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बेटे को पढ़ाने के लिए पिता ने बेंच दिया था घर, बेटा 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में पास की यूपीएससी परीक्षा

बेटे को पढ़ाने के लिए पिता ने बेंच दिया था घर
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बेटे को पढ़ाने के लिए पिता ने बेंच दिया था घर, बेटा 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में पास की यूपीएससी परीक्षा। देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी अर्थात संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन होती है।

लॉकडॉउन की वजह से इस बार इसका रिजल्ट अभी कुछ समय पहले जारी हुआ है। इस परीक्षा में कई छात्रों ने सफलता हासिल की है। इस साल भी हर साल की तरह गरीबी और अभाव को मात देते हुए कई छात्रों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की।

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इसी में नाम आता है प्रदीप सिंह का, जिन्होंने इस साल 26 वीं रैंक हासिल की है। प्रदीप सिंह की कहानी काफी प्रेरणादायक है खास करके उन युवाओं के लिए जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

प्रदीप मूल रूप से बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में बतौर आईआरएस ऑफिसर के तौर पर नियुक्त हैं। 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिली थी और उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 93 पाई थी।

उसके बाद उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और इस साल उन्हें 26 वीं रैंक मिली है। प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से वह दिल्ली जाकर कोचिंग करने में सक्षम नहीं थे।

लेकिन जब पिता को अपने बेटे की इस ख्वाहिश के बारे में पता चला तब उन्होंने फैसला किया का किया कि वह अपना घर बेंच देंगे।

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प्रदीप साल 2017 में जून में दिल्ली आए और वहां पर उन्होंने कोचिंग ज्वाइन कर ली। प्रदीप अपने कठिन वक्त के संघर्ष को याद करते हुए कहते हैं कि घर की दयनीय आर्थिक स्थिति के बावजूद उनके माता और पिता ने हर कोशिश की कि उन्हें सब कुछ उपलब्ध हो सके।

प्रदीप कहते हैं कि माता-पिता के संघर्ष ने ही उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए मजबूती प्रदान की है।

जब उन्हें यह पता चला कि उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए घर भेज दिया है तब वह दोगुने जज्बे के साथ मेहनत करने लगे और दृढ़ संकल्प किया कि अपने पिता के इस त्याग को वह कभी भी व्यर्थ नही जाने देंगे और उनका एकमात्र लक्ष्य बन गया यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विसेज परीक्षा को पास करना।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान प्रदीप के पिता ने एक बार बताया था कि वह इंदौर में एक पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और अपने बच्चे को शिक्षा देना चाहते थे, ताकि उनका जीवन संवर सके।

जब उन्हें यह पता चला कि प्रदीप यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते हैं तब उनके पास पैसे की कमी थी लेकिन उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए अपना घर बेंच दिया और इसके बाद उनका परिवार काफी संघर्ष किया।

लेकिन जब प्रदीप ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की तब अपने बेटे की सफलता से वह और उनका पूरा परिवार बेहद खुश था।

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प्रदीप बताते हैं कि पहली बार यूपीएससी की परीक्षा के दौरान जब वह मेंस की परीक्षा दे रहे थे तब उस दौरान उनकी मां बीमार पड़ गई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन उनके परिवार वालों ने इस बात की भनक उन्हें नहीं लगने दी।

प्रदीप अपनी सफलता का श्रेय अपने मेहनत के साथ अपने परिवार वालों को देते हैं जिन्होंने उनके लिए काफी त्याग किया है।

प्रदीप ने पहले प्रयास में साल 2018 की यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में 93 वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी रैंक में सुधार के लिए अगले साल फिर से परीक्षा में बैठे और इस बार साल 2019 की परीक्षा में उन्होंने 26 वी रैंक हासिल की है।

प्रदीप की सफलता से यह साबित हो जाता है कि अगर कोई कठिन मेहनत करें और उसे अपनों का साथ मिले तो वह दुनिया की कठिन से कठिन परीक्षा भी पास कर सकता है।

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