हुआ देखा और वह अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रहा था।

यह घटना देखकर राजा काफी विचलित हुए और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह जरूरतमंदों के लिए कुछ करेंगे लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे।

 

इसलिए 1997 में अपने घर के सामने एक छोटे से जगह पर उन्होंने एक शुरुआत की और सड़क से निराश्रित लोगों को अपनी उस जगह पर ले जाया थे और उनके घावों को साफ करते, नहलाते, कपड़े पहनाते और खाना खिलाते थे।

जब यह बात उनके माता-पिता को पता चली तब उन्होंने कहा कि उनका बेटा बुरा व्यक्ति बन गया है क्योंकि वह पागल लोगों को घर ले आता है और इस काम में उनके माता-पिता और दोस्तों ने भी उनकी मदद नही की।

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लेकिन कुछ महीने बाद इस काम में उनकी मदद उनकी पत्नी करने लगी। दोनों मिलकर ज्यादा लोगो की मदद कर पाते थे।

धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ने लगी और ज्यादा चीजो की जरूरत हुई। तब एक बार एक चर्च से उन्हें  रू. 5000 की मदद मिली और थोड़ी सी जगह भी मिल गई और यहां से उन्होंने “होम आफ होप” (New Ark Mission of India) की नींव रखी।

आज होम आफ होप में लगभग 700 लोग रहते हैं जिसमें 80 अनाथ बच्चे भी हैं। इन सब की देखभाल के लिए एक डॉक्टर, एक साईकास्ट्रिक और आठ नर्से हैं। राजा इन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं जिससे वह एक दिन बड़े होकर अच्छे नागरिक बने और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

राजा कर्नाटक के रहने वाले हैं और उनका कहना है कि वह कर्नाटक को एक ऐसा राज्य बनाना चाहते हैं जहां पर एक भी भिखारी न दिखाई दे।

ऑटो डी राजा की कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम कुछ भी कर सकते हैं। हमें बेसहारा लोगों की मदद करनी चाहिए। इस तरह से हम अपने देश की सेवा कर सकेंगे और भारत को गरीबी से मुक्त बना सकेंगे और एक अच्छा देश बना सकेंगे।

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