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Rajesh kumar village like house in Patna

आइए जानते हैं पटना के एक ऐसे घर के बारे में, जहां मिलेगा आपको गांव का एहसास, खेत ,तलाब ,गाय, मुर्गी ,खरगोश सब मिलेंगे यहां

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पटना के रहने वाले राजेश कुमार 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए हिमाचल प्रदेश चले गए थे, परंतु इस दौरान घर , खेत, गांव, हरियाली और अपने दादा से जुड़ी यादों को अपने जहन में बनाए रखते थे , राजेश काफी समय से पटना में एक फार्म हाउस बनाना चाहते थे ।

राजेश बताते हैं कि वह बचपन में अपने दादा के साथ जो कि एक किसान थे, उनके साथ काफी मस्ती करते थे कभी दादा के साथ पौधे लगाना सीखते थे तो कभी मिट्टी में ही अपना सारा दिन गुजार देते थे ।

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राजेश  का प्रकृति के साथ बिताया हुआ बचपन उन्हें उनके मन से कभी दूर नहीं कर पाया परंतु चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में नौकरी करने के दौरान उन्हें पौधे लगाने का कभी मौका ही नहीं मिला ।

राजेश की मन की इच्छा तब पूरी हुई जब वर्ष 2012 में राजेश का ट्रांसफर उनके होमटाउन पटना में हो गया, उन्होंने पटना में एक फार्म हाउस को तैयार कर ही लिया ।

राजेश का कहना है कि वह पटना से 10 किलोमीटर दूर फुलवाड़ी में रहते हैं जहां उनके दादा खेती किया करते थे , और यहां मेरे दादा की काफी जमीन भी है , साथ ही साथ राजेश कहते हैं कि जब मेरे पिता और चाचा ने नौकरी करनी शुरू की तो घर पर पारंपरिक खेती होना बंद हो गई ।

हमारा पुश्तैनी घर भी काफी बड़ा है यहां पर गार्डन के लिए जगह 7000 स्क्वायर फीट है , परंतु सभी अपने काम में व्यस्त होने के कारण इतनी अधिक जगह होने के बावजूद भी किसी भी प्रकार के पौधे नहीं लगाते थे सालों से जो पौधे लगे थे वही आज भी लगे हैं।

दादा को याद करते हुए घर को बनाया फार्म हाउस

राजेश पेशे से एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है, और जब उनका ट्रांसफर पटना में हुआ और जब वे अपने पुश्तैनी घर वापस लौटे तो उन्हें कुछ भी पहले जैसा देखने को नहीं मिला।

इस दौरान राजेश ने मन में निश्चय किया कि खेती तो नहीं पर और अधिक पौधे तो लगा ही सकता हूं इस दौरान उन्होंने आम ,लीची अनार ,अमरूद , नारियल , संतरा, केला, सेब के अधिक से अधिक पौधे लगाने शुरू किए और आज उनका याह घर एक खूबसूरत फार्म हाउस बन गया है।

राजेश बताते हैं कि उनका मकसद अपने घर की पुश्तैनी जगह का इस्तेमाल करके एक छोटा सा फार्म हाउस तैयार करना था इसलिए ही उन्होंने तीन से चार पौधों की अलग-अलग किस्म को लगाया है ।

राजेश ने एक खेत की तरह ही भाग बनाकर एक गार्डन को किचन गार्डन के रूप में तैयार किया है, जहां वह 20 से 25 किस्म से अधिक सब्जियों को भी उगाते हैं, कभी-कभी राजेश के फॉर्म में इतनी अधिक सब्जियां उगती है कि उनके घर वालों को आसपास के लोगों को देनी पड़ती है।

राजेश बताते हैं कि मैंने अपने पुश्तैनी घर में एक तालाब भी बनाया है जब मैं कोलकाता में काम के दौरान रहता था तब मैंने देखा था कि बंगाल में सभी के घर में एक तालाब होता था बस इसी से प्रेरणा लेकर मैंने अपने पुश्तैनी घर में भी एक तलाब बनाया ।

हालांकि जब घर में तालाब के लिए खुदाई चल रही थी तब आसपास के लोग हंस रहे थे कि घर पर तालाब कौन बनाता है अन्यथा जब तलाब बनकर पूरा हुआ तो गार्डन की खूबसूरती और तालाब की खूबसूरती से वही लोग इसकी तारीफ कर रहे थे ।

इसके साथ ही साथ इस तालाब में मछली पालन भी करते हैं, पिछले साल तो राजेश ने अपने इस तलाब से करीब डेढ़ सौ किलो मछलियां मिली थी , और इतना ही नहीं  इन मछलियों को उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बेचा था , इसके साथ ही साथ वह अगली बार होने वाले मछली के उत्पादन को बेचने के बारे में सोच रहे हैं ।

राजेश बताते हैं कि अब मेरी बेटी को भी गार्डनिंग से काफी अधिक लगाव हो गया है , पौधों को पानी देना हो या फिर सब्जियों को काटना मेरी बेटी मेरा पूरा साथ निभाती है।

दरअसल राजेश का गार्डन शुरू करने मकसद का यह था कि वह जिस प्रकार अपने बचपन में प्रकृति को महसूस कर सके हैं उसी प्रकार वह अपनी बेटी को भी महसूस कराना चाहते थे ।

राजेश बताते हैं कि हरियाली और प्रकृति के साथ जो कनेक्शन टूट गया था वह फिर से वापस लौट आया है आज मेरी बेटी भी प्रकृति हरियाली के बीच में अपना समय व्यतीत कर पा रही है ।

राजेश जी यह कहानी जो खुद तो प्रकृति का एहसास करना चाहते ही हैं इसके साथ ही साथ अपनी बेटी को भी हरियाली और पर्यावरण से रूबरू करना चाहते हैं सभी लोगों को पर्यावरण और हरियाली के बारे में सोचते हुए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

लेखिका : अमरजीत कौर

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