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बहन से प्रेरणा पाकर 80 हजार की लागत से शुरू किया बिजनेस, आज हो रहा लाखों का कारोबार

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आज की कहानी एक ऐसे शख्स की है जिसने अपनी बहन द्वारा दिए गए गुरु मंत्र से प्रेरित होकर 80 हजार की लागत से शुरू किया था बिजनेस। आज यह बिजनेस लाखों का हो गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के हिसार के रहने वाले श्री नारायण की।

श्री नारायण जब 10 से 11 साल के थे तभी उन्होंने अपने पिता को खो दिया। उनके जीवन में इसके बाद कई मुश्किलें आई। लेकिन श्री नारायण सभी से खुद को निकाला और अपनी पूरी पढ़ाई की पूरी की। लेकिन उन्हें नौकरी करने से बेहतर बिजनेस करना लगा।

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तब उन्होंने 80 हजार की लागत से शहद का अपना बिजनेस शुरू किया। आज उनका बिजनेस उन्हें सालाना 15 लाख तक का मुनाफा दे रहा है। आज वह अपने दम पर अपने साथ साथ कई लोगों को रोजगार भी दिए हुए हैं

बड़ी बहन से मिली प्रेरणा –

26 वर्षीय श्री नारायण कहते हैं कि वह शुरू से ही अपना बिजनेस करना चाहता था। उनके पिताजी इस दुनिया में नहीं है क्योंकि जब वह छठी क्लास में थे तभी एक सड़क हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी।

उनकी एक बड़ी बहन है जो हमेशा उन्हें प्रेरित करती है। जब वह अपनी बहन से इस बारे में बात की तब उनकी बहन ने कहा कि बिजनेस से बेहतर पहले पढ़ाई करना होगा। इसी सोच के साथ श्री नारायण ने 2017 में हिसार से अपना ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जयपुर के एक कॉलेज से एमबीए किया। 2019 में श्री नारायण का एमबीए कंप्लीट हो गया।

तब उन्होंने अपनी पर्सनल सेविंग से बिजनेस करने का फैसला किया। उन्होंने Advaitam foods नाम की एक कंपनी शुरू की। इस कंपनी के जरिए वह वैल्यू एडेड शहद का बिजनेस करते हैं।

श्री नारायण बताते हैं कि पहले वहां रेस्टोरेंट का बिजनेस करना चाहते थे। लेकिन जब उन्होंने एमबीए किया तब उन्हें एक्स्पोज़र का एहसास हुआ कि वास्तव में बिजनेस क्या होता है।

हनी का बिजनेस ही क्यों चुना –

जब श्री नारायण से यह पूछा गया कि आखिर उन्होंने हनी का ही बिजनेस करने के लिए क्यों सोचा। तब उन्होंने कहा कि भारत में शहद के वैल्यू एडिशन पर अभी ज्यादा काम नहीं हुआ है। ऐसे में उन्हें इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं दिखी।

उन्होंने स्वाद को विकसित करने का काम किया जो लोगों को काफी पसंद है। फिलहाल वह हर तिमाही में 70 से 80 क्विंटल शहद का बिजनेस करते हैं। जिसमें करीब आधी का वैल्यू एडिशन करते हैं। उनके पास हनी विद कैरेमल, हनी विद पीनर बटर, कैडी विद हनी जैसे नाम से कई वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स बनाते हैं।

वह अपने प्रोडक्ट को हरियाणा के बाजार के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बाजार में बेचते हैं। श्री नारायण शहर में काली मिर्च पाउडर, पिपली जैसे औषधि तत्व को जोड़ के भी प्रोडक्ट बनाते हैं।

यह खासी, जुखाम और बुखार जैसी समस्याओं में काफी राहत प्रदान करता है। वह कहते हैं कि उनका सबसे खास उत्पाद यही है और वह इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाना चाहते हैं। वह जल्द ही आयुष मंत्रालय के साथ भी काम करने वाले हैं।

आसान नहीं थी राह –

श्री नारायण कहते हैं कि शुरुआत में उनके सामने चुनौती थे। क्योंकि मार्केटिंग करने के लिए उनके पास कोई भी टीम नहीं थी। उन्होंने जो कुछ भी किताबों से पढ़ा था वह वास्तविक दुनिया से काफी अलग था।

टेस्ट डेवलपमेंट के शुरुआत में उन्हें करीब 50,000 का नुकसान हुआ था। मार्केट में उनका काफी पैसा भी फस गया था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार कोशिश करते रहे।

श्री नारायण अपना हनी बिजनेस साल 2019 के नवंबर दिसंबर में शुरू किया था। कुछ महीने बाद ही देशभर में कोरोनावायरस की वजह से देशव्यापी लॉक डाउन घोषित कर दिया गया। ऐसे बिजनेस चलाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया था। लेकिन उनके उत्पादों की मांग हर 2 महीने में लगभग 2 से 3 गुना बढ़ गई। आज उन्हें सालाना 12 से 15 लाख का टर्नओवर हो रहा है।

इस तरह से करते हैं बिजनेस –

श्री नारायण अपने उत्पादों में किसी भी प्रकार का केमिकल या किसी प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वह हरियाणा के तीन चार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े हुए हैं। साथ में उनकी अपनी खुद की एक पैकेजिंग यूनिट है।

जहां पर वह शहद को खरीदने के बाद स्वाद डिवेलपमेंट करने व पैक करने का काम करते हैं। खास बात यह है कि उनकी यूनिट में प्लास्टिक के विकल्प के रूप में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है।

श्री नारायण का कहना है कि शहद में वैल्यू एडिशन का काम करना आसान नहीं होता है। इसका एक विशेष टेस्ट बनाना और उस पर रिसर्च करना काफी खर्चीला होता है। साथ ही मार्केट में भी काफी रिसर्च करना पड़ता है।

श्री नारायण कहते हैं कि वह टेस्ट डेवलपमेंट के लिए रेस्टोरेंट जाते थे और वहां पर मिले फीडबैक के आधार पर उसमें इंप्रूवमेंट करते थे, जिसमें उनका काफी मटेरियल भी बर्बाद होता था।

वह किसानों से थोक में शहद खरीदते हैं जिससे किसानों को भी फायदा होता है। श्री नारायण किसानों से एक ही बार में थोक में काफी शहद खरीद लेते हैं। जबकि पहले किसानों को कभी-कभी शहद को बेचने में सालों लग जाते थे।

लेकिन अब एक ही बार में शहद की बिक्री हो जाने से किसानों का कैश फ्लो बना रहता है। वह सीधे किसानों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में वह व्यापारियों की तुलना में किसानों से ₹20 अधिक की दर से शहद खरीदते हैं जिससे किसान भी खुश रहते हैं और वह भी।

लेखिका : अर्चना  यादव

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