आज नवाचार ( इनोवेशन ) कृषि को चला रहा है। यह न केवल किसानों का काम है, बल्कि लोगों के लिए रोजगार का एक नया साधन बनता जा रहा है।
अब तक केवल बेरोजगारों के कृषि से जुड़ने और यहां बेहतर प्रदर्शन करने की खबरें ही सुर्खियों में रही हैं, लेकिन ‘बिहार का बनान मैन’ कहे जाने वाले रामेश्वर सिंह ने पेट्रोलियम विभाग की नौकरी को छोड़कर कृषि के क्षेत्र में प्रवेश किया है। . इस समय बिहार में छठ (छठ पूजा 2022) का पर्व चल रहा है.
दिवाली से लेकर अब तक रामेश्वर सिंह बड़ी मात्रा में जैविक केले बेच चुके हैं, जिसके चलते वह फिर से सुर्खियों में हैं। बेशक आज रामेश्वर सिंह के पास केले की जैविक खेती में बहुत नाम और पैसा है, लेकिन संघर्ष से सफलता तक का यह सफर शुरू से ही बहुत कठिन था।
पहले मजाक उड़ाते थे, आज लोग दीवाने हैं
बिहार के बनियारपुर प्रखंड के हरपुर कराह के रहने वाले रामेश्वर सिंह को कभी पेट्रोलियम विभाग से अच्छी तनख्वाह मिलती थी. फिर उसने खेती करने का फैसला किया, लेकिन जब वह नौकरी छोड़कर अपने गांव पहुंचा तो लोग कभी उसका ताना मारते थे तो कभी उसका मजाक उड़ाते थे।
रामेश्वर सिंह के शहर छोड़ने और गाँव लौटने के बाद उनका बहुत उपहास किया गया था, लेकिन बिना हार के उन्होंने उस काम में भाग लिया, जिसके लिए वे आए थे। शुरू में केले की पारंपरिक खेती शुरू की, लेकिन जब उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिले तो उन्होंने केले की जैविक खेती पर जोर दिया।
केले की सफल जैविक खेती
पारंपरिक खेती का नुकसान देखकर रामेश्वर सिंह ने केले की जैविक खेती का ट्रायल शुरू किया। परीक्षण के परिणाम बहुत अच्छे रहे और उच्च गुणवत्ता वाले केले का उत्पादन भी शुरू हो गया।
फिर बाजार में जैविक केले की बढ़ती मांग को देखते हुए ऐसा किया। रामेश्वर सिंह बताते हैं कि केले का स्वाद अलग-अलग जैविक तरीकों से तैयार किया जाता है। इसकी उपज जल्दी खराब नहीं होती बल्कि 2 हफ्ते तक चलती है। इससे उत्पाद बर्बाद नहीं होता है और लोग इसे तुरंत खरीद भी लेते हैं।
रामेश्वर के नाम से बिकते हैं केले
रामेश्वर सिंह अब बिहार के केले मैन बन गए हैं। केले की खेती का उनका तरीका पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा है। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के बीच खेतों से जैविक अंजीर के उत्पाद बहुत अच्छे दामों पर बेचे जाते हैं।
रामेश्वर सिंह जब हर तीन फीट पर खेत में केले लगाते हैं, तो उन्हें साल में दो फसलों का उत्पादन मिलेगा। अब स्थानीय बाजार की बात करें तो मंडियों में ‘रामेश्वर भाई का केला’ के नाम से उत्पाद बिकते हैं।
एक घन 300 रुपये में बिकता है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल छठ के मौके पर रामेश्वर सिंह के बगीचे से जैविक केले 300 रुपये प्रति घन के हिसाब से बिके. दुर्गा पूजा से लेकर छठ पूजा तक करीब 800 ग़वाद बिके। इससे रामेश्वर सिंह को करीब ढाई लाख रुपए की आमदनी हुई।
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