जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि भटिंडा पंजाब के रहने वाले सुखपाल सिंह सिंधु , एक सरकारी स्कूल के टीचर हैं अर्थात सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अपनी नौकरी के बाद सड़क पर रहने वाले गरीब बच्चों के लिए फुटपाथ पर ही स्कूल खोल कर उन्हें शिक्षा देते हैं।
जैसे की हम सभी यह बात को महसूस करते हैं कि अक्सर हम सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों और कई गाड़ियों के शीशे साफ करने वाले बच्चों को देखकर तरस खाते हैं , और यह बात सोचते हैं कि काश यह बच्चे शिक्षा ग्रहण कर पाते ।
अर्थात भटिंडा पंजाब के रहने वाले सुखपाल सिंह भी फुटपाथ पर रहने वाले गरीब बच्चों के बारे में ऐसी ही सोच रखते हैं , परंतु एक शिक्षक होने के नाते यह इन बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंने फुटपाथ पर ही स्कूल खोल कर बच्चों को शिक्षा देनी शुरू कर दी है ।
अर्थात सुखपाल सिंह अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए भटिंडा चौक पर फुटपाथ में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षा देते हैं पिछले 2 महीने पहले ही इन्होंने अपने इस कार्य की शुरुआत की है अर्थात वह कहते हैं कि यहां ऐसे बच्चे पढ़ते हैं जिन्होंने कभी भी स्कूल की सीढ़ियां नहीं देखी और ना ही कभी पेन पेंसिल हाथ में उठाया है ।
बातचीत के दौरान सुखपाल सिंह बताते हैं कि यह बच्चे फुटपाथ पर भीख मांगते हैं फूल बेचते हैं और लोगों के गाड़ियों के शीशे साफ कर पैसे कमाते हैं अर्थात इन बच्चों के साथ हमारे देश का भविष्य जुड़ा हुआ है और यही कारण है कि इन बच्चों को शिक्षित करना काफी जरूरी है ।
शिक्षा को मानते हैं बच्चों का अधिकार
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि 40 वर्षीय सुखपाल सिंह पंजाब, भटिंडा के नाथांना इलाके के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के टीचर है । सुखपाल सिंह शिक्षा को बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण अधिकार मानते हैं अर्थात इसके तहत उन्होंने अपने स्कूल में भी बच्चों के लिए कई तरह की सुविधाएं शुरू की है ।
वह बताते हैं कि हमारे सरकारी स्कूल के हर क्लास रूम में ऐसी लगे हुए ताकि गर्मी के चलते बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ना हटे अर्थात उनका पढ़ाई में अनुभव अधिक बढ़े, केवल इतना ही नहीं सुखपाल ने अपने शिक्षक साथियों के साथ मिलकर एक सरकारी स्कूल को सभी प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं दी है अर्थात इन्होंने यह सभी कार्य किसी सरकारी सुविधा के बिना अपने खर्च पर किए हैं ।
सुखपाल सिंह कहते हैं कि भले ही हम अपने स्कूल के बच्चों को सभी प्रकार की सुविधाएं दे पाते हैं परंतु इसके साथ साथ पर इस बात का अफसोस भी रहता है कि हम फुटपाथ के रहने वाले बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं ।
अर्थात उनका यह सपना उस वक्त पूरा हुआ जब जिला शिक्षा अधिकारी टीचर्स की मीटिंग में सभी टीचर्स को फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को एक-एक घंटा पढ़ाने को कहा इस समय सुखपाल सिंह बताते हैं कि मेरी पत्नी काफी समय से ऐसा कार्य करना चाहती थी परंतु जिला अधिकारी से सहमति नहीं मिल रही थी परंतु अब जब हमें सहमति मिल गई तो हमने देरी नहीं की और जुलाई 2022 से फुटपाथ पर ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
केवल 5 बच्चों को शिक्षा देने से की थी शुरुआत
सुखपाल सिंह ने भटिंडा की चौक पर बोर्ड लगाया और फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को शिक्षा देनी शुरू की शुरुआत में उनके पास केवल 5 बच्चे पढ़ने आते थे , परंतु देखते-देखते केवल 2 महीने के अंदर ही बच्चों की संख्या बढ़कर 22 हो गई ।
इस दौरान सुखपाल कहते हैं कि मुझे इस बात पर काफी आश्चर्य होता है कि बच्चे जो पढ़ने आते हैं उन्हें यह भी नहीं पता कि पेन पेंसिल क्या है परंतु यह बात की खुशी है कि सभी बच्चों में पढ़ने की चाहत है ।
केवल इतना ही नहीं सुखपाल बताते हैं कि यहां पढ़ने आने वाले बच्चे के माता-पिता नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़े अर्थात वह अपने बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करते हैं परंतु कई बच्चे तो अपने माता-पिता से छुपकर यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं ।
अब सुखपाल सिंह अपनी स्कूल की ड्यूटी पूरी करने के बाद रोजाना शाम को इन बच्चों को फुटपाथ पर शिक्षा देते हैं अर्थात केवल इतना ही नहीं सुखपाल सिंह और उनकी पत्नी शिंदरपाल कौर सिद्धू साथ में मिलकर बच्चों को पढ़ाते हैं ।
सुखपाल बताते हैं कि इन बच्चों को पढ़ाना इतना आसान तो नहीं है परंतु कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है परंतु फिर भी हम हार नहीं मानेंगे और भले ही 5 और 4 बच्चे ही क्यों ना आए परंतु हम अपने क्लासेस पर नहीं करेंगे और इन बच्चों को शिक्षित जरूर करेंगे ।
सुखपाल सिंह और उनकी पत्नी अपने इस नेक कार्य से सुविधाओं से वंचित बच्चों को शिक्षा का अनमोल तोहफा दे रहे हैं।
लेखिका : अमरजीत कौर
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