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COVID के दौरान गवाई नौकरी , तब इंजीनियर ने लगाया चाय का ठेला , बनाते हैं 50 तरह की चाय

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आज हम बात करने जा रहे हैं बी-टेक चाय की शुरुआत करने वाले आनंदु अजय, मोहम्मद शफी और मोहम्मद शहनवाज के द्वारा खोली गई चाय की  स्टॉल की, इनके चाय के स्टॉल में आप  5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक की चाय के 50 फ्लेवरस का का स्वाद चख सकते हैं।

भारत में स्थित केरला के हाईवे पर आपको कई ऐसे स्टॉल मिल जाएंगे जहां आपको गरम गरम चाय आसानी से मिल जाएगी। यह तो एक जाहिर सी बात है अगर आपको चाय की तलब होगी तभी आप वहां रुक कर चाय पिएंगे।

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परंतु केरल के कोल्लम जिले के पल्लीमुककु कस्बे में  एक ऐसा टी स्टॉल है, जहां से गुजरते हुए आपकी इच्छा हो या ना हो परंतु आप वहां एक बार रुक कर बी-टेक चाय स्टाल की चाय का स्वाद अवश्य लेना चाहेंगे। एनएच66 के किनारे स्थित बी-टेक टी स्टॉल मैं 50 से अधिक चाय के जायके मिलते हैं।

इस टी स्टॉल की पहली खासियत इसका नाम है । इस टी स्टॉल की शुरुआत आनंदु अजय, मोहम्मद शफी और मोहम्मद शहनवाज जो मोहम्मद शफी के भाई हैं,  करोना कल के समय इन तीनों ने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी खो देने के बाद टी स्टॉल लगाना शुरू किया इसका नाम बी-टेक टी स्टॉल रखा।

इनका कहना है कि इनके इलाके में चाय की काफी सारी दुकानें उपलब्ध है, और यही कारण था कि भीड़ से सबसे अलग दिखने के लिए और भीड़ को अपने और अट्रैक्ट करने के लिए कुछ अलग करना बेहद जरूरी था।

यह कहते हैं कि हम तीनों ही इंजीनियरिंग ग्रेजुएट थे और चाय का बिजनेस शुरू करने जा रहे थे और इसी कारणवश हमने अपने बिजनेस का नाम बी-टेक चाय स्टाल रखा था।

इस प्रकार हुई बीटेक चाय स्टाल की शुरुआत

करोना महामारी के दौरान लगा लॉकडाउन और यह पूरे देश के लोगों के लिए काफी मुश्किल समय साबित हो रहा था।

आनंदू और सफी भी इससे बच नहीं पाए उनकी भी नौकरी इस वक्त जा चुकी थी उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करें, बहुत समय के बाद सोच विचार करने के बाद उन्होंने तय किया कि वह कुछ नया काम करना शुरू करेंगे।

आनंदू कहते हैं कि जब पूरे देश में लोकडाउन लग गया था और हमने भी अपनी नौकरी को खो दिया था, हम दोनों ने मिलकर कुछ नया शुरू करने का फैसला लिया था।

वह बताते हैं कि फूड बिजनेस की शुरुआत करने का हमने सोचा था परंतु पैसों की कमी होने के कारण हम कुछ अच्छा और कुछ बड़ा नहीं कर पा रहे थे। यही कारण था कि हमने एक ठेले पर बी-टेक चाय स्टॉल की शुरुआत की थी।

शफी बताते हैं कि करोना महामारी के दौरान उसके बड़े भाई शाहनवाज मिडिल ईस्ट में काम कर रहे थे और इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा था और यही समय था कि उन्होंने घर वापस लौटने का निश्चय किया और यहां आकर हमारे बी-टेक टी स्टॉल में हमारी मदद करने लगे।

परिवार वाले हैं अभी भी काफी नाराज

आनंदू कहते हैं कि मेरा चाय के स्टॉल लगाने का फैसला घरवालों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था और वह यह बात को मानना ही नहीं चाहते थे कि मैं बाहर जाकर चाय की बिक्री करु।

दरअसल परिवार वालों को यह बात अच्छी नहीं लग रही थी कि उनका बी-टेक ग्रेजुएट बेटा  बाहर जाकर चाय बेचे।

परंतु कुछ समय बाद भले ही बे-मन से परंतु मेरी माता मेरे तरफ हो गई परंतु मेरे पिता अभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।

और दूसरी तरफ शफी के माता-पिता को इस बात से कोई भी ऐतराज नहीं था उन्होंने इस बिजनेस को शुरुआत करने के लिए शफी की पूरी मदद भी की थी।

शफी  तो यह भी बताते हैं कि शुरुआत में जब हम चाय के लिए ठेला खोज रहे थे तब मेरी मां ने चाय का ठेला खोजने के लिए हमारी पूरी मदद की  थी।

शफी कहते हैं कि मेरे माता-पिता यह नहीं चाहते थे कि मैं घर में बेरोजगार बैठूं भले ही मैं कोई छोटा बिजनेस ही क्यों ना करूं उनको यह मंजूर था।

इसके अलावा वह बताते हैं कि मेरा भाई भी मेरे इस कार्य में मेरा साथ दे रहा था और एक जुट बनाकर हमारे साथ काम कर रहा था।

इन्होंने अपने चाय बिजनेस को शुरू करने से पहले काफी दिन तक सोच विचार किया, परंतु सभी योजनाओं को बनाने के बाद एक सबसे बड़ी चुनौती अभी भी इनके सामने आ रही थी और वह थी बिजनेस की शुरुआत करने के लिए पैसों की कमी का होना।

आनंदू कहते हैं कि परिवार की तरफ से हमें कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिलती थी हम पूरी तरह से अपने दोस्तों पर निर्भर थे इसीलिए हमने कई दोस्तों से थोड़ी थोड़ी रकम उधार ली और 1.5 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए।

इकट्ठा किए गए 1.5 लाख से इन तीनों ने मिलकर अपने बिजनेस को शुरू किया और उसका नाम भी बी-टेक टी स्टॉल रखा और इस टी स्टॉल में उन्होंने 50 से अधिक चाय के जायके  रखे हैं।

बीटेक टी स्टाल में 50 तरह की खास चाय उपलब्ध है वह  भी कम दाम में

बी-टेक टी स्टॉल की शुरुआत होने के बाद 1 महीने के अंदर ही यह अपने इलाके में काफी फेमस हो गया। अब लोग इस टी स्टॉल के बाहर खड़ा हो कर यहां की लोकप्रिय चाय के अनेक जयकों का स्वाद स्नेक्स के साथ लेने के लिए घंटों खड़े रहते हैं।

शफी बताते हैं कि हमें बहुत खुशी है कि हमारे द्वारा किया गया छोटा सा प्रयास लोगों को इतना अधिक पसंद आ रहा है।

लोगों में बी-टेक टी स्टॉल की लोकप्रियता इसलिए नहीं बढ़ रही थी क्योंकि उसका नाम अनोखा था इसके साथ ही साथ इन्होंने अपने चाय के जायके और इसे बनाने के तरीकों में भी किसी तरह प्रकार की कमी नहीं रखी थी और उपयोग में लाए जाने वाली सामग्री के साथ समझौता नहीं किया था।

सफल होने के लिए डिग्री की नहीं दिमाग की है आवश्यकता

शफी बताते हैं कि रोजाना बीटेक टी स्टॉल 3:00 बजे से लेकर रात के 1:00 बजे तक खुला रहता है और यहां ग्राहकों की सैकड़ों भीड़ आती है और हमारी चाय के जायकों का स्वाद ले कर जाती है।

इसके साथ ही साथ वह कहते हैं कि हमने अपने बिजनेस को केरला के साथ-साथ पूरे देश में फैला दिया है और अब पर्यटक भी हमारे टी स्टॉल पर आते हैं।

अंत में आनंदू कहते हैं कि मैंने उन लोगों को गलत साबित कर दिया है जिनका ऐसा मानना है कि केवल पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करके के विदेश जाना ही सब कुछ है।

परंतु आज हमारा यह छोटा सा बिजनेस जितना सफल हो रहा है या एक अच्छी नौकरी पाने से बेहतर है।आनंदू कहते हैं कि अगर आपके पास दिमाग है तो आप किसी भी स्थिति में सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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