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आइए जानते हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जो गोबर का इस्तेमाल करके बनाता है चप्पल और गुलाल, इस प्रकार करते है लाखों रुपए की कमाई

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आप सभी ने गोबर से तैयार उपलो का उपयोग खाना बनाने के लिए करते हुए तो देखा ही होगा, इसके साथ ही साथ गोबर का उपयोग कई चीजों में किया जाता है जैसे कि खाद तैयार करना और इसके साथ ही साथ गांव में गाय और भैंसों के गोबर का सबसे अधिक उपयोग होता है।

आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो गोबर का इस्तेमाल करके कई अन्य प्रोडक्ट को तैयार करता है और लाखों रुपए की कमाई करता है, उनके सभी कार्यों के बारे में आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे।

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आज हम जिस शख्स के बारे में आपको बता रहे हैं उसका नाम है रितेश अग्रवाल, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि रितेश अग्रवाल मूल रूप से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर गोकुल नगर के मूल निवासी है अर्थात पेशे से एक पशुपालक है इसके साथ ही साथ गाय और भैंस के गोबर से अन्य प्रोडक्ट भी तैयार करते हैं।

यह बात जानकर आपको काफी हैरानी होने वाली है कि इस साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य के बजट के लिए बैग का इस्तेमाल किया था वह गोबर का बना हुआ था और इसके निर्माता रितेश अगरवाल और उनकी संस्था ‘एक पहल’ ने 10 दिनों में तैयार किया था।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि रितेश अग्रवाल कई सालों से गोबर का इस्तेमाल करके बैग, पर्स , मूर्तियां,  दीपक, पेंट , अबीर- गुलाल, चप्पल जैसे अन्य कई प्रॉडक्ट्स को तैयार कर रहे हैं। रितेश के इस गोबर से तैयार किए गए प्रोडक्ट की डिमांड मार्केट में काफी अधिक बढ़ गई है इसलिए वह सलाना लाखों रुपए कमा ले रहे हैं।

गौशाला में करते थे काम

खबरों से पता चला है कि रितेश अग्रवाल ने रायपुर के कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 2003 में नौकरी हासिल करने के लिए कई धक्के खाए थे।

इस दौरान उन्हें नौकरी भी प्राप्त हुई परंतु कंपनियों मैं नौकरी करने के दौरान उनका मन नहीं लग पा रहा था, और इस दौरान ही उन्होंने साल 2015 में अपनी नौकरी को छोड़कर गौशाला में काम करना शुरू कर दिया, इस दौरान रितेश ने गायों के विषय में कई महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा करनी शुरू कर दी।

प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना है मुख्य उद्देश्य

रितेश बताते हैं कि उन्होंने कई ऐसी समस्याओं को देखा है जहां प्लास्टिक ना केवल मनुष्यों पर बल्कि जानवरों पर भी काफी बुरा असर हो रहा है, वह कहते हैं कि कई ऐसी खबरें हैं जिसमें पता चलता है कि गाय की मौत प्लास्टिक  के सेवन से हो गई। इस दौरान रितेश ने यह फैसला किया कि वह प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाएंगे।

यही उद्देश्य को उन्होंने अपने जहन में रखते हुए गोबर का इस्तेमाल करके कई अन्य प्रोडक्ट का निर्माण करना शुरू कर दिया, इसके लिए उन्होंने राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जाकर ट्रेनिंग भी हासिल की थी।

गाय के गोबर से तैयार करते हैं चप्पल

रितेश ने  अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सबसे पहले गोबर का इस्तेमाल करके चप्पल तैयार की थी, इस विषय में बात करते हुए रितेश का कहना है कि गोबर का इस्तेमाल करके चप्पल बनाना काफी आसान है।

इस दौरान वह कहते हैं कि 1 किलो गोबर से लगभग 10 चप्पल आसानी से तैयार की जा सकती है, इसके साथ ही साथ वह कहते हैं कि इस चप्पल का इस्तेमाल करने से यह बारिश में भी खराब नहीं होगी और धूप में सुखाने के बाद यह और अधिक चलेगी।

आज रायपुर के रहने वाले रितेश अग्रवाल गाय के गोबर का इस्तेमाल करके अद्भुत प्रोडक्ट को तैयार करते हैं और सलाना लाखों कमा लेते हैं। अंत में रितेश कहते हैं कि लोग अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल करना बंद कर दें और इसके विपरीत गोबर से तैयार किए गए प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें तो पृथ्वी का संरक्षण करने में अपना योगदान दे पाएंगे।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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