सरकार की कई नीतियों के साथ साथ किसान भी पारंपरिक खेती में कदम रख कर और पारंपरिक खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके अपनी आमदनी को दुगना करने का प्रयास कर रहे हैं।
पारंपरिक खेती करने के साथ-साथ अन्य फसलों का उत्पादन तो कई किसान करते ही हैं परंतु आजकल किसान बागवानी की खेती करने में भी काफी रुचि दिखा रहे हैं।
इस प्रकार ही उत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत बुन्देलखंड में कई किसान अपनी आमदनी को दोगुना करने के प्रयास में बागवानी खेती करने के दिशा में जुड़ चुके हैं और इसके साथ ही साथ कैमोमाइल( जादुई ) फूलों की खेती करना शुरू कर दिया है।
इन फूलों की खेती करने से कई किसानों ने महज केवल छह महीनों में बंजर भूमि में ही 6 लाख से अधिक का मुनाफा कमाया है और यह जादुई फूल असाध्य बीमारी को छूमंतर करने में कगार होते हैं।
हमीरपुर के मुस्करा ब्लॉक के चिल्ली गांव के 70 फ़ीसदी से अधिक किसान (कैमोमाइल) जादुई फूलों की खेती करते हैं। इन दिनों खेतों में कैमोमाइल के कई फूल देखने को मिले हैं जो किसानों के लिए आपर खुशी की बात है।
बुलंदखंड के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है कैमोमाइल फूलों की खेती
आज बुलंदखंड के किसानों के लिए कैमोमाइल जादुई फूल की खेती एक वरदान साबित हो रही है बुलंद खंड के किसान कैमोमाइल जादुई फूल की खेती करके अपनी आर्थिक स्थिति को काफी बेहतर कर पा रहे हैं।
बुलंदखंड के साथ ही साथ ललितपुर ,हमीरपुर जिले के किसान भी कैमोमाइल की खेती कर रहे हैं जिले में कैमोमाइल की खेती को बढ़ावा देने वाले ग्राम पंचायत के मुख्य सदस्य बताते हैं कि झांसी के 4 ब्लॉक के तमाम गांवों में
कैमोमाइल की खेती कर किसान अधिक मुनाफा उठा रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ वह कहते हैं कि महोब, चित्रकुट में बसने वाले किसानों ने कैमोमाइल की खेती में अपने कदम अग्रसर कर लिए हैं।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि कैमोमाइल एक ऐसा फूल है जो निकोटिन मुक्त होता है और हमारे पेट के लिए काफी लाभदायक होता है।कैमोमाइल फूल शांति और सौंदर्य का प्रतीक है।
ब्रम्हानंद बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की सीईओ सैफाली गुप्ता कहती है कि कैमोमाइल का फूल एक वनस्पति है जो आयुर्वेद में अपना काफी महत्व रखता है। और इस पौधे को जादुई फूल भी कहा जाता है।
इस दौरान होम्योपैथिक चिकित्सक डां. कुंवर पाल सिंह बताते हैं कि कैमोमाइल का फूल त्वचा के लिए काफी गुणकारी होता है। इसके साथ ही साथ वह बताते हैं कि अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन, घबराहट जैसी समस्याओं के लिए इसका सेवन करना काफी लाभकारी होता है।
इसके साथ ही साथ कैमोमाइल जादुई फूल चोट, मोच, खरोंच, घाव, रैसेज, पेट के विकारों के इलाज के लिए काफी कारागार होता है।
इस प्रकार किसानों ने जादुई फूल की खेती कर कमाए लाखों रुपए
ब्रम्हानंद बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के शेयर होल्डर चन्द्रशेखर तिवारी कहते हैं कि धनौरी ,चिल्ली, पाहर सहित अन्य गांव में किसान जादुई फूल की खेती करते हैं और इससे लाखों रुपए कमा कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
कई किसान बताते हैं कि जादूई फूलों की खेती करने के लिए वे 10 से 12 हजार की लागत को लगाते हैं और केवल 6 महीने बाद ही वह एक से दो लाख आसानी से कमा लेते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन फूलों की खेती बंजर भूमि में भी आसानी से की जा सकती है इसके साथ ही साथ कम लागत में अधिक मुनाफा होने से कई किसान जादुई फूलों की खेती करने में अपना रुख कर रहे हैं।
अलग-अलग राज्यों से लोग किसानों से खरीदते हैं जादुई फूल
किसान चंद्रशेखर तिवारी कहते हैं कि जादुई फूल की खेती 1 एकड़ जमीन में की जाती है और 1 एकड़ जमीन में 5 क्विंटल जादुई फूल का उत्पादन होता है।
वह बताते हैं कि इन फूलों को हम सुखाकर जयपुर में स्थित बाबा रामदेव की कंपनी में लोगों की पूर्ति के लिए बेच देते हैं।
इस दौरान वह कहते हैं कि ना केवल कई बड़ी कंपनियां इन फूलों को छोटे किसानों से आयात करती हैं बल्कि कई लोग भी दूर-दूर से इन फूलों की खरीदारी करते हैं।
किसान कहते हैं की कैमोमाइल के फूलों की आयुर्वेदिक कंपनियों में सबसे अधिक डिमांड होती है और कम लागत में मुनाफा भी काफी अधिक हो पाता है इसलिए उन्होंने अपनी खेती के दायरे को बढ़ाने का निश्चय कर लिया है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है कैमोमाइल के फूल
हमीरपुर के वैद्य दिलीप त्रिपाठी कहते हैं कि कैमोमाइल के फूल मधुमेह और पेट संबंधित कई बीमारियों के लिए रामबाण है।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अगर इन फूलों को सुखाकर चाय में मिलाकर इनका सेवन किया जाए तो मधुमेह और अल्सर की बीमारी से जल्द छुटकारा पाया जा सकता है।
केवल आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर ही नहीं इन फूलों का इस्तेमाल किया जाता है इसके साथ ही साथ होम्योपैथिक में भी इसका लाभ काफी अधिक है इन फूलों के तेल का इस्तेमाल करके कई प्रकार की दवाइयों को तैयार किया जाता।इन फूलों के इस्तेमाल से कई सौंदर्य प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं।
आज बुलंदखंड के रहने वाले कई किसान कैमोमाइल जादुई फूलों की खेती में काफी आगे बढ़ गए हैं। जादुई फूलों की खेती बुलंदखंड के किसानों के लिए वरदान साबित हुई है क्योंकि यह खेती बंजर जमीन में भी कम लागत पर अधिक मुनाफा प्राप्त कर आती है।
इतना ही नहीं आज कई किसान कैमोमाइल जादुई फूलों की खेती में अपने कदम को बढ़ाआ कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का अधिक प्रयत्न कर रहे हैं।
जादूई फूलों की खेती से किसानों को जो अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है उससे यह बात तो साबित हो गई है कि पारंपरिक खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके मुनाफा कमाया जा सकता है और इसके साथ ही साथ बागवानी खेती भी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए वरदान साबित हो सकती है।
लेखिका : अमरजीत कौर
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