अक्सर हम सभी जानते हैं कि गोबर का इस्तेमाल खेतों में खाद के रूप में और उपले बनाने एवं जैविक गैस तैयार करने के लिए किया जाता है , परंतु जैसे की हम सभी जानते हैं कि प्राचीन कथाओं में गोबर को एक स्वच्छ वस्तु माना जाता है अर्थात वर्तमान में गोबर के उपयोग कई प्रकार से किए जाते हैं आज हम आपको गोबर का एक और उपयोग बताने जा रहे हैं आज गांव की महिलाएं गोबर से आभूषण तैयार करके खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं ।
भारतीय परंपराओं में गाय को पवित्र और पूजनीय माना जाता है अर्थात इन्हें भगवान का स्थान देकर इनकी पूजा भी की जाती है, अर्थात गाय हमें दूध देती है और इस दूध का इस्तेमाल हम अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार से करते हैं , केवल इतना ही नहीं गोबर का इस्तेमाल हम इंधन के रूप में भी करते हैं ।
परंतु आज हम बात करने वाले हैं कि गोबर के एक और इस्तेमाल के बारे में जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आज कई गांव की महिलाएं गोबर का इस्तेमाल सौंदर्य के रूप में एवं आभूषण तैयार कर खुद को आत्मनिर्भर बना रही है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली प्रेमलता गाय की उपयोगिता को खुद की प्रेरणा मानकर लोगों तक इसका संदेश पहुंचाया है , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि प्रेमलता गाय की उपयोगिता एवं उससे जुड़े हुए इस्तेमाल एवं गाय के दूध से बने सभी डेरी प्रोडक्ट और अन्य प्रोडक्ट के बारे में आम लोगों को जागरुक करने का निश्चय किया है।
केवल इतना ही नहीं यह आत्मविश्वासी महिला प्रेमलता कई समय से आसपास के राज्य कस्बों और गांवों में जाकर बेरोजगार लोगों और आम लोगों को गाय के गोबर से जुड़ी हुई बातें और इससे बनने वाले उत्पादकों के बारे में सभी जानकारी देती है ।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि प्रेमलता ने गोबर से आभूषण तैयार करने की एक उच्च पहल की है अर्थात वह गांव गांव और कस्बों और बेरोजगार लोगों के पास जाकर गोबर से आभूषण बना कर दिखाती हैं और उन्हें इसके लिए प्रेरित करती है ।
प्रेमलता गोबर से तैयार कर चुकी है दो हजार से अधिक प्रोडक्ट्स
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि यह गांव की महिला प्रेमलता ने अभी तक गाय के गोबर का इस्तेमाल करके 2,000 से अधिक प्रोडक्ट तैयार किए हैं अर्थात अगर हम पर्यावरण दृष्टिकोण से नजर डालें तो यह प्रोडक्ट पूरी तरह से ऑर्गेनिक और हाइजेनिक है , अर्थात जिसमें आपको आभूषणों से लेकर घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं एवं पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीजें अर्थात घर के सजावटी के समान एवं मूर्ति, चप्पल, घड़ी ,खिलौने यह सभी अर्थात कई प्रकार के आइटम प्रेमलता की लिस्ट में शामिल हैं।
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें की प्रेमलता गांव से होने के बावजूद भी खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गाय के गोबर के उपयोगिताओं को देखते हुए उन्होंने कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए हैं और ना केवल खुद को आत्मनिर्भर बना रही है बल्कि कई महिलाओं को इससे जोड़ रही है साथी साथ आसपास के कई कस्बे और गांव में जाकर बेरोजगार लोगों को इसके बारे में जानकारी भी देती हैं ।
प्रेमलता की आभूषण बनाने की यह कला काफी ही अद्भुत है, अर्थात प्रेमलता अपनी इस कला का इस्तेमाल खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कर रही है साथ ही साथ बिहार के अन्य क्षेत्रों की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास कर रही हैं ।
जिस प्रकार आज भारत की परंपरा को देखते हुए गाय को गुणवत्ता वाला पशु मानकर गाय के गोबर का इस प्रकार इस्तेमाल करके कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करना यह प्रेमलता की अद्भुत कला की निशानी है अर्थात खुद तो आत्मनिर्भर बन ही रही है साथ ही साथ कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में लगी हुई है जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि अभी तक प्रेमलता ने कई गांव और कस्बे में जाकर महिलाओं और बेरोजगारों को गोबर से आभूषण बनाने की ट्रेनिंग दी है और इसके लिए प्रेरित भी किया है ।
लेखिका : अमरजीत कौर
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