UPSC IAS Success story in Hindi : –
भारत में सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा को माना जाता है और हर साल भारत में सिविल सेवा परीक्षा के लिए लाखों उम्मीदवार तैयारी करते हैं। सिविल सेवा परीक्षा के लिए ग्रेजुएट पास व्यक्ति आवेदन कर सकता है अर्थात इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह हिंदी माध्यम से है या फिर इंग्लिश।
हालांकि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले कई लोगों के मन में यह ख्याल आता है कि हिंदी मीडियम के छात्र सिविल सेवा की परीक्षा को पास नहीं कर सकते हैं, अर्थात आज उत्तराखंड के अल्मोड़ा की जिला मजिस्ट्रेट वंदना सिंह चौहान ने इन मिथकों को पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है, हालांकि उन्होंने वर्ष 2012 की परीक्षा में AIR 8 भी हासिल किया था।
वंदना सिंह चौहान का जन्म स्थान हरियाणा का एक छोटे सा गाँव नसरुल्लागढ़ है, इसी स्थान पर वंदना का पूरा परिवार रहता था और यही स्थान पर उनका पालन-पोषण हुआ था, वंदना का परिवार कुछ रूढ़ीवादी था जब भी लड़कियों की शिक्षा की बात आती थी तो उनकी रूढ़िवादी सोच लड़कियों को आगे बढ़ने नहीं देती थी।
परंतु वंदना के पिता महिपाल सिंह चौहान अपनी बेटी को पढ़ाना लिखना चाहते थे, इस दौरान वंदना को मुरादाबाद के कन्या गुरुकुल में पढ़ने के लिए भेज दिया गया, इसके बाद ही बाद वंदना ने कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की और आईएएस बनने का सपना देखा।
इस दौरान वंदना ने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद , अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में एलएलबी करने के लिए दाखिला लिया, चुकी घर से उतना अधिक सहयोग नहीं था इस कारणवश वह कॉलेज नहीं जा पाई परंतु कानून की सभी किताबें अपने घर पर मंगवा कर ग्रेजुएशन की पढ़ाई घर से ही पूरी की, जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि वंदना ने अपनी ग्रेजुएशन हिंदी मीडियम से पूरी की थी।
हिंदी मीडियम की लड़की ने पहले प्रयास में पास की यूपीएससी की परीक्षा
वंदना ने ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी सिविल सर्विस की पढ़ाई करनी शुरू कर दी , यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए वह किसी कोचिंग और संस्था को किसी दूसरे शहर में जाकर ज्वाइन नहीं कर सकती थी क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उन्हें इस कदम के लिए अनुमति नहीं देती इसलिए उन्होंने अपने घर पर रहकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करनी शुरू कर दी।
वंदना अपने घर में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के लिए 12 से 14 घंटे पढ़ाई करती उनके परिवार में से केवल उसके भाई ने ही यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने के लिए उसकी पूरी मदद की थी और वंदना की मेहनत रंग लाई।
वंदना सिंह चौहान ने वर्ष 2012 में यूपीएससी सीएसई के पहले प्रयास में सफलता हासिल की, अर्थात जो लोग सोचते थे कि हिंदी मीडियम से पढ़ने के बाद वह आगे सिविल सेवा जैसी बड़ी परीक्षाओं को पास नहीं कर पाएंगे, उनकी इस मिथक सोच को पूरी तरह से गलत साबित कर दिया
एक इंटरव्यू के दौरान वंदना सिंह चौहान ने बताया था कि उन्होंने नेगेटिव मार्किंग को नजर अंदाज किया था परंतु अपनी गलती को सुधार कर उसने परीक्षा में कटऑफ को पास कर लिया था।
वंदना सिंह चौहान का कहना है कि कई लोगों को ऐसा लगता है कि हिंदी मीडियम से पढ़ने के बाद हम किसी भी बड़ी परीक्षा को पास करने में असमर्थ है परंतु अगर कड़ी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई की जाए तो हम किसी भी माध्यम से हो इस बात का फर्क नहीं पड़ता है हमें सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।
आज वर्तमान के समय में वंदना सिंह चौहान अल्मोड़ा जिले के डीएम पद पर तैनात है, पिछले साल वंदना सिंह चौहान के डीएम पद पर तैनात होने के अवसर पर उन्हें कलेक्ट्रेट में गार्ड ऑफ ऑनर (guard of honour) दिया गया था।