आज हम बात करने वाले हैं दुलारी आचार्या के बारे में जो पेशे से एक सिंगर है, परंतु एक साल पहले ही दुलारी आचार्या ने 25 हजार रुपए की लागत लगाकर एक फ्रैंकी की स्टॉल शुरू की थी अब वह प्रतिमाह 30 हजार का मुनाफा कमा लेती है।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि जामनगर की रहने वाली दुलारी आचार्य एक वक्त अपनी आवाज से सभी का दिल जीत लेती थी, गले में सरस्वती का वास लिए और खुद पर विश्वास करते हुए उन्होंने इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का निश्चय कर लिया था।
दुलारी के खानदान में कोई भी इस फील्ड में नहीं था परंतु इनकी लग्न और विश्वास को देखते हुए उनके पिता ने क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उनका पूरा साथ दिया, इस दौरान दुलारी आचार्य एक ऑर्केस्ट्रा से जुड़कर कई शादियों और समारोह में अपनी आवाज से चार चांद लगा दी थी।
परंतु समय का चक्र कब बदल जाए यह किसी को पता नहीं होता है, दुलारी के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसे अपना सिंगिंग का कैरियर छोड़ना पड़ा और कुछ और काम करना पड़ा, क्योंकि दुलारी को गाने के अलावा खाना बनाने का भी काफी अधिक शौक था, तो इस वक्त उन्होंने अपने दूसरे टैलेंट को अपना साथी बना कर आगे बढ़ने का प्रयास किया।
अब दुलारी आचार्य पिछले 1 साल से फ्रैंकी की स्टाल चला रही हैं और अपनी इस स्टॉल में 10 से भी अधिक तरह की फ्रैंकी बेचती है, दुलारी के स्टॉल की फ्रैंकी की खास बात यह है कि यह आपको मैदे की नहीं मिलती है इसमें पूरी तरह से गेहूं का उपयोग किया जाता है और इसमें इस्तेमाल होने वाली सॉस और म्योनीज भी दुलारी अपने घर पर तैयार करती हैं।
जिस प्रकार से 37 वर्ष दुलारी अपने परिवार के लिए प्यार से खाना बनाती और उन्हें परोसती थी उसी प्रकार दुलारी आज अपने ग्राहकों के लिए फ्रैंकी तैयार करती है हालांकि इसकी शुरुआत करने के लिए उन्हें एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था।
क्यों बदलनी पड़ी थी राह
दुलारी ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत वर्ष 2000 से की थी जब उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक ऑर्केस्ट्रा बैंड से जुड़कर बतौर सिंगल शादी और अन्य समारोह में गाना गाती थी परंतु कुछ वक्त बाद दुलारी की शादी हो गई और इस दौरान उनके ससुराल वालों ने भी उनके सिंगर करियर को उतना ही सपोर्ट किया जितना उनके मायके वाले करते थे।
परंतु करोना काल के वक्त उनका यह काम बंद हो गया, इस वक्त वह कुछ नया करने के बारे में सोच रही थी, दुलारी को गाना गाने के साथ ही साथ खाना बनाने का भी काफी शौक था, इस दौरान दुलारी कहती है कि ” लॉकडाउन ने मुझे यह तो समझा दिया था कि लॉक डाउन
की स्थितियां सुधरने के बाद लोग मनोरंजन के बारे में काफी देर से सोचेंगे परंतु अगर खाने की बात की जाए तो कुछ समय बाद ही लोग खाने के करीब आना शुरू हो जाएंगे और इस दौरान मैंने खाने का एक बिजनेस खोलने का निश्चय किया और फ्रैंकी बेचना शुरू किया”।
दुलारी आचार्य बताती है कि वह चार बहने थी और उनके पिता एक नौकरी करते थे परंतु उनके पिता ने हमेशा से ही उन्हें अपना मन का काम करने के लिए प्रेरित किया, हालांकि उस वक्त जब मैंने सिंगिंग करियर छोड़ सड़क पर फ्रैंकी बेचने का निश्चय किया उस वक्त भी मेरे पिता ने मेरा पूरा साथ दिया।
हालांकि दुलारी के खानदान में किसी ने भी ऐसा कुछ कार्य नहीं किया था इसलिए दुलारी के पिता थोड़ा हिचकीचा रहे थे परंतु आज दुलारी के पिता गर्व से कहते हैं कि इतनी हिम्मत तुम ही जुटा सकती हो।
क्यों चुना फ्रैंकी का बिजनेस
दरअसल बात यह है कि जामनगर में कहीं पर भी फ्रैंकी नहीं मिलती थी और दुलारी घर पर काफी हेल्दी आटे से फ्रैंकी बनाया करती थी इस दौरान उनके पिता निशित आचार्य ने उसे फ्रैंकी का बिजनेस शुरू करने का आईडिया दिया।
दुलारी ने वर्ष 2021 में फ्रैंकी बेचने का बिजनेस शुरू किया था और शुरुआत में इन्होंने 25 हजार की लागत लगाकर इस बिजनेस को शुरू किया था अर्थात बहुत कम समय में जामनगर के लोगों को दुलारी के हाथों का स्वाद पसंद आने लगा इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह था कि
दुलारी अपनी फ्रेंकि मैदे से नहीं बल्कि आटे से तैयार करती थी और दुलारी जहां पर अपना स्टॉल लगाती थी वहां पर एक मेडिकल कॉलेज था जहां से रोजाना कई छात्र आकर उनके वहां से फ्रैंकि खाते थे और कई नियमित ग्राहक भी बन गए थे।
दुलारी अपने कार्य को पूरा मन लगाकर कर ती थी हालांकि उन्हें भले ही स्टॉल 2 घंटे के लिए क्यों न लगाना पड़े वह सारा दिन इसकी तैयारी करती थी , दुलारी कहती है कि मेरे मायके का परिवार काफी बड़ा था इसलिए
अधिक लोगों का खाना बनाने में किसी प्रकार की मुश्किल नहीं हुई परंतु मुझे बिजनेस का किसी भी प्रकार का आईडिया नहीं था और इस तहत मैंने धीरे धीरे ग्राहकों की पसंद को समझा और अपने काम को बढ़ाया और आज मुझे सफलता भी प्राप्त हुई है।
आज दुलारी अपने सिंगर करियर को छोड़कर अपने दूसरे खाना बनाने का शौक को ही अपना करियर बना लिया है आज वह महीने का आसानी से 30 हजार कमा लेती है और सभी को यह संदेश देती है कि किसी भी कार्य को करें परंतु पूरी मेहनत और लगन के साथ करें सफलता आपको अवश्य हासिल होगी।