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मजदूर का बेटा बना आईएएस अफसर, अफसर बनने के बाद भी करता है गांव के खेतों में आकर मजदूरी

IAS Sohanlal Nitharwal ki safalta ki kahani
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आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और संघर्ष के बल पर हमेशा अग्रसर होने की इच्छा रखी है , भूदी की ढ़ाणी (ढाल्यावास) निवासी मजदूर बनवारीलाल निठारवाल के बेटे सोहनलाल निठारवाल के बारे में , सोहनलाल ने शुरू से ही पिता की हालत को और संघर्ष को देखकर यह निश्चय कर लिया था कि वह यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करेंगे ।

बनवारीलाल के बेटे सोहनलाल ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करके ऑल ओवर इंडिया में 201 रैंक हासिल की थी । पिता बनवारीलाल मजदूरी करते थे और स्वयं निरक्षर थे परंतु अपने बेटों को शिक्षा देने के लिए कभी पीछे नहीं हटे अपने बच्चों को उन्होंने उच्च शिक्षा दी है ।

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जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बनवारीलाल काफी समय से मजदूरी करते आ रहे हैं और मजदूरी में संघर्ष करके अपने घर को चलाते हैं भले ही घर की आर्थिक स्थिति जैसी भी हो परंतु सदा उन्होंने अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने का प्रयास किया है ताकि उनके बच्चे अपने सपनों को पूरा कर सके बनवारीलाल भले ही खुद पढ़े-लिखे नहीं है परंतु अपने बेटों को पढ़ाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं और मजदूरी करके अपने बेटों को पढ़ा कर सफलता हासिल कर आ रहे हैं।

बनवारीलाल का बेटा सोहनलाल बचपन से ही पिता को मजदूरी करते देखते आ रहा था, पिता को संघर्ष करते हुए देखकर और यह महसूस करके कि पिता मजदूरी करके हमें अच्छी शिक्षा दे रहे हैं इस कारण बस उसने सदा ही शिक्षा के ओर लगाओ रखा और आज शिक्षित होकर भारत की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करके ऑल ओवर इंडिया में 201 रैंक हासिल की है और अपने पिता का नाम रोशन किया है ।

सरकारी स्कूल से शुरू की थी पढ़ाई

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बनवारीलाल के छोटे बेटे सोहन लाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत एक सरकारी स्कूल से की थी उन्होंने दसवीं तक इस सरकारी स्कूल में पढ़ा परंतु 12वीं का बोर्ड देने के लिए उन्होंने साइंस का विषय चुना और सकीर से इसकी पढ़ाई पूरी की थी।

सोहनलाल ने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए बीटेक करने का निश्चय किया और इस दौरान उन्होंने दिल्ली के आईटीआई कॉलेज से इलेक्ट्रिकल के विषय में वर्ष 2016 में बीटेक की डिग्री हासिल की थी।

पढ़ाई पूरी होने के बाद वर्ष 2018 में सोहनलाल का चयन इंजीनियरिंग सेवा में हो गया था इसके कुछ समय बाद ही सोहनलाल ने भारत की सिविल सेवा परीक्षा को पास करने का निश्चय कर लिया था ।

सोहनलाल ने यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी थी, इस दौरान उन्होंने मेहनत और लगन से यूपीएससी की तैयारी में जुट गए थे इस दौरान उनके मन मैं बस यही था कि उन्हें यूपीएससी की परीक्षा को पास करना है ताकि वह अपने पिता का नाम
रोशन कर सकें ।

इस दौरान यूपीएससी की तैयारी करने के बाद सोहनलाल ने यूपीएससी की परीक्षा दी और अपने सफलता के बल पर उन्होंने ऑल ओवर इंडिया में 201 रैंक हासिल की और अपना सपने को पूरा करके ना केवल अपने पिता का बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया है , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि वर्ष 2020 में सोहनलाल को राजस्थान कैडर मिली है।

पिता के साथ खेती-बाड़ी भी करते हैं सोहन लाल

सोहनलाल भले ही आईपीएस बन चुके हैं परंतु वह जब भी छुट्टियों में अपने गांव पर जाते हैं अपने पिता के खेतों में उनका हाथ बंटाते हैं क्योंकि वह आज तक अपने पिता के संघर्षों को नहीं भूले हैं, अर्थात आज सोहनलाल कई युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं , फिलहाल तो सोहनलाल जोधपुर के जिले में प्रशिक्षु कलेक्टर के तौर पर कार्यरत हैं ।

इनके काम की सहारना पीएम मोदी ने भी की है

सोहनलाल ने अपने कलेक्टर होने के बल पर करोना काल में जब लॉकडाउन की परिस्थितियां चल रही थी तब राजस्थान के कई जिलों सहित और भी राज्यों में स्कूलों को अच्छी तरह से रंगाई पुताई करवा दी थी तब उनके इस काम की सहारना पीएम मोदी ने मन की बात में भी की थी ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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