आज हम आपको एक संघर्ष से भरी हुई एक ऐसी कहानी बताने वाले हैं जिसमें पिता नहीं मजदूरी करके अपने परिवार का पूर्ण पालन पोषण किया परंतु आज उसके बेटे ने अपनी मेहनत के बल पर 20 कंपनियों का कारोबार खड़ा कर दिया है ।
भले ही 21वीं सदी में सभी देश अपने देश को दुनिया का प्रगतिशील देश कहने का दावा कर रहे हो अर्थात मंगल में बसने की बात कर रहे हो परंतु आज भी जमीन स्तर पर स्थितियां वैसी ही बनी हुई है जैसे पहले थे ।
आज भी कई क्षेत्रों में रूढ़िवादी लोग बसे हुए हैं और आज भी लोगों के विचार उच्च नहीं हो पाए हैं वे दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले लोगों से आज भी जानवरों से बदतर व्यवहार करते हैं ।
इन सभी घटनाओं के पीछे फिर भी हमारे देश के आज के युवा समाज की कुरीतियों से निकल कर समाज में एक नई सफलता की नीव रख रहे हैं , वही कोई युवा यूपीएससी टॉप कर रहा है तो कोई 20 से अधिक कंपनियों का मालिक बन गया है ।
हम बात कर रहे हैं आंध्रपदेश के प्रकाशम जिले मधुसूदन राव के बारे में जिसके मेहनत और जज्बे के चर्चे आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं।
पिता थे बंधुआ मजदूर परंतु बेटा है 20 से अधिक कंपनियों का मालिक
एक समय ऐसा था जब मधुसुधन राव के पिता मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे और उन्हें मजदूरी के बदले केवल जमींदार से भोजन की प्राप्ति होती थी , मधुसूदन बताते थे कि दलित समुदाय के होने के कारण उन्हें अर्थात उनकी परछाई को भी अपशकुन माना जाता था ।
वह कहती हैं कि परंतु फिर भी उन्होंने सभी परिस्थितियों का डटकर सामना किया और किसी तरह से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद नौकरी की चाह में उन्होंने पॉलिटेक्निक कर ली ।
पॉलिटेक्निक करने के बाद नहीं हासिल हुई नौकरी , करनी पड़ गई थी मजदूरी
मधुसूदन की 12वीं के बाद पॉलिटेक्निक करने की मंशा यही थी कि उन्हें जल्द से जल्द नौकरी हासिल होगी परंतु ऐसा नहीं हुआ , वह जहां भी नौकरी का प्रयास करते वहां पर परिवार के सदस्यों का रिफरेंस मांगा जाता था परंतु उनके परिवार वाले सभी ही शिक्षा से काफी दूर थे।
इसलिए उन्होंने हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद हताश होकर अपने भाई के साथ मजदूरी करनी शुरू कर दी , साथ ही साथ मधुसूदन चौकीदार का भी काम करते थे ताकि वह ओवरटाइम कर के परिवार का खर्च चला सके ।
शर्म के मारे नहीं जाते थे अपने गांव, परंतु आज उनका पूरा गांव देता है उनका नाम
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि गांव और शहर में बसने वाले लोगों के बीच में केवल इतना ही फर्क होता है गांव के लोग चाहे कहीं भी हो वह हमेशा अपने गांव की ओर लौटना चाहते हैं ।
मधुसुधन राव कुछ इसी मिजाज के थे वे सफलता हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष करते और इस क्रम में वह कई बार धोखा भी खा चुके थे , एक बार तो मधुसूदन को ऐसा धोखा मिला कि एक पार्टनर के साथ कंपनी खोलने जा रहे थे परंतु उनका पार्टनर सारा पैसा लेकर फरार हो गया ।
मधुसूदन ने नहीं मानी हाथ आज परिवार के साथ चलाते हैं 20 कंपनियां
मधुसूदन राव अलग-अलग लोगों के साथ कार्य करने के बाद इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हो गए थे कि दुनिया में केवल चुनिंदा लोगों पर भरोसा किया जाना चाहिए ।
आज मधुसूदन 18 घंटे का काम करते हैं और उनकी पत्नी उनकी परछाई बनकर सदैव ही उनके साथ रहती है , जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि हम बात कर रहे हैं एमएमआर ग्रुप (MMR Group) के संस्थापक मधुसूदन राव के बारे में जिसके अंतर्गत आज 20 से अधिक कंपनियां आती हैं ।
हाथ मधुसूदन सफलता के बाद हर दुविधा भरी घड़ी में अपने माता पिता को याद करते हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं , आज मधुसूदन राव अपने कंपनियों में भारत देश के कई युवाओं को नौकरी के अवसर देते हैं साथ ही साथ भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी मधुसूदन राव की प्रतिभा और जज्बे से भलीभांति परिचित हैं।
लेखिका : अमरजीत कौर
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