अगर देखा जाए तो होसलों के मजबूत होने से सारी परेशानियां हल हो जाती है अर्थात हमारी रास्ते में आने वाली सभी परेशानियां खुद ब खुद अपना रास्ता बना लेती है ।
आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं जिसने अपने हौसले को बुलंद करते हुए सारी परेशानियों का हल किया अर्थात ऑफिस के शौचालय साफ करके अपना गुजारा किया परंतु आज यह अपनी मेहनत के बल पर आईएएस अफसर बन गए हैं ।
यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसे उसकी मां अपने बच्चे का पालन-पोषण ना करने के कारण उसे अनाथ आश्रम छोड़ गई थी , परंतु उस मां को क्या पता था आज वह बच्चा आगे चलकर देश के बड़े पद का पूरा कार्यभार संभालने वाला था ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि यह कहानी अब्दुल नसर की है , अब्दुल अपने घर में छह भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, अर्थात अब्दुल नसर जब महज 5 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी ।
इस दौरान उनकी माता ने परिवार का बोझ ना संभाल पाने के कारण अब्दुल को एक अनाथ आश्रम में दे दिया, परंतु कुछ समय बात उनकी मां की भी मौत हो गई परंतु फिर भी अब्दुल नसर ने हिम्मत नहीं हारी और जी जान से मेहनत करके पढ़ाई की ।
एक अनाथ बच्चा किस प्रकार से अपनी मेहनत के बल पर उच्च अधिकारी बन गया यह कहानी काफी अधिक मार्मिक है, अब्दुल एक ऐसा बच्चा था जिसके सिर पर बचपन से किसी का भी साया नहीं था , इनकी प्राइमरी शिक्षा अनाथालय के प्राइमरी स्कूल से ही हुई इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन इंग्लिश के विषय में अर्थात पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी।
अब्दुल नसर देश के बड़े पद पर कार्यरत होने से पहले लोगों जुठा उठाया करते थे , अब्दुल ने बतौर एक क्लीनिक कर और डिलीवरी ब्वॉय के साथ ही साथ कई प्रकार की नौकरी की है, अब्दुल ने महज 16 वर्ष की आयु में कैशियर, न्यूजपेपर डिस्ट्रीब्यूटर, एसटीडी बूथ ऑपरेटर और ट्यूशन टीचर जैसे कई प्रकार के कार्य किए हैं ।
इस प्रकार है अब्दुल नसर ने अपनी जिंदगी में कई परेशानियों का सामना करते हुए अपनी जिंदगी में एक सुनहरा दिन ले आए जिस दिन उनका चयन एक हेल्थ इंस्पेक्टर के रूप में हो गया था परंतु इसके बावजूद वह सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।
इस दौरान है कुछ समय के बाद वर्ष 1994 में केरला पब्लिक सर्विस कमीशन डिप्टी कलेक्टर का नोटिफिकेशन निकला तो उन्होंने इस परीक्षा को पास करने का मन बना लिया था । अब्दुल नसर का मुख्य लक्ष्य आईएएस अफसर बनना था इस दौरान वह डिप्टी कलेक्टर के तौर पर सीधे भर्ती चाहते थे ।
अब्दुल नसर का ऐसा मानना था कि वह आईएएस की परीक्षा को पास करके प्रमोशन तो हासिल कर सकते हैं परंतु ऐसे डायरेक्ट कलेक्टर के पद को हासिल करने से उनका कलेक्टर बनने का भी सपना पूरा होगा और उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में काफी आसानी भी होगी ।
आखिरकार अब्दुल नसर का चयन वर्ष 2006 में बतौर एक डिप्टी कलेक्टर हो ही गया अर्थात उन्होंने इस पद का कार्यभार 11 वर्ष तक केरला में संभाला और इसके बाद वह आईएएस के पद पर प्रमोट हो गए । यह थी अनाथ अब्दुल नसर की आईएएस अफसर बनने तक की कहानी ।