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आइए जानते हैं गांव की लड़की के बारे में, जिसने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की,

IPS Divya Tanwar ki safalta ki kahani
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जैसे की हम सभी जानते हैं कि हर साल यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में कई अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इस परीक्षा में सफलता हासिल करने का प्रयास करते हैं।

यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले टॉपर की संघर्ष की कहानी उनकी जीत को हासिल करने की सफलता देश के कई युवकों के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आती हैं।

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यूपीएससी की परीक्षा में संघर्ष करके सफलता हासिल करने वाले कई कहानियां तो ऐसी होती हैं जो कई युवकों के लिए अविश्वसनीय होती है । आज हम आपके लिए एक ऐसी ही संघर्ष पूर्ण सफलता की कहानी लेकर आए हैं शायद जिसे पढ़ने के बाद आप ही यह बात तो समझ जाएंगे कि संघर्ष और मेहनत के आगे हर चीज फीकी है।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि यह कहानी  वर्ष 2021 में आयोजित की गई सिविल सेवा की परीक्षा में 438 वीं रैंक हासिल करने वाली दिव्या तंवर है ।

दिव्या की मां ने मजदूरी कर अपनी बेटी को पढ़ाया

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली है और अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं , दिव्या एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती है और अपने भाई बहनों और मां के साथ रहती है ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि दिव्या का यूपीएससी परीक्षा में पहला प्रयास था और उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करके अपना नाम ना केवल अपने जिले में बल्कि देश में रोशन कर लिया है ।

दिव्या बहुत छोटी थी जब उसके सर से पिता का साया उठ गया था , इस दौरान दिव्या की माता ने खुद को संभाला और दूसरों के खेतों में मजदूरी करके अपने परिवार को चलाया और अपने बच्चों का पालन पोषण किया ।

दिव्या ने अपनी मेहनत से हासिल किया नवोदय में दाखिला

दिव्या तंवर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा निंबी के मनु स्कूल से हासिल की थी , और परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने नवोदय में दाखिला लिया था , अर्थात उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई कॉलेज में बीएससी विषय में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से पूरी की थी ।

दिव्या का ऐसा मानना है कि सफलता हासिल करने के लिए किस्मत से अधिक मेहनत का महत्वपूर्ण रोल होता है , दिव्या अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाया भी करती थी। दिव्या ने अपनी मेहनत के बल पर यह निश्चय कर लिया था कि वह सफलता को हासिल करके रहेंगी।

लगभग 10 घंटे करती थी पढ़ाई 

दिव्या का घर काफी छोटा था परंतु फिर भी उन्होंने अपने घर पर रहकर ही इस कड़ी परीक्षा के लिए तैयारी की अर्थात इन्होंने इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए किसी प्रकार की कोचिंग का भी सहारा नहीं लिया ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि दिव्या तंवर ने सफलता को हासिल करने के लिए अपने लक्ष्य पर बनी रहे और रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करती थी , यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करने के दौरान उनकी पढ़ाई का शेड्यूल यह था कि वह पढ़ाई करती खाना खाती और सोती थी।

दिव्या की मां ने बेटी के सर से पिता का साया उठ जाने के बाद भी उसका हाथ थामे रखा और कभी भी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी मां ने मजदूरी करके अपनी बेटी का हर सपना पूरा करने का प्रयास किया और आज उन्होंने दिव्या को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया है ।

आज दिव्या ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर वर्ष 2021 में होने वाली यूपीएससी की परीक्षा में ऑल ओवर इंडिया 438 वीं रैंक हासिल करके ना केवल अपने परिवार का बल्कि जिले और देश का नाम भी रोशन कर दिया है । अर्थात हम आशा करते हैं कि दिव्या की यह संघर्षपूर्ण कहानी आपके लिए काफी अधिक मददगार साबित होगी।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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