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Khus farmer Meghraj prasad ki kahani

लोग समझते थे पागल, परंतु आज खस ( घास ) की खेती करके सलाना कमा रहे हैं 20 लाख रुपए

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आज हम बात करने वाले हैं मेघराज प्रसाद  के बारे में जो मूल रूप से गोपालगंज के सदर प्रखंड के कररिया गांव के निवासी  है। मेघराज प्रसाद 20 एकड़ जमीन में घास (खस) की खेती करके सलाना कमा रहे हैं ।

इसके साथ ही साथ किसान मेघराज उन किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन रहे हैं, जिनकी खेती बाढ़ और बारिश के कारण खराब हो जाती है इस दौरान घास की खेती उन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

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आत्मनिर्भर बनने की सोच ने मेघराज को बनाया सफल 

कररिया गांव के रहने वाले मेघराज प्रसाद उन किसानों में से एक है जो लोगों के तानों को अनसुना कर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा रखते हैं।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि मेघराज के पिता पेशे से एक किसान थे , सभी अन्य किसानों के तरह ही इनके पिता खेती के काम को पूरी मेहनत और लगन के साथ किया करते थे ।

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर ना होने के कारण मेघराज पर अपने पिता के काम में उनका हाथ बंटाते थे, आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण खेती से उनका घर काफी मुश्किल से चलता था और यही कारण था कि मेघराज मैट्रिक की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए ।

इस दौरान ही मेघराज प्रसाद ने यह निश्चय कर लिया था कि वह 1 दिन इस प्रकार की खेती करेंगे कि जिससे वह आत्मनिर्भर हो पाए और खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा जुटा पाए।

मेघराज भले ही उतने अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु फिर भी वह आत्मनिर्भर बनना चाहते थे और अपने परिवार की मुश्किलों को हल करके एक खूबसूरत जीवन यापन करना चाहते थे ।

इंटरनेट पर सर्च करके शुरू की घास की खेती

मेघराज बताते हैं कि उन्होंने औषधियों के पौधों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए अरुणाचल के रहने वाले अपने दोस्त से मदद ली थी ।

मेघराज बताते हैं कि इस दौरान ही उन्होंने इंटरनेट पर सर्च किया कि कम दाम में बेहतर काम क्या है तब इस दौरान उन्हें घास की खेती के बारे में पता चला था ।

इस दौरान उन्होंने घास की खेती के बारे में काफी रिसर्च किया और कुछ समय बाद ही घास की खेती करने का निश्चय कर लिया। घास की खेती करने के लिए उन्होंने लखनऊ के सीमैप रिसर्च सेंटर से 20‌ हजार की लागत लगाकर 10 हजार के बीज खरीदें ।

इस दौरान उन्होंने घास की खेती करना शुरू किया और शुरुआती दौर में एक बीघा जमीन में बीज बोए , और उनका मुनाफा 1 लाख हुई, इसी वक्त मेघराज ने निश्चय कर लिया कि 10 हजार की लागत लगाकर जब एक लाख की कमाई हो रही है तो क्यों ना घास की खेती को बड़े पैमाने पर किया जाए ।

देखते-देखते उन्होंने लखनऊ के सीमैप सेंटर से और अधिक बीज मंगाए और इस बार उन्होंने 20 बीघा जमीन में खेती की कुछ समय बाद फसल हो गई और इनका मुनाफा 20 लाख हुआ।

लोग कहते थे- कि हो गए हैं पागल

मेघराज प्रसाद बताते हैं कि जब उन्होंने घास की खेती करने का निश्चय किया था तो घरवालों के साथ-साथ आसपास के सगे संबंधी भी उनका मजाक उड़ाते थे, कई लोग तो उन्हें पागल ही कहते हैं अन्यथा कई लोगों का कहना था कि घास की खेती करके क्या होगा अगर गेहूं और धान की खेती करते तो कम से कम अनाज प्राप्त होता ।

परंतु मेघराज कुछ खास करना चाहते थे इस दौरान ही उन्होंने घास की खेती करना शुरू किया और आज इनकी घास की खेती से प्राप्त हुई सफलता को देखकर वही घर के लोग और सगे संबंधी इनकी तारीफ करते हैं ।

17000 प्रति लीटर बिकता है खस का तेल

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि घास को खस यानी की सूखी घास भी कहा जाता है। अर्थात  खस एक उपयोगी पौधा है,खस की जड़ों का इस्तेमाल करके सुगंधित तेल निकाला जाता है अन्यथा खस का खासकर उपयोग इत्र निर्माण में भी किया जाता है , साबुन अर्थात सुगंधित प्रोडक्ट्स के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता देती कि खस की फसल विषम माहौल में भी आसानी से फल-फूल सकती है अर्थात खस की फसल के लिए 4 डिग्री से लेकर 56 डिग्री का तापमान सामान्य है इस तापमान पर इसकी फसल को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता ।

मोतिहारी के पिपराकोठी में पेराई कर खस का तेल निकाला जाता जिसकी सामान्य कीमत 17‌ हजार प्रति लीटर है।

खस का पौधा पर्यावरण के लिए अनुकूल तो है ही इसके साथ ही साथ मिट्टी की गुणवत्ता को भी अधिक बढ़ाता है । जानकारी के लिए आप सभी को बता दें खस का पौधा 1 साल में 80 ग्राम कार्बन  को अवशोषण करता है और  पर्यावरण से प्रदूषण को कम करने के लिए यह पौधा मददगार है ।

ना आवश्यक है पानी ना खाद, मिलता है केवल मुनाफा

मेघराज बताते हैं कि जिस प्रकार अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए समय-समय पर रासायनिक खाद और उर्वरक की आवश्यकता पड़ती है इसके ठीक विपरीत खस की खेती करने के लिए किसी भी प्रकार के उर्वरक और रसायन खाद की आवश्यकता नहीं होती है ।

घास का पौधा 15 से 20 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बावजूद भी खराब नहीं होता है अर्थात बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसने वाले किसान खस की खेती आसानी से करके अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं इसके ठीक विपरीत जिन इलाकों में पानी की कमी है वह भी खस की खेती करके आसानी से मुनाफा अर्जित कर सकते हैं क्योंकि इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।

मेघराज का कहना है आज मैं तो खस की खेती करके अधिक मुनाफा अर्जित कर रहा हूं परंतु बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को खस की खेती करके अधिक मुनाफा अर्जित करना चाहिए क्योंकि पूरे देश में एरोमा मिशन के तहत खस की खेती को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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