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अजीम प्रेमजी जिन्हें अमीरी रोमांचक नही लगती

Azim Premji : जिन्हें अमीरी रोमांचक नही लगती, परोपकारी के लिए रहते है तैयार

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Azim Premji को भारत का Bill Gates भी कहा जाता है। अजीम प्रेमजी का पूरा नाम Azim Hashim Premji है। अगर इनके पिता पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना की बात मान लेते तो अजीम प्रेमजी आज भारत के बजाय पाकिस्तान में होते और पाकिस्तान में आईटी उद्योग और दानवीरता के लिए जाने जाते। आज Azim Premji भारत के दिग्गज आईटी उद्योगपति और भारत के सबसे बड़े दानवीर के रूप में जाने जाते हैं।

अजीम प्रेमजी के पिता Mohammad Hashim Premji एक बहुत बड़े कारोबारी थे। इनके पिता को “बर्मा के राइस किंग” के तौर पर भी जाना जाता था। भारत और पाकिस्तान का जब बंटवारा हो रहा था, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने खुद अजीम प्रेमजी के पिता को पाकिस्तान चलने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने जिन्ना के निवेदन को इंकार कर दिया और भारत में ही रहना पसंद किया।

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अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। आज वह 75 साल के हो गए हैं। अजीम प्रेमजी को Indian IT Industry को बादशाह के रूप में पहचान दिलाने में उनकी कंपनी विप्रो का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अजीम प्रेमजी विप्रो के चेयरमैन है।

Attribute

Information

Full Name

Azim Hashim Premji

Date of Birth

July 24, 1945

Nationality

Indian

Occupation

Business tycoon, philanthropist

Known for

Chairman of Wipro Limited

Education

Stanford University (dropped out)

Company Founded

Wipro Limited

Net Worth

11.6 billion USD ( 2023 ) 

Awards

Padma Bhushan (2011), Padma Vibhushan (2019)

अजीम प्रेमजी ने अपनी पहचान बिजनेस टायकून के अलावा एक दानवीर के रूप में भी बनाई है। फोब्स द्वारा 2019 की रिपोर्ट के अनुसार अजीम प्रेमजी साल 2019 के एशिया के सबसे बड़े दानवीरो की सूची में पहले स्थान पर थे। अजीम प्रेमजी ने 7.6 अरब डॉलर के विप्रो के शेयर को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले अपने एक फाउंडेशन को दान दे दिया था।

अजीम प्रेमजी अपनी जिंदगी में अब तक 21 अरब डॉलर का दान कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अजीम प्रेमजी Foundation university भारत भर में 2 लाख से भी ज्यादा सरकारी स्कूल में टीचरों को प्रशिक्षित करने और उन्हें बेहतर पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं।

 कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी अजीम प्रेमजी ने काफी दान किया है और इस लड़ाई में सबसे ज्यादा दान करने वाले लोगों की सूची में शामिल है। कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए अजीम प्रेमजी ने एक हजार करोड़ रुपए दान किए थे। साल 2013 में अजीब प्रेमचंद्र जी ने बताया था कि वह अपनी Personal property का 25 फ़ीसदी हिस्सा दान कर चुकी है। जुलाई 2015 अजीम प्रेमजी विप्रो की अपनी 18 फीसदी की हिस्सेदारी भी दान कर दी थी।

अजीम प्रेमजी का कहना है कि उन्हें अमीरी से कोई रोमांच महसूस नही होता है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि “मैं पिछले एक साल से परोपकार के कार्य में ज्यादा जुड़ा हुआ हूं और मै यहां यह देख रहा हूं कि यह एक बेहद जटिल काम है, पैसे के बिना किसी इंसान को खुश किया जा सकता है, समाज सेवा से जो तारीफ मिलती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है”।

अजीम प्रेमजी ने कहा कि मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि जिन लोगों के पास धन होने का विशेषाधिकार है उन लोगों को लाखों लोगों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने और उसके लिए प्रयास करने में योगदान देना चाहिए। अजीम प्रेमजी का मानना है कि परोपकार करना किसी भी कंपनी को चलाने से भी ज्यादा मुश्किल काम है।

 वारेन बफेट और बिल गेट्स के अभियान “The giving pledge” में शामिल होने वाले अजीम प्रेमजी पहले भारतीय हैं, साथ ही इस अभियान में शामिल होने वाले तीसरे गैर-अमेरिकी व्यक्ति हैं, इसके पहले इस अभियान में गैर-अमेरिकी के तौर पर Richard Branson और David Sanceri शामिल हुए थे।

परोपकार के मकसद से अजीम प्रेमजी ने 2001 में अजीम प्रेमजी Foundation university की स्थापना की थी। 1945 में ‘वेस्टर्न इंडियन Vegetable Products Limited‘ नाम की कंपनी की स्थापना अजीम प्रेमजी के पिताजी मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने की थी। इसी कंपनी को आज “विप्रो” के नाम से जाना जाता है। अजीम प्रेमजी जब मात्र 21 साल के थे तभी उनके पिता गुजर गए।

उस समय अजीम प्रेमजी Stanford University में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन पिताजी के गुजर जाने के बाद वह अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत आ गए और 1996 में अपने पिता की कंपनी को संभाल लिया।

उस समय वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड Sunflower Botanical Brand के नाम से खाद्य तेल और कपड़े धोने का साबुन बनाया करती थी, जिसे 787 के नाम से भी जाना जाता था। लेकिन जब अजीम प्रेमजी ने कंपनी की बागडोर संभाली तब कंपनी में बेकरी, टॉयलेट से संबंधित उत्पाद, बाल से संबंधित उत्पादों से जुड़ी वस्तुएं भी उत्पाद की जाने लगी।

 1980 के दशक में आईटी कंपनी आईबीएम भारत से चली गई और भारत के आईटी सेक्टर में स्पेस बन गया। इस स्पेस को अजीम प्रेमजी ने समझा और अपने पिता की कंपनी ‘वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड’ को ‘विप्रो’ कंपनी में बदल दिया और कंपनी साबुन और घरेलू उत्पाद बनाने के बजाय सॉफ्टवेयर बनाने लगी।

अजीम प्रेमजी को 100 से भी ज्यादा बार टाइम्स मैगजीन द्वारा सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया है, इसके अलावा एशियावीक द्वारा दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में साल 2010 में उन्हें शामिल किया गया था। भारत सरकार द्वारा साल 2005 में अजीम प्रेमजी को व्यापार और कॉमर्स के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

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