ADVERTISEMENT

इंसान की पहचान : Insan ki Pehchan

Insan ki Pehchan
ADVERTISEMENT

कहते है की आदमी की परख उसके व्यवहार व उसकी जबान से होती है । व्यवहार के अलावा सामने वाले आदमी को बोलने दो उसका मन सारा खोलने दो जिससे उसकी सोच सबके सामने ज़बान से आ जायेगी ।

शब्द भी एक तरह का भोजन है। किस समय कौन-सा शब्द परोसना है वो आ जाए तो दुनिया में उससे बढ़िया रसोइया कोई नहीं है।शब्द का भी अपना एक स्वाद है।

ADVERTISEMENT

बोलने से पहले स्वयं चख लीजिये ।अगर खुद को अच्छा नहीं लगे तो दूसरों को कैसे अच्छा लगेगा । कटु वचनों से किसी का दिल मत तोडिये उसका मल्हम मिलना मुश्किल है ।

हम अपनी जबान यानि अपने शब्दों द्वारा किसी कों कटु वचन न कहें । हम अपने शब्दों द्वारा किसी के दिल पर घाव न करें क्योंकि जबान पर लगी चोट तों ठीक हों सकती है लेकिन शब्दों द्वारा लगी चोट सदा याद रहती है अतः हम अपने शब्दों द्वारा किसी के घाव पर मरहम का काम करें।

ADVERTISEMENT

व्यक्ति के द्वारा बोले गये शुभ वचन जहाँ मंत्रोच्चार के रुप मे भी काम कर जाते हैं तो वही कुछ नहीं बोलने लायक वचन सामने वाले को मानसिक तनाव,पीड़ा,दर्द दे जाते है। जिसकी टीस उसे जिन्दगी भर भी शांत रहने नहीं देती।

अतः जरूरी है बोलने से पहले तोल कर बोले जबान से सही शब्दों का ही उपयोग करें। प्रेम स्नेह आशीष से भरी ज़बान द्वारा सृजित एक एक शब्द बड़े ही सुहावने आनंदित करने वाले एवं स्नेह सौहार्द मैत्री से दिल से गुजयमान होते हैं क्योंकि प्रेम बड़ा अनमोल हैं ।

अमृत प्रेम के बोल, सुनकर मरणासन्न भी आँखें खोल देता है और हर बात सिमट जाती है शब्द बन बिन्दु, छोटा सा शब्द है अदब पर गहरा है जैसे सिन्धु।

सार में हम यों कह सकते हैं कि हर इन्सान अपनी ज़ुबान के पीछे छुपा हुआ है। वहीं उसका मन लुका हुआ है।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

यह भी पढ़ें :-

संस्कार : Sanskar

ADVERTISEMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *