आख़िर क्यू ? : कथनी-करनी में असामानता

मैंने मेरे जीवन में परिवार समाज आदि में यह देखा समझा अनुभव किया है कि कथनी-करनी में असामानता का चलन …

सौभाग्यशाली हैं हम मनुष्य जीवन मिला

मैंने पढ़ा सूना है कि विभिन्न गति के जीव मनुष्य जीवन के लिये उत्सुक रहते है क्योंकि मनुष्य गति ही …

साधु – सन्त के प्रति हमारे भाव कैसे हो ?

पाँच महाव्रतधारी त्यागी साधु – साध्वियों के प्रति हमारे भाव निर्मल से निर्मल रहने चाहिये । कहते है की साधुचर्या …