एक Retired army ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक गांव को बनाया देश का सबसे बड़ा गाजर उत्पादक । कर्नल देसवाल भारतीय सेना से रिटायर्ड फौजी हैं। कर्नल के पद से रिटायर हो कर उन्होंने 2006 में अपने दोस्त Lal Kishan Yadav के साथ मिलकर Grated carrots की खेती करने की शुरुआत की थी।
कर्नल सुभाष देसवाल आने इंजीनियर दोस्त लाल किशन यादव के साथ मिलकर अपने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में “सनशाइन वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड” नाम की कंपनी की स्थापना 2006 की थी। आज इनकी यह कंपनी देश में सबसे बड़े Grated carrots उत्पादक कंपनी में से एक है। आज इस कम्पनी की सुरुआत और फिर उसकी सफलता के बारे में जानेगे।
इस बारे में सुभाष देसवाल बताते हैं कि उन्होंने 21 साल तक भारतीय सेना में नौकरी की और जब नौकरी के दौरान वह अपने घर छुट्टियों में आते थे तब परिवार वालों से खेती के बारे में बात करते थे। इससे दौरान उन्हें यह पता चला कि खेती में नुकसान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, यह एक कटु वास्तविकता थी।
लेकिन उनका मानना था कि अगर सही तरीके से और Marketing के जरिए खेती की जाए तो खेती आसान हो जाएगी और इससे मुनाफा भी कमाया जा सकेगा। उनके अंदर नौकरी के दौरान यही विचार उन्हें जल्दी रिटायरमेंट के बाद दिल्ली से अपने गांव लौटने के लिए प्रेरित किया।
वह भारतीय सेना से 2002 में रिटायर होकर अपने गांव वापस आ गए। उनके दोस्त थे किशन लाल लाल यादव chemical Engineering में ग्रेजुएट थे और साथ ही Agriculture Input Dealer के तौर पर काम भी कर रहे थे, जिनक पास Technical knowledge थी और कर्नल देशवाल के पास खेती करने की बुनियादी जानकारी।
लेकिन उस समय उनके साथ एक और समस्या थी इनके पास खेती करने के लिए अपनी जमीन भी नही थी और आवश्यक उपकरण भी नहीं थे। तब उन्होंने बुलंदशहर के एक दूसरे किसान से संपर्क करके 2 एकड़ जमीन लीज पर ले ली और कुछ उपकरण भी लिया और इसमें आलू, भिंडी, प्याज की खेती करने लगे। शुरुआत के 2-3 साल में कोई अच्छी उपज नहीं हुई और इनके सारे प्रयास विफल हो गए।
इसके बाद कर्नल देसवाल थोड़ा सा ब्रेक लेकर फिर से जीरो से शुरुआत करने के बारे में सोची और उन्होंने इसके लिए पंजाब के पंतनगर स्थित Agricultural University और अन्य वैज्ञानिक Agricultural scientists से संपर्क किया।
कर्नल ने यह भी बताया कि उन्हें लगता था कि उनका परिवार पीढ़ियों से खेती करता आ रहा है इसलिए वह खेती के बारे में सब कुछ जानते हैं, लेकिन जो वो वैज्ञानिकों से मिले तो उन्हें उपज को बढ़ाने के तरीके सीखने को मिला। इस दौरान उन्हें यह भी सीख मिली कि भारत में कृषि प्रणाली और किसानों के कर्ज में डूबने की वजह क्या थी।
उन्हें पता चला कि जो बाजार में कमीशन एजेंट ज्यादातर कृषि उपज का मूल्य निर्धारण Unscientific ढंग से करके किसानों का शोषण करते हैं और किसान अपने उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए इन Commission agents पर पूरी तरीके से निर्भर रहते हैं।
लेकिन कर्नल और यादव किसानों को इससे मुक्त होना चाहते थे और दूसरे किसानों को भी मदद करना चाहते थे। तब उन्होंने इसके लिए अपने गांव का 50% उत्पादन आपने निर्णय नियंत्रण में ले लिया और इसी समय वे विलायती गाजर की खेती करने लगे। दरअसल बिलायती गाजर एक उच्च गुणवत्ता वाली सब्जी है और इसकी खेती प्रमुख यूरोप से यूरोप मे होती है।
वैसे तो खेती के लिए Soil quality, उर्वरकता और जलवायु की परिस्थितियां काफी मायने रखती हैं इसका भी उन्होंने ध्यान दिया, क्योंकि बुलंदशहर की मिट्टी बलुई मिट्टी है। इसलिए यहाँ जड़ वाली सब्जियों को उगाने के लिए यह मिट्टी काफी बढ़िया है। उन्होंने गाजर की खेती करके अपनी आमदनी को दो से ढाई गुना तक बढ़ा लिया।