खर्च चलाने के लिए कभी किया करती थी रिसेप्शनिस्ट का काम , जर्मनी की नौकरी छोड़कर इस प्रकार बनी आईपीएस

IPS Pooja Yadav ki safalta ki kahani

IPS Pooja Yadav Success Story in Hindi :-

भारत के संघ लोक सेवा की सिविल सर्विस परीक्षा को काफी कठिन परीक्षा माना जाता है , हर साल सिविल सेवा की परीक्षा में कई अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं , परंतु इस परीक्षा में कुछ गिने-चुने छात्र ही सफलता हासिल कर पाते हैं।

लाखों अभ्यार्थी इस परीक्षा को पास करने के लिए कई किताबों और कई कोचिंग का सहारा लेते हैं इसके साथ ही साथ कड़ी मेहनत और लगन के साथ प्रयास करते हैं, ताकि वह इस परीक्षा को पास कर सकें परंतु कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी होते हैं जो बिना कोचिंग की सहायता से सेल्फ स्टडी के बल पर इस परीक्षा को पास करके कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं।

आज हम आपको आईपीएस अफसर पूजा यादव के बारे में बताने जा रहे हैं , पूजा यादव का आईपीएस की परीक्षा में टॉपर बनने का सफर इतना आसान नहीं था क्योंकि उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ अच्छी नहीं थी इसके साथ ही साथ पूजा यादव ने अपने खर्च को चलाने के लिए कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाई तो कभी रिसेप्शनिस्ट का कार्य भी किया ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आईपीएस अफसर पूजा यादव हरियाणा की रहने वाली है और उन्होंने वर्ष 2018 में यूपीएससी परीक्षा को पास किया और आईपीएस बनने के अपने सपने को पूरा किया , इतना ही नहीं पूजा यादव ने अपने आईपीएस के सपने को पूरा करने के लिए अपने जर्मनी की नौकरी भी छोड़ दी थी।

एम. टेक की पढ़ाई करने के बाद भी विदेश में लगी थी नौकरी

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि हरियाणा की मूल निवासी पूजा यादव का जन्म 20 सितंबर 1988 को हुआ था । पूजा यादव ने अपनी शुरुआती शिक्षा हरियाणा से ही पूरी की थी अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने के बाद पूजा ने बायो टेक्नोलॉजी और फूड टेक्नोलॉजी में एम. टेक करने का निश्चय किया था ।

जैसे ही पूजा ने अपनी एमटेक की पढ़ाई पूरी की उसके कुछ समय बाद ही उनकी नौकरी कनाडा में लग गई कुछ समय तक पूजा ने कनाडा में काम किया उसके बाद उनका प्रमोशन जर्मनी में हो गया था, परंतु कुछ समय बाद ही उन्होंने अपनी जर्मनी की नौकरी को छोड़ दिया और भारत आने का निश्चय किया ।

इस कारणवश छोड़ दी नौकरी

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पूजा यादव अपनी जर्मनी की नौकरी छोड़ने का निश्चय इसलिए किया क्योंकि कुछ समय बाद ही उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि वह अपने भारत देश के विकासशील होने में अपना योगदान ना देकर दूसरे देश को विकास करने में अपना योगदान दे रही हैं बस इसी कारणवश उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत वापस लौट कर यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया ।

अपने दूसरे प्रयास में हासिल की सफलता

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि पूजा यादव ने अपनी जर्मनी की नौकरी छोड़ने के बाद भारत वापस लौटने के बाद यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर दिया था इस दौरान उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी परंतु वह पहले प्रयास में असफल हो गई इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया और वह अपने दूसरे प्रयास में आईपीएस बनने के सपने को पूरा कर पाए।

परिवार का खर्च चलाने के लिए किया कभी रिसेप्शनिस्ट का काम

नौकरी को छोड़ कर वापस लौटे तो उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने की शुरुआत कर दी थी इसके साथ ही साथ उनके परिवार ने हमेशा उनका सपोर्ट किया परंतु परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी कि वह पूरी तरह से पूजा का खर्च उठा पाए इसीलिए पूजा ने अपने खर्च को उठाने के लिए अपनी पढ़ाई के दौरान कई बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया और रिसेप्शनिस्ट का काम भी किया ।

आज पूजा यादव अपनी जर्मनी की नौकरी को छोड़ने के बाद भारत को विकासशील बनाने में अपना योगदान तो दे रही है साथ ही साथ अपने परिवार की आर्थिक स्थितियों को उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाना और रिसेप्शनिस्ट का काम कर के आईपीएस अफसर बनने के सपने को पूरा कर चुकी हैं ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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