करनाल के रहने वाले संदीप सिंह कभी 50 रुपए में मजदूरी किया करते थे परंतु आज वह अमेरिका के डाटा साइंटिस्ट बन गए हैं।
संदीप सिंह ने मेडिकल साइंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके एक क्रांति ला दी है इसके तहत इन्होंने किसी भी मेडिसिन और वैक्सीन के ट्रायल और प्रोडक्शन उसके निर्धारित समय पर होगा।
आज हम बात करने जा रहे हैं करनाल के मजदूर परिवार में पैदा होने वाले संदीप सिंह की जो मजदूरी करके के अमेरिका के डाटा साइंटिस्ट बन गए हैं।
कभी संदीप सिंह 50 रुपए के लिए मजदूरी किया करते थे परंतु आज अमेरिका के डाटा साइंटिस्ट बन कर कंपनी उन्हें करोड़ों का सालाना पैकेज दे रही है।
हरियाणा के करनाल जिले के काछवा गांव के रहने वाले संदीप सिंह आज अमेरिका की कंपनी अमेजन वेब सर्विसेज टेक्नोलाजी में डाटा साइंटिस्ट के रूप में कार्यरत हैं।
संदीप सिंह को यह डाटा साइंटिस्ट की नौकरी इसलिए मिल क्योंकि उन्होंने मेडिकल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मिलाकर एआई सॉल्यूशन मॉडल डेवलप किया है।
अमेरिका की मशहूर कंपनी अमेजन वेब सर्विसेज टेक्नोलाजी में डाटा साइंटिस्ट के रूप में एआई रोबोटिक मशीन लर्निंग में कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
संदीप सिंह ने मजदूर से साइंटिस्ट का सफर तय कर लिया है और आज वह कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं ।
आइए जानते हैं क्या है एआई सॉल्यूशन मॉडल
करोना महामारी के बीच सभी लोगों को वैक्सीन की महत्वपूर्णता अच्छी तरह से समझ आ गई थी। यह समय ऐसा था जब सभी को इस महामारी की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार हो रहा था।
परंतु वैक्सीन का कई स्टेज पर ट्रायल होने पर एवं कई तकनीकी पहलूओ की वजह से निर्धारित समय में व्यक्तियों को सही लक्ष्य पर निर्धारित नहीं किया जा पा रहा था। इस समय व्यक्तियों के लक्ष्य को कई बार आगे पीछे करके हर देश को सप्लाई करना पड़ रहा था।
परंतु संदीप सिंह द्वारा मेडिकल साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को मिलाकर तैयार किया गया एक नया मॉडल जिसके द्वारा हम यह पता लगा सकते हैं कि हमारी वैक्सीनेशन को कितना समय लगेगा और हमारा वैक्सीनेशन का ट्राइल कितने समय में होगा। और यह मॉडल समय रहते निश्चित प्रोडक्शन के स्टेज को आसानी से निर्धारित कर लेंगे।
इस मॉडल को तैयार करने का एक कारण यह भी था कि लोग जिस तरह से ट्रायल और वैक्सीनेशन को तय करेंगे उसी वक्त ही निर्धारित प्रोडक्शन का भी पता चल जाएगा और आगे की प्रोडक्शन के लिए समय सुनिश्चित हो पाएगा। यह सब भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।
संदीप सिंह कई ऐसे मॉडल तैयार कर चुके हैं जो भविष्य में लोगों के लिए काफी जरूरतमंद होंगे। संदीप सिंह बताते हैं कि वह काफी गरीब परिवार से थे और उनकी आर्थिक स्थिति भी सही नहीं थी इसलिए घर को चलाने के लिए भी 50 रुपए के लिए मजदूरी भी करते थे।
संदीप सिंह का कहना है कि भले ही हम जैसे भी समस्याओं से घिरे हो परंतु हमें कभी भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए और यही कारण था कि मैं आज इस मुकाम पर पहुंच गया हूं क्योंकि मैंने कभी भी आशा नहीं छोड़ी थी मैं मजदूरी के साथ साथ थोड़ी बहुत पढ़ाई भी करता रहता था और मुझे कभी पता ही नहीं था कि मैं इतना बड़ा साइंटिस्ट बन जाऊंगा।
इस प्रकार करेगा सॉल्यूशन काम
करोना काल में वैक्सीनेशन की होने वाली दौड़ को तो हम सभी ने अच्छे से देखा है। डाटा साइंटिस्ट संदीप सिंह कहते हैं कि अगर कोई भी कंपनी किसी भी दवा या फिर वैक्सीन को बनाती है उसमें समय बहुत ही महत्वपूर्ण रोल निभाता है। संदीप सिंह ने जो एआई मॉडल बनाया है वह पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है।
संदीप सिंह कहते हैं कि अगर कोई भी कंपनी कैंसर की दवा बना रही है तो उसका डाटा 100 साल पुराना होना ही चाहिए और अगर प्रोडक्शन की बात किया जाए तो प्रोडक्शन किस प्रकार होगा और कब इसकी अधिकता अधिक हो जाएगी इसकी जानकारी मिलना काफी मुश्किल है।
परंतु अगर हम संदीप सिंह के बनाए गए एआई सॉल्यूशन की बात करें तो यह मॉडल मेडिसिन प्रोडक्शन को अच्छी तरह से स्टडी करके प्रोडक्शन में कितनी अधिकता बढ़ेगी और इसके लिए निर्धारित समय क्या होगा इसकी जानकारी हमें पहले ही दे देगा।
यह सॉल्यूशन मॉडल डाटा को स्टडी करके अनेक प्रकार के सुझाव भी देगा जैसे की अगर आप आयु सीमा 50 वर्ष रखते हैं तो यह 2 महीने देर करेगा और अगर कोई भी मरीज कैंसर की दवा का सैंपल 3 साल के लिए लेना चाहेगा तो उसमें कितना वक्त लगेगा और दवा आप तक कब-कब किस-किस तारीख पर किस समय में पहुंचेगी इसका पूरा निर्धारित सूची आपको दे देगा।
और इस प्रकार के मॉडल का इस्तेमाल करने से कंपनियों में विश्वास बढ़ेगा और बार-बार लक्ष्यों को बदलना और निर्धारित नहीं करना पड़ेगा।
संदीप सिंह ने 50 रुपए के लिए मजदूरी भी की और मेले में खिलौने भी बेचे
संदीप सिंह कहते हैं कि करनाल से यूएसए की मशहूर कंपनी तक का सफर मेरे लिए इतना आसान नहीं था। वह कहते हैं कि मैंने बचपन से ही परिस्थितियों के साथ संघर्ष किया है।
वह कहते हैं कि मैं बचपन में कछवा गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ा करता था और वहां से बीटेक साइंस की डिग्री का सफर मेरे लिए काफी कठिन था।
संदीप सिंह बताते हैं कि मैं एक नौकरी की तलाश में था और उसी वक्त अमेरिका मैं आतंकी हमला हो जाता है और इसका प्रभाव सभी के जीवन में पड़ता है, और इस दौरान आईटीआई की नौकरी में काफी गिरावट आ जाती है। वह कहते हैं कि मुझे एक पल तो ऐसा महसूस हुआ कि मेरा बीटेक साइंस करने का निर्णय गलत था।
इस दौरान वह बताते हैं कि मुझे अपने घर को चलाने के लिए गांव में सरकारी स्कूल पर मजदूरी भी करनी पड़ी संदीप बताते हैं कि इसके साथ ही साथ मेरे पिता मेले में जाकर खिलौने बेचते थे क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
संदीप सिंह बताते हैं कि मुझे एक ऐसा मौका मिला जिसमें मैंने एम्टेक तो कर ली परंतु मुझे कोई नौकरी नहीं मिल रही थी परंतु मुझे जैसे ही अमेरिका से ऑफर आया तो मैंने उसका इंटरव्यू दिया और मैं उसमें सफल हो गया और उन्होंने मुझे एक लाख का सालाना सैलरी पैकेज ऑफर किया।
संदीप सिंह कहते हैं कि कभी भी परिस्थितियों से घिरे होने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि उनका सामना करना चाहिए क्योंकि परिस्थितियों का सामना करने से हम मजबूत होते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं।
लेखिका : अमरजीत कौर
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